
हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष और हरियाणा कॉन्फैड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने सरकार की फसल खरीद नीतियों पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि गलत नीतियों के कारण प्रदेश के किसान और आढ़ती बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार धान, बाजरा और कपास जैसी प्रमुख फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नहीं कर रही है. गर्ग ने एक बयान में कहा कि धान का एमएसपी 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय है, लेकिन किसान इसे 1,750 से 2,200 रुपये में बेचने को मजबूर हैं.
उन्होंने कहा कि कपास की एमएसपी 8,100 रुपये है, जबकि बाजार में इसका भाव 6,500 से 7,000 रुपये तक ही मिल रहा है. इसी तरह बाजरे का एमएसपी 2,775 रुपये है, लेकिन किसान इसे 1,500 से 2,000 रुपये में बेचने को मजबूर हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों से हर फसल का एक-एक दाना खरीदने का वादा किया था, लेकिन अब सरकारी खरीद ठप पड़ी है. इससे किसान औने-पौने दामों में अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं.
बजरंग गर्ग ने सरकार पर आढ़तियों को खत्म करने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कपास और सरसों की कमीशन खत्म कर दी गई है, जिससे आढ़ती वर्ग पर सीधा संकट आ गया है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब कमीशन ही नहीं मिलेगा, तो आढ़ती मंडी में दुकान चलाकर क्या करेगा?
उन्होंने मांग की कि सरकार को पहले की तरह सभी अनाजों की खरीद आढ़तियों के माध्यम से करनी चाहिए. मुख्यमंत्री नायब सैनी पर निशाना साधते हुए गर्ग ने कहा कि सीएम ने धान की खरीद 3,100 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की थी, लेकिन यहां तो एमएसपी 2369 रुपये प्रति क्विंटल पर भी खरीद नहीं हुई.
सरकार ने वादा ही पूरा नहीं किया. उन्होंने सरकार के वादे को झूठा पुलिंदा करार दिया. गर्ग ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों और व्यापारियों से किए वादे तोड़े हैं और अब दोनों वर्गों का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है.
इधर, प्रदेश में बाजरा खरीद प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बड़ा कदम उठाते हुए कनीना और कोसली मंडियों के सचिव-सह-ईओ को तत्काल निलंबित कर दिया है. करनाल में फर्जी गेट पास जारी करने पर तीन अधिकारी भी सस्पेंड किए गए हैं. सीएम ने स्पष्ट किया कि किसानों के हितों से समझौता बर्दाश्त नहीं होगा और मंडियों में पारदर्शी खरीद प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी.