मध्य प्रदेश के किसान सीताराम निगवाल की सफलता की कहानीआज हम आपको एक ऐसे किसान की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि खेती किसी भी बड़े बिजनेस से कम नहीं है. अगर इसे सोच-समझकर और नए वैज्ञानिक तरीके से किया जाए, तो कम जमीन से भी ज़्यादा उत्पादन लिया जा सकता है. उन्होंने यह कर दिखाया है कि कैसे एक ही खेत में एक साथ अपनी ज़रूरत की सभी चीज़ें — चाहे वह सब्ज़ी हो, अनाज हो, फल हों या मसाले — उगाई जा सकती हैं. यह कहानी है मध्य प्रदेश के धार ज़िले के छोटे से गांव अवलिया के रहने वाले सीताराम निगवाल की. 56 साल के सीताराम के पास कोई बड़ी डिग्री नहीं है, उन्होंने केवल प्राइमरी तक ही पढ़ाई की है. लेकिन, उनके पास 30 वर्षों का खेती का वह अनमोल अनुभव है, जिसने उन्हें एक सच्चा खेती का 'अविष्कारक' बना दिया है. कम ज़मीन और पारंपरिक खेती की मुश्किलों के बीच, उन्होंने खेती का एक ऐसा बेहतरीन मॉडल तैयार किया है, जो देश के किसानों के लिए बेहतर मॉडल है.
सीताराम का नवाचार 'बहु-मंजिला खेती' है, जिसे हम 'मल्टी-स्टोरी क्रॉपिंग' भी कहते हैं. सीधे और सरल शब्दों में समझें तो, जैसे एक बहु-मंजिला इमारत में एक ही ज़मीन के टुकड़े पर कई मंजिलें फ्लोर बनाकर ज़्यादा लोग रहते हैं, ठीक उसी तरह सीताराम एक ही खेत में, एक ही समय पर, अलग-अलग ऊंचाई वाली कई फसलें उगाते हैं. इस मॉडल से वे ज़मीन के हर इंच का, चाहे वह ज़मीन के नीचे हो, ज़मीन की सतह पर हो, या हवा में ऊपर की ओर हो, पूरा उपयोग करते हैं. सीताराम ने अपनी 30 साल के अनुभव से खेती का एक ऐसा 'संपूर्ण पैकेज' बनाया है, जो कम जमीन में भी लाखों का मुनाफा देता है. वे 'उठी हुई क्यारियों' का इस्तेमाल कर ज़मीन का बेहतरीन प्रबंधन करते हैं, जिस पर वे एक ही साथ ज़मीन के नीचे अदरक, हल्दी, ज़मीन की सतह पर धनिया, पालक और डंडों के सहारे ऊपर बेल वाली लौकी, करेला फसलें उगाते हैं. इस 'फसल विविधीकरण' में वे सब्ज़ियों और मसालों को शामिल करते हैं. वे खेती में बीज उपचार, जैविक खाद कीटों के आईपीएम और पानी की बचत जल संरक्षण जैसी 'एकीकृत' तकनीकों को अपनाते हैं. इसी 'स्मार्ट' मॉडल के दम पर वे प्रति हेक्टेयर 4 से 5 लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमा रहे हैं.
सीताराम का यह 'स्मार्ट' खेती मॉडल भारतीय कृषि का भविष्य दिखाता है. यह तरीका पूरी तरह से 'टिकाऊ' है, क्योंकि यह मिट्टी की सेहत सुधारता है, पानी बचाता है और पर्यावरण को भी फायदा पहुंचाता है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि किसान एक ही जमीन से एक साथ कई फसलें उगाकर अपनी पैदावार को कई गुना बढ़ा सकते हैं, जिससे उनकी आय का दोगुना या तिगुना होना निश्चित है. इस सफल मॉडल को पूरे भारत में, वहां की स्थानीय फसलों के हिसाब से थोड़ा बदलकर, आसानी से अपनाया जा सकता है. सीताराम निगवाल उन सभी किसानों के लिए एक जीती-जागती प्रेरणा हैं, जो यह मान लेते हैं कि कम ज़मीन से अधिक लाभ नहीं लिया जा सकता है. लेकिन सीताराम ने अपने 30 साल के अनुभव और नई सोच के दम पर यह साबित कर दिया है कि किसान यदि 'अन्नदाता' के साथ-साथ 'लाभदाता' भी बनना चाहे, तो उसे बस अपनी सोच और खेती करने के तरीके में थोड़ा बदलाव लाने की ज़रूरत है.
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