Success Story: यूपी के इस गांव में 40 से अधिक हैचरी, मछली पालन से करोड़पति बन रहे किसान

Success Story: यूपी के इस गांव में 40 से अधिक हैचरी, मछली पालन से करोड़पति बन रहे किसान

Fish Hatcheries: मुरादाबाद मंडल के जिला मत्स्य अधिकारी विजय शंकर चौरसिया ने बताया कि 45 फिश हैचरी है, लेकिन वर्तमान में 35 हैचरी ही काम कर रही है. उन्होंने बताया कि इन किसानों का मुख्य कार्य मत्स्य बीज के उत्पादन का है. 

यूपी के इस गांव में बीज तैयार करने के अलावा बड़े स्तर पर मछली पालन भी हो रहा (फोटो-किसान तक)यूपी के इस गांव में बीज तैयार करने के अलावा बड़े स्तर पर मछली पालन भी हो रहा (फोटो-किसान तक)
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Nov 22, 2024,
  • Updated Nov 22, 2024, 3:22 PM IST

मछली पालन से कम लागत में अधिक का मुनाफा कमा सकते हैं. उत्तर प्रदेश के रामपुर के धनौरा गांव के किसान मछली पालन से मोटी कमाई कर रहे हैं. सबसे खास बात हैं कि इस गांव में 40 से अधिक फिश हैचरी है. किसानों ने बताया कि इस क्षेत्र की जमीन बंजर होने की वजह से लोगों ने मछली पालन शुरू किया था और धीरे धीरे पूरे गांव में बड़े-बड़े तालाब और हैचरी बनते गए. अब यहां करोड़ों की संख्या में मछली बीज तैयार होता है, जो यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब समेत विभिन्न राज्यों तक जाता है.

 राहु, चाइना, चिलकारा जैसी वैरायटी 

फिश फार्मिंग के कारोबार से जुड़े किसान बलबीर सिंह ने इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में बताया कि 2003 से हम मछली पालन कर रहे है. कुल 18 एकड़ में जमीन पर हम मछलियों के बीज का काम करते है. मेरा भतीजा कर्मजीत सिंह भी मेरे साथ कारोबार में जुड़ा हुआ है. दरअसल, मेरे भाई गुरुदीप सिंह की मौत दो साल पहले हो गई थी. उन्होंने बताया कि छोटी मछलियां जैसे राहु, चाइना, चिलकारा कामन, पतला जैसी वैरायटी के बीजों की पैदावार कर रहे है. इन मछलियों के बीज की सप्लाई लोकल मार्केट से लेकर यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब समेत विभिन्न राज्यों तक जाता है.

हैचरी खोलने के लिए मिला 15 लाख का अनुदान

लागत और मुनाफे के सवाल पर बलबीर सिंह बताते हैं कि एक एकड़ में 2 से 3 लाख रुपये की बचत हो जाती है, यानी 18 एकड़ में 57 लाख रुपये की कमाई एक साल में कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि फार्म अधिक होने से यहां कंपटीशन हो गया है. कुछ लोग बीज का दाम सस्ते दरों पर बेच कर मार्केट को खराब कर रहे है. वहीं महुआ खली, डीजल और बिजली के बिल बढ़ने के कारण खर्चा बहुत ज्यादा हो जाता है. वहीं सरकार के द्वारा हैचरी प्लांट खोलने के लिए 15 लाख रुपये का अनुदान मिला था, कुल 25 लाख का प्रोजेक्ट था. उसी पैसा से हमने यह फार्म तैयार किया था.  

एक साल में 2 करोड़ की कमाई

वहीं, किसान रघुवीर सिंह ने बताया कि मछली पालन से एक करोड़ से लेकर 1.5 करोड़ के बच्चे मछली के तैयार हो जाता है. उन्होंने बताया कि मछली पालन से अच्छा कोई कारोबार नहीं है. मछलियों की देखभाल अगर ठीक से किया जाए तो एक साल में किसान 2 करोड़ रुपये की कमाई असानी से कर सकता है. वहीं व्यापारी खुद तालाब पर आकर सारा माल खरीदकर ट्रकों से ले जाते है.

मत्स्य विभाग के चिकित्सकों की सलाह

कर्मजीत सिंह ने बताया कि मेरे पिता स्वर्गीय गुरुदीप सिंह 20 सालों से मछली पालन कर रहे थे, उस वक्त  3 से 4 मछलियों के फार्म थे, लेकिन अब बढ़ते- बढ़ते 45 हो गए है. पिता जी के निधन के बाद हम पंगेसियस मछली के बीज का कारोबार करते है. उन्होंने बताया कि जब से फिशरीज का काम कर रहे है, हमको फायदा ही हुआ है. मत्स्य विभाग के चिकित्सकों की सलाह लिया जाता है और उनके बताए हुए दवा का छिड़काव किया जाता है. वहीं तालाब में चुना का भी छिड़काव किया जाता है.

40 से 45 करोड़ मछलियों के बच्चे का उत्पादन

मुरादाबाद मंडल के जिला मत्स्य अधिकारी विजय शंकर चौरसिया ने बताया कि 45 फिश हैचरी है, लेकिन वर्तमान में 35 हैचरी ही काम कर रही है. उन्होंने बताया कि इन किसानों का मुख्य कार्य मत्स्य बीज के उत्पादन का है.  रामपुर के धनौरा गांव में किसान 200 हेक्टयर में मछलियों के बीज का कारोबार बड़े पैमान पर कर रहे है. यहां एक साल में 40 से 45 करोड़ मछलियों के बच्चे का उत्पादन हो रहा है. 80 प्रतिशत बच्चे प्रदेश के अलग-अलग राज्यों में सप्लाई हो जाता है, जबकि 20 प्रतिशत मछलियों के बच्चों को डिमांड आने पर सेल करते है. 

 

MORE NEWS

Read more!