यूपी : खाद्य प्रसंस्करण नीति लागू होने के बाद मिले उम्मीद से ज्यादा निवेश के प्रस्ताव

यूपी : खाद्य प्रसंस्करण नीति लागू होने के बाद मिले उम्मीद से ज्यादा निवेश के प्रस्ताव

यूपी में उद्यान और खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने नई फूड प्रोसेसिंग पॉलिसी पिछले सप्ताह लागू कर दी है. इस नीत‍ि ने यूपी को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के मकसद से राज्य में भारी निवेश की संभावनाओं को गति दे दी है. ज्यादा से ज्यादा निवेश जुटाने की चुनौती का सामना कर रही यूपी सरकार के उद्यान विभाग को नई नीति ने उम्मीद से ज्यादा निवेश जुटाने का रास्ता साफ कर दिया है.

यूपी सरकार की नई खाद्य प्रसंस्करण नीति दे रही किसानों को उद्यमी बनने का प्रोत्साहन यूपी सरकार की नई खाद्य प्रसंस्करण नीति दे रही किसानों को उद्यमी बनने का प्रोत्साहन
न‍िर्मल यादव
  • Lucknow,
  • Feb 11, 2023,
  • Updated Feb 11, 2023, 7:00 AM IST

यूपी में उद्यान विभाग के निदेशक डॉ. आर के तोमर ने बताया कि 'खाद्य प्रसंस्करण नीति 2023' में निवेश संबंधी बाधाओं को दूर कर दिया गया है. नतीजतन, गत 2 फरवरी को नई नीति लागू होने के अगले दिन से ही खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में औसतन एक से दो हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्रतिदिन विभाग को मिलने लगे हैं. डॉ. तोमर ने इसे न सिर्फ विभाग के लिए बल्क‍ि प्रदेश के किसानों के लिए भी भविष्य का शुभ संकेत बताया है. उन्होंने कहा कि इस नीत‍ि के कारण यूपी में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र निवेश के लिहाज से सर्वाध‍िक सुरक्षि‍त क्षेत्र बन गया है.

डॉ. तोमर ने बताया कि 10 फरवरी से लखनऊ में आयोजित हुई यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के मद्देनजर उद्यान विभाग को राज्य में 40 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य दिया गया था. पिछले एक महीने से जारी प्रयासों के बाद विभाग को 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले थे. नई नीति लागू होने के महज एक सप्ताह के भीतर लगभग 25 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव विभाग को मिल चुके हैं. उन्होंने बताया कि 9 फरवरी तक निर्धारित लक्ष्य से कहीं ज्यादा 46,560 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों के सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर हाे गए हैं. 

बाराबंकी से मिला सबसे बड़ा निवेश प्रस्ताव

डॉ. तोमर ने बताया कि उद्यान विभाग को अब तक का सबसे बड़ा निवेश प्रस्ताव बाराबंकी में अत्याधुनिक फूड प्रोसेसिंग पार्क लगाने का मिला है. लगभग 6000 करोड़ रुपये के निवेश का यह प्रस्ताव हाईलेंड इंडस्ट्रियल इंफ्रा कंपनी की ओर से युवा उद्यमी अनुज कुमार सिंह द्वारा दिया गया है. इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न इलाकों में कोल्ड स्टोरेज, छोटी और बड़ी फूड प्रोसेसिंग यूनिट और एडवांस तकनीक पर आधारित सब्जी और फलों के प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के लिए भी निवेश के प्रस्ताव मिले हैं. 

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सबसे तेज गति से बढ़ रहा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र

डॉ. तोमर ने कहा कि नई खाद्य प्रसंस्करण नीति में जमीन की उपलब्धता और निवेश शर्तों को आसान बनाया गया है. साथ ही निवेश की प्रक्रिया को भी व्यर्थ की जटिलताओं से मुक्त किया गया है. इस वजह से नई नीति लागू होने के बाद निवेशकों का विश्वास बढ़ा है, जिससे यूपी में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र तेजी से उभर कर निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बना है. उन्होंने भरोसा जताया कि इस क्षेत्र में निवेश की गति में अभी और तेजी आना तय है.

