वर्तमान में ऑनलाइन मार्केटिंग के जमाने में कोई भी चीज सोशल मीडिया के माध्यम से खरीदी और बेची जा सकती है. पुणे जिले के इंदापुर के एक किसान ने भी डिजिटल मार्केटिंग का इस्तेमाल अपने खेती में उगाए उत्पाद बेचने के लिए किया है. इस किसान ने अमेज़ॉन पर तीन टन से ज्यादा जामुन बेचकर लाखों रुपये कमाए हैं. अमेज़ॉन पर जामुन बिकने के बाद से ये किसान अब इलाके में चर्चा का विषय बन गया है. आजकल जामुन का सीजन चल रहा है और इस किसान ने सीजन का भरपूर फायदा उठाया है. गांवों में भले ही जामुन को कोई नहीं पूछे, लेकिन शहरों में इसका रेट 200 रुपये किलो तक जा पहुंचा है. पुणे के किसान को इस रेट का पूरा फायदा मिला है.
पुणे जिले के इंदापुर तालुका के कचरवाड़ी के महादेव बराल और उनके दो पढ़े-लिखे बेटों ने यह कमाल कर दिखाया है. बराल परिवार का खेत पथरीली जमीन पर है. पहले वे इस जमीन पर अनार की खेती करते थे. लेकिन कुछ साल पहले ओलावृष्टि में कई बगीचे नष्ट हो गए थे. इसी बीच बराल का बगीचा नष्ट हो गया. इससे उबरकर वे कोंकण की किसान यात्रा पर गए और वहां से प्रेरणा लेकर ढाई एकड़ में जामुन का बगीचा लगाया.
जामुन की खेती पथरीली मिट्टी पर फलती-फूलती है. चूंकि यह एक जंगली फसल है, इसलिए बीमारियां कम होती हैं और इस पर बहुत कम मात्रा में छिड़काव करने की आवश्यकता होती है. पांच साल बाद जांभल यानी कि जामुन का वास्तविक उत्पादन शुरू हुआ. शुरुआत में उन्होंने जामुन को पुणे, मुंबई और सोलापुर में बेचा, जिससे उन्हें 120 से 140 रुपये तक प्रति किलो दाम मिला. इस तरह उन्हें प्रति एकड़ आठ से 10 लाख रुपये का उत्पादन मिला.
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हाल के समय में सोशल मीडिया का उपयोग काफी हद तक बढ़ गया है. इसी का फायदा उठाते हुए उनके बेटे अविनाश बराल और अमर बराल, जो कि उच्च शिक्षित हैं, ने अमेज़ॉन जैसी बड़ी कंपनी के साथ समझौता कर ऑनलाइन मार्केटिंग के माध्यम से जामुन की बिक्री शुरू कर दी. अमेज़ॉन पर इन्हें जामुन का रेट 200 से 280 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. वहीं, अच्छे मॉल्स में भी इनका जामुन बेचा जा रहा है. वहीं जामुन की कुछ मात्रा पुणे, सोलापुर और मुंबई के बाजारों में भी जा रही है.
बराल का परिवार घर पर ही जामुन की कटाई कर रहा है और काटने के बाद, सामग्री का चयन करके जामुन पैकिंग कर सोलापुर जिले के टेम्बुर्नी में अमेज़ॉन के केंद्र में बिक्री के लिए भेजा जा रहा है. खुदरा बाजार में, जामुन को वर्तमान में 150 रुपये की कीमत मिल रही है. लेकिन अमेज़ॉन पर जामुन के दाम 280 रुपये होने से बराल को फिलहाल अच्छा मुनाफा हो रहा है, इसलिए उनका उत्पादन बढ़ गया है.
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वर्तमान समय में ऐसी तस्वीर है कि कृषि उपज बेचने के दौरान किसानों को व्यापारियों द्वारा लूट लिया जाता है. हालांकि, बराल परिवार ने दिखाया है कि अगर कृषि उपज को सोशल मीडिया के उचित उपयोग के साथ बेचा जाए, तो बड़ी मात्रा में आमदनी पाना संभव है. बाकी किसानों के लिए यह काम सराहनीय है. कई किसान बराल परिवार की तरह खुद की उपज को सोशल मीडिया के माध्यम से बेचना चाह रहे हैं ताकि उनकी कमाई बढ़ सके.