देश की ज्यादातर आबादी आज भी कृषि पर निर्भर है. अभी भी ज्यादातर जगहों पर पारंपरिक खेती होती है. लेकिन धीरे-धीरे किसान पारंपरिक खेती छोड़कर कुछ नया कर रहे हैं. जिसका फायदा भी उनको मिल रहा है. सब्जियों की खेती में भी मुनाफा मिल रहा है. छोटे किसान भी सब्जियों की खेती से अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के एक युवा किसान शेखर भी कद्दू की खेती कर रहे हैं और इससे उनकी अच्छी खासी कमाई भी हो रही है.
युवा किसान शेखर बाराबंकी के सहेलियां गांव की रहने वाले हैं. शेखर वैसे तो कई सब्जियों की खेती करते हैं, लेकिन कद्दू की खेती उनको अच्छा मुनाफा मिलता है. शेखर कई सालों से देसी कद्दू की खेती कर रहे हैं. इस युवा किसान ने करीब आधे एकड़ में कद्दू की खेती की है. एक फसल से उनको 60 से 70 हजार रुपए का मुनाफा हो रहा है.
हिंदी डॉट न्यूज18 डॉट कॉम की खबर के मुताबिक युवा किसान शेखर ने बताया कि वो पिछले 2 साल से कद्दू की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि कद्दू की खेती में लागत कम है, जबकि मुनाफा लागत से कई गुना ज्यादा है. शेखर ने बताया कि एक बीघे में कद्दू की खेती में 2-3 हजार रुपए खर्च आते हैं. जबकि इससे मुनाफा 60 से 70 हजार रुपए तक होता है. आपको बता दें कि कद्दू बरसात के मौसम में कद्दू काफी महंगा बिकता है.
शेखर ने बताया कि आजकल किसान कद्दू की खेती कम करते हैं. इसस समय कद्दू के अच्छे रेट मिल रहे हैं. मार्केट में देसी कद्दू की डिमांड भी काफी ज्यादा है.
देसी कद्दू की अच्छी पैदावार के लिए फरवरी-मार्च या जून-अगस्त में बुआई करनी चाहिए. कद्दू के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. मिट्टी को भुरभुरी करने के लिए 2-3 बार गहरी जुताई करनी चाहिए. इसके बाद खेत को समतल करना चाहिए. मिट्टी में गोबर की खाद, कम्पोस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं. फसल को कीटों से बचाने के लिए खेत के चारों तरफ गेंदा और मक्का लगाएं. देसी कद्दू की फसल 60 से 120 दिनों में तैयार हो जाता है. जब फल की बाहरी त्वचा हल्के भूरे रंग की हो जाए और अंदर का गूदा पीला हो जाए तो कटाई करना चाहिए.