उत्तर प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की योजनाओं को और रफ्तार देने के लिए बड़ी पहल कर रही है. इसी क्रम में योगी सरकार किसानों को मशरूम उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. प्रदेश के उद्यान निदेशक डॉ. भानु प्रकाश राम ने इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती किसानों के लिए एक नकदी फसल है. इसी के तहत मशरूम की यूनिट्स और लैब लगाने में किसानों की मदद की जा रही है. जिसके तहत 40 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है.
वह कहते हैं कि मशरूम के कल्टीवेशन के लिए भी 50 प्रतिशत का अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है. उद्यान निदेशक ने बताया कि एकीकृत बागवानी मिशन केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित एक योजना है, जिसका उद्देश्य फल, सब्जियां, मसाले, फूल और अन्य बागवानी फसलों के समग्र विकास के लिए किसानों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना है. यह योजना बागवानी मशीनीकरण, नई तकनीकों, संरक्षित खेती, और कटाई-पश्चात प्रबंधन को बढ़ावा देकर किसानों की आय और उत्पादकता में सुधार करती है. इस दिशा में मदद के लिए सरकार आगे आई है. इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है लेकिन खेती सिर्फ सर्दियों में होती है.
उद्यान निदेशक डॉ. भानु प्रकाश राम के मुताबिक, इस योजना के तहत 60 प्रतिशत की राशि भारत सरकार के द्वारा दी जाती है, वहीं 40 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती है. उन्होंने बताया कि जो भी किसान मशरूम का वातानुकूलित यूनिट या लैब लगाना चाहते हैं, वे उद्यान विभाग में ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. यूनिट की कुल लागत लगभग ₹80 लाख है. सरकार किसानों को इस लागत का 40% अनुदान देती है. आवेदन के लिए डीपीआर (डिजाइन प्रोजेक्ट रिपोर्ट), आधार कार्ड, जमीन के कागजात और बैंक पासबुक की जरूरत पड़ेगी.
डॉ. भानु प्रकाश राम ने आगे बताया कि आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अनुदान सीधे किसान के खाते में भेज दिया जाता है. मशरूम की खेती से पूरे साल साप्लाई की जा सकती है, जिससे किसानों को लगातार मुनाफा मिलता है. इसके लिए उद्यान विभाग समय-समय पर तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण दे रहा है, बल्कि आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रहा है. आपको बता दें कि यूपी में किसानों के लिए पारंपरिक फसलों के अलावा मशरूम की खेती आय का एक आकर्षक स्रोत बनकर उभर रही है.
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