उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की मेहनत की उपज को सुरक्षित रखने के लिए बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अन्न भंडारण योजना को तेजी से आगे बढ़ाया जाए, ताकि खेतों से निकला अनाज लंबे समय तक सुरक्षित रह सके और किसानों को बाजार में बेहतर दाम मिल सके.
भारत में हर साल भारी मात्रा में अनाज पैदा होता है, लेकिन भंडारण की कमी के कारण उसका बड़ा हिस्सा खराब हो जाता है. बरसात, नमी और चूहों जैसी समस्याओं से किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. इसी समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया है और इसे सहकारिता क्षेत्र से जोड़ने का निर्णय लिया है. योगी आदित्यनाथ का कहना है कि आधुनिक गोदाम किसानों की समृद्धि की नींव हैं और इन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस योजना की शुरुआत 11 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की जा चुकी है, जहां प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) स्तर पर गोदाम बनाए गए हैं. अब इस मॉडल को पूरे देश में फैलाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 35 जिलों में 96 स्थानों पर गोदाम बनने हैं. सरकार ने 15 नवंबर 2025 तक की समय सीमा तय की है ताकि वित्तीय प्रक्रिया पूरी हो जाएं. वहीं जनवरी 2026 से निर्माण कार्य की शुरुआत होगी और अप्रैल 2026 तक सभी गोदामों का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा.
यह योजना सिर्फ गोदाम निर्माण तक सीमित नहीं है. इसे सहकारिता आंदोलन से भी जोड़ा जा रहा है. पैक्स को कंप्यूटरीकृत कर आधुनिक तकनीकों से लैस किया जाएगा ताकि हर किसान सीधे इससे जुड़ सके. हाल ही में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सहकार से समृद्धि' के मंत्र को ध्यान में रखते हुए इस योजना से हर किसान और ग्रामीण परिवार को जोड़ना प्राथमिकता है.
अन्न भंडारण योजना से न केवल किसानों को राहत मिलेगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोजगार भी पैदा होंगे. गोदामों के साथ कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रोसेसिंग यूनिट्स और उचित मूल्य की दुकानें भी स्थापित की जाएंगी. इससे युवाओं को कृषि, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में काम के अवसर मिलेंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
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