पंजाब के लुधियाना में मच्छीवाड़ा के रहने वाले 32 वर्षीय किसान गुरजीत सिंह मित्तेवालिया की कहानी मेहनत, नवाचार और साहस का उदाहरण है. पहले उनका परिवार लगभग तीन दशकों से गेहूं-धान की पारंपरिक खेती कर रहा था, लेकिन मेहनत के बावजूद कोई आर्थिक प्रगति नहीं हो रही थी. तब उन्होंने खेती में बदलाव लाने का फैसला किया और उनके इस फैसले ने उनकी जिंदगी बदल दी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरजीत ने अपने पिता बलदेव सिंह के छोटे स्तर पर किए जा रहे पॉपलर पेड़ों के प्रयोग को बड़े स्तर पर अपनाने का फैसला लिया. उन्होंने अपनी खेती का रुख पॉपलर की व्यावसायिक खेती की ओर मोड़ा, जो आज उनकी किस्मत बदलने वाली फसल साबित हो रही है.
वर्तमान में, गुरजीत सिर्फ 16 एकड़ में से 4 एकड़ जमीन से ही हर साल लगभग 50 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. सात सालों में इस फैसने ने न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारा, बल्कि उन्हें खेती में आधुनिकता लाने का अवसर भी दिया.
आज गुरजीत पॉपलर की नर्सरी, पेड़ों की खेती, और खेती के औज़ारों के डिस्ट्रिब्यूशन का बिजनेस अच्छे से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने पिछले दो सालों में और पांच एकड़ ज़मीन खरीदी है. साथ ही, अपने 35 साल पुराने पारिवारिक खेती व्यवसाय को आधुनिक और व्यावसायिक स्तर तक पहुंचाया.
शुरुआत में गुरजीत सिर्फ 3 एकड़ में पॉपलर की खेती करते थे, लेकिन 2018 के बाद उन्होंने इसे बढ़ाकर 16 एकड़ कर दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने एक चेन सिस्टम अपनाया:
आय की तुलना करें तो गुरजीत ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि गेहूं-धान की खेती से 16 एकड़ से सालाना 12–13 लाख रुपए की कमाई हो पाती है. जबकि पॉपलर की खेती सिर्फ 4 एकड़ से ही सालाना 50 लाख रुपये की आय देती है.
गुरजीत ने 9 एकड़ में नर्सरी तैयार की है. पांच एकड़ लीज पर और चार एकड़ अपनी ज़मीन पर. वह हर साल 1.5 लाख पौधे तैयार करते हैं. एक पौधे की कीमत 25 से 40 रुपये तक होती है. यहां से भी काफी मुनाफा होता है.
पॉपलर के पेड़ पूरी तरह तैयार होने में चार साल लगते हैं. इस दौरान गुरजीत मक्का, चारा और गेहूं की इंटरक्रॉपिंग करते हैं, जिससे मज़दूरों की सैलरी और शुरुआती खर्च निकल जाता है.
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