खेती और पशुपालन से हमारे देश के ग्रामीण किसानों का सदियों पुराना नाता रहा है लेकिन अब शहरी लोग भी इससे जुड़ रहे हैं. हमने ऐसे कई लोग भी देखे हैं जो लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़ कर खेती और पशुपालन से जुड़ कर अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. ऐसा ही एक किस्सा गाजियाबाद से है जहां एक साधारण किसान परिवार से आने वाले असीम सिंह रावत देसी गायों को पालकर अपने बिजनेस को वहां तक पहुंचा दिया जिससे उन्हें देश भर में खास पहचान मिली है. आज असीम के देसी गायों की संस्था हेता गौशाला के नाम से देशभर में जानी जाती है.
असीम सिंह रावत ने बताया कि शुरुआत में उनके पास बहुत अधिक पूंजी नहीं थी. वे साल 2015 में दो गाय लेकर आए थे और एक प्रयोग के तौर पर इस संस्था की शुरुआत की थी, जिसके कुछ ही दिनों बाद उन्हें फायदा देखने को मिला. कुछ दिनों बाद अन्य डेयरी से जो घाटा या किसी अन्य कारण से उन्हें कुछ गौवंश मिले जिसे असीम ने अपनी डेयरी में पाला और देखभाल की उसके बाद उनसे बिजनेस लाभ मिलने लगा. कुछ ऐसे भी लोग हुए जो उनकी गौशाला में पशु छोड़कर जाते हैं जिसके बाद आज उनके बाड़े में 1100 से अधिक गौवंश हो गए हैं.
गाजियाबाद स्थित हेता गौशाला में किसानतक की टीम पहुंच कर इसके बारे में और अधिक जानने की कोशिश की. हेता के फाउंडर असीम रावत से जब इसकी कमाई को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि वे गौशाला से मिलने वाले दूध से मिल्क प्रोडक्ट्स, गोबर, गौमूत्र और पंचगव्य से कई उपयोगी चीजें बनाते हैं. इसके अलावा हेता कैंपस में कई औषधीय पौधे हैं जिनसे कई कॉस्मेटिक और मेडिकल प्रोडक्ट्स बनाते हैं.
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हेता में आज 130 तरह के प्रोडक्ट्स बनाए और बेचे जाते हैं जिससे ये संस्था सालाना 10 करोड़ की कमाई करती है. हलांकि इसमें पशुओं के रखरखाव और खान-पान के खर्च के साथ ही संस्था की देखभाल के लिए लगभग 120 गौपालक और कर्मचारियों की सैलरी और बेसिक जरूरतों का खर्च भी शामिल है. 10 करोड़ के रेवन्यू में इन सभी चीजों की कटौती करने के बाद भी ठीकठाक फायदा होता है, वास्तव में में सालाना कमाई करोड़ों में है.
असीम से जब पूछा गया कि नया पशुपालक कैसे डेयरी फार्मिंग से करोड़ों की कमाई तक पहुंच सकता है? तब उन्होंने बताया कि खेती और पशुपालन जल्दी से पैसा बनाने का बिजनेस नहीं है इसके लिए आपको लंबा टाइम देना होगा. सबसे पहले 2-4 गायों से शुरुआत करें और देखें कि इसमें आपका मन लग रहा है या नहीं. पशुपालन में रुचि है तो पशुओं की उन्नत नस्ल, बेहतर खान-पान और कायदे का रखरखाव जरूरी है. उसके बाद आप बाजार मांग की अच्छी जानकारी लें और उसके अनुसार जरूरतों को पूरा करें. डेयरी से मिलने वाले हर उत्पाद का उपयोग करें और उसकी क्वालिटी को बेहतर बनाए रखने पर ध्यान दें, केवल लाभ ना देखकर गुणवत्ता पर ध्यान दें और धीरे-धीरे बिजनेस बड़ा करते रहें.