किसान ने छोड़ी पारंपरिक गेहूं-धान की खेती, अब मशरूम से हो रही सालाना 21 लाख रुपये की कमाई

किसान ने छोड़ी पारंपरिक गेहूं-धान की खेती, अब मशरूम से हो रही सालाना 21 लाख रुपये की कमाई

दिल्‍ली के किसान पवन कुमार ने मजबूरी में गेहूं और धान की खेती छोड़नी पड़ी. बाद में उन्‍हाेंने कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क किया और मशरूम उगाने की ट्रेनिंग ली. वे सालों से इस खेती में लगे है और अब इसका दायरा भी कई गुना बढ़ा चुके हैं. अब पवन सालाना 21 लाख रुपये से ज्‍यादा मुनाफा कमा रहे हैं.

मशरूम की खेती. (फाइल फोटो)मशरूम की खेती. (फाइल फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 22, 2024,
  • Updated Sep 22, 2024, 5:23 PM IST

दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के हसनपुर गांव के रहने वाले किसान पवन कुमार को इलाके में जमीन के खारे पानी के चलते खरीफ सीजन के दौरान गेहूं और सरसों उगाने में दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा था, जिससे उनके खेत में अनाज की पैदावार बहुत कम रह गई थी. ऐसे में उनकी सालाना वार्षिक आय पर भी काफी असर पड़ा. आखिरकार उन्‍होंने आईसीएआर- कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली जाने का फैसला किया और वहां कृषि वैज्ञानिकों से सलाह मांगी और उनके दिन बदल गए.

2016 में मशरूम खेती की ट्रेनि‍ंंग ली 

कृषि वैज्ञानिकों ने पवन कुमार को मशरूम की खेती करने की सलाह दी तो उन्‍होंने इसे व्यवसायिक उद्यम के रूप में अपनाने के लिए इसलिए हामी भर दी, क्‍योंकि उनका मानना ​​है कि यह मौजूदा पारंपरिक खेती से ज्‍यादा लाभदायक होगी और उनकी सालाना आय भी बढ़ेगी. वर्ष 2016 में पवन कुमार ने आईसीएआर-केवीके परिसर में मशरूम की खेती के  व्यावसायिक प्रशिक्षण में शामिल हुए थे.

इसके बाद उन्होंने अपने खेत में एक मशरूम यूनिट बनाई और आईसीएआर-केवीके के वैज्ञानिकों से लगातार सलाह मशवरा लेते रहे और उसके अनुसार सुधार करते रहे. जब पवन का व्यावसायिक प्रशिक्षण पूरा हो गया तो उन्होंने 2017 में आईसीएआर-केवीके की देखरेख में 900 वर्ग फीट क्षेत्र में बटन मशरूम की खेती के लिए उत्पादन इकाई बनाई. आईसीएआर-केवीके से उन्‍हें तापमान और आर्द्रता नियंत्रण, खाद तैयार करने, स्पॉनिंग, केसिंग और पिकिंग के लिए तकनीकी सहायता मिली.

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2022 में बढ़ाया खेती का दायरा 

बाद में पवन ने मशरूम फार्म को और आगे बढ़ाने के लिए आईसीएआर- मशरूम अनुसंधान निदेशालय, सोलन में बात की और फिर 2022-23 में अपनी हाई-टेक मशरूम यूनिट का दायरा 900 वर्ग फीट से बढ़ाकर 5000 वर्ग फीट कर दिया और केसिंग तैयार करके दूसरे उत्पादक को बेच दिया. 

पवन ने शुरुआत में स्थानीय बाजार में मशरूम बेचे, लेकिन बाद में उन्होंने दिल्ली-एनसीआर के रेस्‍टोरेंट्स और मॉल में मशरूम बेचना शुरू किया. ऑफ-सीजन की खेती के दौरान पवन को अब अच्छे दाम मिल रहे हैं. पवन अब कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग भी कर रहे है. वहीं, उन्‍होंने मशरूम सप्‍लाई के लिए बुकिंग पोर्टल भी बनाया. 

ऑफ-सीजन में बढ़ जाते हैं दाम

वर्तमान की बात करें तो अभी मशरूम की कीमत 100 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि ऑफ-सीजन में भाव बढ़कर 160-180 रुपये प्रति किलोग्राम हो जाते हैं. पवन अब दक्षिण पश्चिम दिल्ली के एक छोटे उत्पादक से भी बटन मशरूम भी खरीदते हैं और अपनी मशरूम यूनिट से लगभग 54000 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन करते हैं. अब उन्हें सालाना 21,60,000 रुपये की शुद्ध आय हासलि होती है.

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