Success Story: गढ़चिरौली की धरती में मोती उगाकर दोगुना मुनाफा कमा रहा युवा किसान 

Success Story: गढ़चिरौली की धरती में मोती उगाकर दोगुना मुनाफा कमा रहा युवा किसान 

गढ़चिरौली के युवा किसान रवि बोंगोनीवार पिछले तीन सालों से मोती की खेती कर रहे हैं. सिरोंचा के युवा किसान रवि ने साल 2015-16 में मछली पालन शुरू करने के लिए केंद्रीय मीठा जल मत्स्य पालन संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भुवनेश्वर में ट्रेनिंग के लिए गई थीं. वहां उन्होंने मोती की खेती की ट्रेनिंग हासिल की. मोती की खेती शुरू करने के लिए उत्सुक हो गए.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 16, 2025,
  • Updated Sep 16, 2025, 2:25 PM IST

महाराष्‍ट्र का गढ़चिरौली यूं तो अक्‍सर नक्‍सली हमलों और एनकाउंटर की वजह से चर्चा में रहता है लेकिन अब यहां पर कुछ ऐसा हो रहा है जिसने सोच को बदलने का काम किया है. चंद्रपुर से लगे गढ़चिरौली में वैनगंगा, प्राणहिता, गोदावरी जैसी कई छोटी-बड़ी नदियां बहती हैं. यहां पर किसान यूं तो चावल को मुख्य फसल के तौर पर पसंद करते हैं लेकिन पिछले कुछ समय से यहां युवा किसान नए-नए प्रयोगों को भी आजमाने लगे हैं. पिछले कुछ वर्षों में यहां कपास, सोयाबीन और मक्का की खेती में भी इजाफा हुआ है. इन्‍हीं प्रयोगों में से एक प्रयोग सिरोंचा के एक युवा किसान ने किया जब उन्‍होंने मोती की खेती शुरू की.  

3 सालों से कर रहे मोती की खेती 

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यहां के युवा किसान रवि बोंगोनीवार पिछले तीन सालों से मोती की खेती कर रहे हैं. सिरोंचा के युवा किसान रवि ने साल 2015-16 में मछली पालन शुरू करने के लिए केंद्रीय मीठा जल मत्स्य पालन संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भुवनेश्वर में ट्रेनिंग के लिए गई थीं. वहां उन्होंने मोती की खेती की ट्रेनिंग हासिल की. मोती की खेती शुरू करने के लिए उत्सुक हो गए. उन्होंने अपने 0.20 हेक्टेयर क्षेत्र में 30 गुणा 30 मीटर का गड्ढा खोदकर मछली पालन और मोती पालन शुरू किया है. 

तीन सालों में कमाया दोगुना मुनाफा 

मोती की खेती के लिए वॉटर मैनेजमेंट महत्वपूर्ण होने के कारण, उन्होंने खेती के लिए खोदे गए गड्ढे में आठ फीट पानी जमा किया गया है. पानी में उतार-चढ़ाव जानने के लिए, उन्होंने आठ फीट की दूरी पर पानी की बोतलें रखी हैं. वे एक नली की मदद से मोती उत्पादन की प्रक्रिया पर नजर रखते हैं. मोती उत्पादन के प्रयोग के पहले साल में रवि ने पांच लाख रुपये का इनवेस्‍टमेंट किया.  इसमें सीप और जाल खरीदने सहित कई अलग-अलग खर्च शामिल थे. हालांकि, 15 से 16 महीनों में उन्हें दोगुना उत्पादन मिला. इसलिए, रवि पिछले 3 वर्षों से मोती उत्पादन कर रहे हैं और इससे उन्हें भारी मुनाफा हो रहा है, वे कहते हैं. 

प्राइवेट कंपनी को बेचते मोती 

तैयार मोती एक प्राइवेट कंपनी के प्रतिनिधियों को बेचे जा रहे हैं और कंपनी के प्रतिनिधि मोती उत्पादन के लिए सभी सामग्री उपलब्ध कराते हैं. प्रतिनिधि मोती कैसे बनता है उसका रिव्‍यू भी करते हैं और जरूरी सलाह भी देते हैं. चूंकि उत्पादित मोती कंपनी से ही खरीदे जाते हैं इसलिए बाजार का मुद्दा भी सुलझ गया है. रवि यह खास प्रयोग करके मोती की खेती करने वाले जिले के पहले किसान बन गए हैं. अब उन्‍हें देखकर बाकी किसान भी मोती की खेती की तरफ रुख करने लगे हैं.

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