प्राकृतिक खेती से 700 प्रतिशत बढ़ गई इस आदिवासी किसान की इनकम, इन फसलों की कर रहे खेती

प्राकृतिक खेती से 700 प्रतिशत बढ़ गई इस आदिवासी किसान की इनकम, इन फसलों की कर रहे खेती

किसान राजूभाई ने आगे बताया कि उन्होंने अपनी फसल में विविधता लाई और इस साल 25,000 स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए. प्राकृतिक खेती के तरीकों के साथ अपने प्रयोगों के बारे में बात करते हुए राजूभाई कहते हैं कि हम मौसम के अनुसार करेला, टमाटर, गैलोज़ और धान जैसी फसलें लगाते हैं.

स्ट्रॉबेरी की खेती में खाद की जरूरतस्ट्रॉबेरी की खेती में खाद की जरूरत
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 05, 2024,
  • Updated Aug 05, 2024, 12:42 PM IST

गुजरात में आदिवासी किसान बड़े स्तर पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है. खास बात ये है कि ये आदिवासी किसान आधुनिक तकनीकों की मदद से स्ट्रॉबेरी उगा रहे हैं. पानी बचाने के लिए वे ड्रिप सिंचाई तकनीक को अपना रहे हैं. इससे डांग जिले के किसान अन्य जिले के युवा किसानों के लिए आदर्श बन गए हैं. लेकिन आज हम अहवा तालुका के गलकुंड गांव निवासी राजूभाई बुधभाई साहरे के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो जैविक विधि से स्ट्रॉबेरी की खेती कर साल में लाखों रुपये कमा रहे हैं.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान राजूभाई बुधभाई साहरे ने ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करके 2023 में दो हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. इससे उन्हें पहले साल ही 3 लाख रुपये का लाभ फायदा हुआ. 40 वर्षीय राजूभाई बुधभाई साहरे ने बागवानी विभाग से ट्रेनिंग लेने के बाद वैज्ञानिक विधि से खेती कर रहे हैं. साल 2021 में वे 2 हेक्टेयर में करेला लगाकर 55,000 रुपये कमाए थे, जिससे उन्हें 40,000 रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था. खास बात यह है कि प्राकृतिक खेती से राजूभाई ने अपनी फसलों में विविधता लाई. 2023-24 तक, उन्होंने मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई तकनीकों का उपयोग करके मिर्च, करेला, टमाटर और ब्रोकली से 4 लाख 40 हजार रुपये की कमाई की. पिछले तीन वर्षों में उनकी आय में 700 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

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100 प्रतिशत कमाया मुनाफा

राजूभाई ने आगे बताया कि उन्होंने अपनी फसल में विविधता लाई और इस साल 25,000 स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए. प्राकृतिक खेती के तरीकों के साथ अपने प्रयोगों के बारे में बात करते हुए राजूभाई कहते हैं कि हम मौसम के अनुसार करेला, टमाटर, गैलोज़ और धान जैसी फसलें लगाते हैं. हालांकि, डांग में ब्रोकली को ज़्यादा पसंद नहीं किया जाता है, लेकिन मैंने इसे आज़माने का फ़ैसला किया. पिछले साल, मैंने 7,000 स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए और 100 प्रतिशत मुनाफ़ा कमाया. इस साल, मैंने 25,000 स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए हैं.

पूरा परिवार कर रहा प्राकृतिक खेती

राजूभाई ने यह भी बताया कि वे और उनके भाई प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं. उनकी दो बड़ी बेटियां और एक बेटा अभी पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने सरकार को इसके समर्थन और सहायता के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि हमें बागवानी विभाग से सब्सिडी मिलती है, जिसमें ज़रूरी प्रशिक्षण और सहायता शामिल है. विभाग ने कच्चे मंडप, बीज, प्लास्टिक रैप, पैकिंग सामग्री और आम की ग्राफ्टिंग में सहायता की है. उनकी माने तो गुजरात सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सक्रिय रूप से समर्थन और प्रशिक्षण दिया है. जैसे-जैसे यह लोकप्रिय हो रहा है, कई किसान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती में शामिल किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए 2021 से 2023-24 तक 1603 लाख रुपये की सहायता आवंटित की गई है.

केंद्र सरकार की खास तैयारी

दरअसल, गुजरात के वन क्षेत्र डांग को 2021 में "आपणु डांग, प्राकृतिक डांग" (हमारा डांग, प्राकृतिक डांग) अभियान के तहत पूरी तरह से प्राकृतिक खेती वाला जिला घोषित किया गया है. यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की मजबूत पहल का पूरक है, जिसमें हाल ही में केंद्रीय बजट में देश भर में 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीकों में शामिल करने की प्रतिबद्धता जताई गई है. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात में प्राकृतिक खेती को अपनाने में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. डांग को प्राकृतिक खेती वाला जिला घोषित किए जाने से कृषि से जुड़े आदिवासी युवाओं के जीवन पर गहरा असर पड़ा है.

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