व्यापारी खेत से ही खरीद लेते हैं पपीते की पूरी उपज...पढ़िए बिहार के किसान की Success Story

व्यापारी खेत से ही खरीद लेते हैं पपीते की पूरी उपज...पढ़िए बिहार के किसान की Success Story

किसान राजेश यादव बताते हैं कि अभी वे एक एकड़ में पपीते की खेती करते हैं. बाकी खेतों में धान और गेहूं की खेती करते हैं. वे कहते हैं कि अगर 10 एकड़ में भी कोई अन्य खेती करें तो पपीते की बराबरी नहीं कर पाएगा. बाकी फसलों को बेचने के लिए किसान को व्यापारी को ढूंढना पड़ता है, लेकिन पपीते के लिए व्यापारी ही किसान को ढूंढते हैं.

पपीते की खेतीपपीते की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 22, 2024,
  • Updated Oct 22, 2024, 1:11 PM IST

बिहार में पूर्वी चंपारण के एक रिटायर्ड फौजी ने खेती में कमाल कर दिखाया है. इस फौजी ने सेना से रिटायर होने के बाद दूसरी नौकरी नहीं की बल्कि खेती को अपना पेशा चुना और उसमें बड़ी कामयाबी हासिल की. आज वे खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं और दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं. आइए इस किसान की सफलता की कहानी के बारे में जान लेते हैं. पूर्वी चंपारण के इस सफल किसान का नाम राजेश यादव है.

किसान राजेश ने पूर्वी चंपारण के पीपरा कोठी में कृषि विज्ञान केंद्र से मदद ली और खेती की तकनीक सीखी. किसान राजेश ने धान, गेहूं जैसी परंपरागत फसलों की खेती से हटकर पपीता जैसी बागवानी फसल को अपनाया. इसके लिए उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेने के साथ ही उत्तम किस्म के बीज भी लिए. इस किसान ने धान, गेहूं जैसी परंपरागत फसल को छोड़कर पपीते की रेड लेडी किस्म की खेती की. इसके बाद 10 महीने में उनकी मेहनत रंग लाने लगी. आज उन्हें पपीते की अच्छी कीमत मिल रही है.

राजेश यादव की कहानी

किसान राजेश यादव बताते हैं कि अभी वे एक एकड़ में पपीते की खेती करते हैं. बाकी खेतों में धान और गेहूं की खेती करते हैं. वे कहते हैं कि अगर 10 एकड़ में भी कोई अन्य खेती करें तो पपीते की बराबरी नहीं कर पाएगा. बाकी फसलों को बेचने के लिए किसान को व्यापारी को ढूंढना पड़ता है, लेकिन पपीते के लिए व्यापारी ही किसान को ढूंढते हैं. व्यापारी पका हुआ फल खेत से ही ले जाते हैं. 

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किसान राजेश यादव ने पपीते की खेती की शुरुआत महज 5 कट्ठा खेती से की जिसमें उन्हें शानदार मुनाफा हुआ. इससे हुई कमाई ने राजेश यादव का उत्साह इतना बढ़ाया कि वे 5 कट्ठा से बढ़कर एक एकड़ में पपीता उगाने लगे. आज पपीते की उन्नत किस्में उनके खेतों में लहलहा रही हैं. राजेश बताते हैं कि पपीते की खेती में डेढ़ लाख रुपये की पूंजी लगाकर वे 10 लाख रुपये कमा चुके हैं. उनकी खेती आज अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है. राजेश के नक्शेकदम पर चलते हुए पीपरा कोठी गांव के आसपास के 20 किसानों ने पपीते की खेती की है.

सब्सिडी का मिला फायदा

पूर्वी चंपारण जिला उद्यान के सहायक निदेशक विकास कुमार ने 'डीडी न्यूज बिहार' को बताया कि पपीते की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी दी जा रही है. पपीते की खेती का लागत मूल्य 60 हजार रुपये है जिसमें 75 फीसदी सब्सिडी किसानों को दी जाती है. सब्सिडी का प्रावधान दो साल के लिए है. पहले साल किसान को खेती की लागत का 75 प्रतिशत और दूसरे साल 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है. 

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राजेश यादव ने इस सब्सिडी का लाभ उठाते हुए पपीते की लाभकारी खेती की है. आज उनकी खेती का कमाल है कि उन्होंने इसमें 20 लोगों को रोजगार दिया है. साथ ही कई किसान पपीते की खेती में आगे बढ़े हैं जिससे उन्हें भविष्य में अच्छी कमाई की उम्मीद जगी है.

 

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