
पंजाब में पराली का मौसम जारी है और इस बीच एक ऐसी एप किसानों के लिए मौजूद है जो किसानों को पराली के मैनेजमेंट में किसानों की बड़ी मदद कर रही है. इस एप पर किसानों को एक चैटबॉट मिलता है जो उन्हें बताता है कि वो कैसे पराली को मैनेज कर सकते हैं. इस एप पर किसानों को पराली मैनेजमेंट से जुड़ी हर जानकारी रियल टाइम बेसिस पर मिलती है. यह एप करीब दो हफ्ते पहले लॉन्च हुई है और इस समय किसानों की बड़ी साथी बन गई है.
पराली के बदनाम मौसम में सांझ पंजाब ने एक अहम महत्वपूर्ण रिपोर्ट ‘लिसनिंग टू फार्मर्स ऑन सीआरएम मशीनरी’ को कुछ दिनों पहले लॉन्च किया था. इसके साथ ही एक चैटबॉट भी लॉन्च किया गया जो किसानों को पंजाबी भाषा बताता है कि आखिर उन्हें धान के पुआल को कैसे प्रबंधित करना है. ए2पी एनर्जी की तरफ से विकसित यह चैटबॉट पंजाबी भाषा में एक सरल और बातचीत पर आधारित इंटरफेस मुहैया कराता है.
इसकी मदद से किसान सीआरएम मशीनरी बुक कर सकते हैं, मिट्टी के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और फसल विविधीकरण व प्रबंधन से संबंधित सलाह ले सकते हैं. यह टूल किसानों और विशेषज्ञों के बीच की जानकारी की कमी को दूर करता है और बिचौलियों पर निर्भरता कम करता है. इसका मकसद किसानों को तुरंत खास मदद सहयोग उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी उत्पादकता और लचीलापन दोनों बढ़ सकें. इस चैटबॉट को अमृतसर में लॉन्च किया गया.
‘सांझ’ पहल अब तक 3 लाख से ज्यादा किसानों तक पहुंच चुकी है. इसका मकसद किसानों की आवाज को और मजबूत करना, उन्हें टेक्निकल असिस्टेंस प्रदान करना और पंजाब की कृषि प्रणाली में स्थायी बदलाव लाने के लिए नीतिगत सुधारों में योगदान देना है. यह चैटबॉट A2P एनर्जी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और सीईओ सुखमीत सिंह ने डिजाइन किया है.
उन्होंने कहा, 'यह पायलट चैटबॉट किसानों के मोबाइल फोन पर रियल-टाइम सहायता पहुंचाने के लिए बनाया गया है. यह उन्हें फसल अवशेष प्रबंधन, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और बेहतर खेती के निर्णय लेने में मदद करता है. यह चैटबॉट सरल, संवादात्मक और पंजाबी भाषा में है ताकि तकनीक को किसानों के लिए आसान और सुलभ बनाया जा सके.'
खेती विरासत मंच के उमेंद्र दत्त ने पहल के गहरे पारिस्थितिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'फसल अवशेष प्रबंधन सिर्फ मशीनों तक सीमित नहीं है, यह किसान और खेत के बीच के संबंध को फिर से जीवित करने की प्रक्रिया है. यह पहल दिखाती है कि जब सही तकनीक को किसानों पर भरोसे के साथ जोड़ा जाता है, तो हम न केवल मिट्टी को स्वस्थ बनाते हैं बल्कि पानी को स्वच्छ और खेती को अधिक सम्मानजनक भी बनाते हैं.'