किसानों को कैसे होगा लाभ

खाद्य प्रसंस्करण एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जो किसानों को उनके कृष‍ि उत्पादों का उचित मूल्य दिला सकता है. डॉ. तोमर ने कहा कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा फूड प्रोसेसिंग उद्योग पनपने से प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की सप्लाई चेन मजबूत होगी. इससे मांग और आपूर्ति का संतुलन कायम हो सकेगा. इससे किसान गेहूं और धान जैसी ज्यादा लागत और जोखिम वाली फसलें छोड़ कर बागवानी फसलों की ओर रुख करेंगे. इससे उनके उत्पादों में उचि‍त मूल्य भी मिल सकेगा. डॉ. तोमर ने कहा कि नई नीति में छोटे और मझोले किसानों को भी खेत पर ही प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है. इससे किसानों को भी उद्यमशील बनाने में मदद मिल सकेगी. 

यूपी में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

डॉ. तोमर ने दलील दी क‍ि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में कम निवेश करके अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने की स्वाभाविक क्षमता होती है. धान से चावल बनाने या गेहूं से आटा और दलिया बनाने या फिर सरसों से तेल निकालने की बहुत छोटी यूनिट लगाने वाले किसान कम से कम 4 या 5 लोगों को रोजगार देने में सक्षम हो जाते हैं. जबकि इतनी छोटी यूनिट लगाने में महज एक से दो लाख रुपये की लागत आती है और इस पर भी सरकार किसान काे 50 फीसदी तक अनुदान देती है. इस प्रकार य‍ह उद्योग किसानों को कम लागत पर अधिक मुनाफा पाने और राेजगार देने में सक्षम बनाता है. 

सरकारी नीति से मिले ये लाभ

नई नीति के लाभप्रद प्रावधानों का जिक्र करते हुए डॉ. तोमर ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिए 12.5 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदने की जरूरत होने पर लैंड यूज में बदलाव करने की प्रक्रिया को सरल कर दिया गया है. नई नीति के तहत इस तरह के उद्योग लगाने के लिए जमीन का रकबा बढ़ाकर 20 हेक्टेयर तक कर दिया गया है. इसमें 20 हेक्टेयर तक जमीन खरीदने की अनुमति जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन करने से 45 दिन के अंदर देनी होगी. अगर जमीन की जरूरत 40 हेक्टेयर तक है तो इसकी खरीद की अनुमति मंडलायुक्त देंगे और 40 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन खरीदने की अनुमति राज्य सरकार 45 दिन के भीतर प्रदान करेगी.

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इस मामले में जमीन का लैंडयूज बदलवाने में लगने वाले शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट भी दी गई है. जबक‍ि गैर कृष‍ि उपयोग वाली जमीन पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिए जमीन के सर्किल रेट पर लगने वाला 2 प्रतिशत शुल्क अब माफ कर दिया गया है. साथ ही इस प्रक्रिया को आसान करते हुए 45 दिन में पूरा करने का प्रावधान इस नीति में कर दिया गया है. 

डॉ. तोमर ने दावा किया कि इन उद्योगों को मंडी शुल्क, स्टांप शुल्क में छूट मिलने के कारण जमीन खरीदने से लेकर कृष‍ि उत्पादों का निर्यात करने तक, मिली तमाम तरह की सब्सिडी के कारण खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र अब बेहद प्रतिस्पर्धी हो जाएगा. इसका सीधा लाभ किसानों को कृष‍ि उत्पादों के उचित दर पर बाजार मूल्य के रूप में मिलेगा. 

छोटे और सीमांत किसान भी होंगे लाभान्वित

डॉ. तोमर ने कहा कि इस नीति में लघु और सीमांत किसानों को भी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जोड़ने की व्यवस्था की गई है. इस श्रेणी के किसानों को प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग योजना (पीएमएफएमई) के तहत 10 लाख रुपये तक की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर कुल लागत का 35 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है. इसमें छोटे किसान आसानी से छोटी इकाइयां लगाकर अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं.

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