यूपी में आम की बैगिंग पर मिलेगी 25% की सब्सिडी, 15 अप्रैल से शुरू होगा ऑनलाइन आवेदन, जानें डिटेल

यूपी में आम की बैगिंग पर मिलेगी 25% की सब्सिडी, 15 अप्रैल से शुरू होगा ऑनलाइन आवेदन, जानें डिटेल

Mango Story: उप निदेशक उद्यान डॉ डीके वर्मा ने बताया कि इससे न सिर्फ आम की गुणवत्ता में सुधार आएगा. गुणवत्ता के आधार पर ही आम फल की विदेशी बाजार मांग बढ़ेगी, जिसका मुनाफा बागवानो को मिलेगा. उन्होंने बागवानों से इस तकनीक को अधिक से अधिक अपनाने की अपील की.

उत्तर प्रदेश आम के रकबे और उत्पादन में देश में शीर्ष पर है (Photo-Kisan Tak)उत्तर प्रदेश आम के रकबे और उत्पादन में देश में शीर्ष पर है (Photo-Kisan Tak)
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • Apr 14, 2025,
  • Updated Apr 14, 2025, 4:24 PM IST

उत्तर प्रदेश में आम की बागवानी करने वाले किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है. उद्यान विभाग ने निर्यात योग्य आम के उत्पादन की कवायद शुरू कर दी है. इस बार आम की बंपर पैदावार की उम्मीद जताई जा रही है. इसके लिए बागवानों को अनुदान पर फ्रूट कवर बैग दिए जाएंगे. मामले में उप निदेशक उद्यान डॉ डीके वर्मा ने इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय एकीकृत बागवानी मिशन योजना (MIDH) के तहत किसानों को आम की बैगिंग के लिए प्रति हेक्टेयर 25 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा. इससे किसानों की लागत न के बराबर आएगी. वेबसाइट में कुछ तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से किसान अभी आवेदन नहीं कर पा रहे थे. क्योंकि पहली बार इस नई योजना को शामिल किया गया है.

पंजीकरण के बाद किसानों को मिलेगा अनुदान

उन्होंने बताया कि यह तकनीकी गड़बड़ियां और योजना के प्रारूप को ठीक कर लिया गया है. अब 15 अप्रैल से किसान किसान बैगिंग के लिए dbt.horticulture.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते है. वहीं पंजीकरण के बाद किसानों को फ्रूट कवर बैग उपल्बध कराया जाएगा. अगर कोई किसान बैंगिग खुद किसी निजी कंपनी से लेता है, तो उसे भी अनुदान दिया जाएगा. डॉ वर्मा बताते हैं कि आम उत्पादन में बैगिंग तकनीक का प्रयोग करने से फल की गुणवत्ता बढ़ेगी और आम उत्पादक को ज्यादा मुनाफा होगा. वजह, इस विधि से आम उत्पादित करने से आम फल कीट एवं रोग, धब्बे, दाग आदि से मुक्त रहता है.

इस कारण आम की विदेशों में मांग बढ़ेगी

उप निदेशक उद्यान डॉ डीके वर्मा ने बताया कि इससे न सिर्फ आम की गुणवत्ता में सुधार आएगा. गुणवत्ता के आधार पर ही आम फल की विदेशी बाजार मांग बढ़ेगी, जिसका मुनाफा बागवानो को मिलेगा. उन्होंने बागवानों से इस तकनीक को अधिक से अधिक अपनाने की अपील की.

कब होती है बैगिंग तकनीक की प्रक्रिया

डॉ वर्मा ने बताया कि जब आम के फल मटर के आकार के हो, उसके लगभग एक माह वाद यह प्रक्रिया की जाती है. इसके अंतर्गत आम के फलों को अखबार, ब्राउन पेपर, बास से निर्मित कागज अथवा पॉलिबेग से फलों को कवर कर दिया जाता है. कवर लगे होने के चलते फलों में फ्रूट फ्लाई, हापर, मिज, थ्रिप्स जैसे कीट भी नहीं पहुंच पाते हैं जिससे फल पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं.

फल का आकार बड़ा और स्वाद भी अच्छा

उप निदेशक उद्यान डॉ डीके वर्मा ने आगे बताया कि इससे फल का आकार बड़ा और स्वाद भी अच्छा होता है. निर्यात करने के लिए फ्रूट कवर बैग तकनीक से तैयार किए गए फल उपयुक्त रहते हैं जिसके चलते किसानों को अच्छा दाम भी मिलता है. दशहरी आम का अमेरिका को निर्यात होना न सिर्फ मलिहाबाद बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है. आज लखनऊ के मलिहाबाद में 500 किसान आम की बागवानी करते है, जो इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है.

लखनऊ के बहुत से किसान जागरूक नहीं

अवध आम उत्पादक बागवानी समिति मलिहाबाद के महासचिव उपेंद्र सिंह ने बताया कि लखनऊ के बहुत से किसान ऑनलाइन आवेदन को लेकर जागरूक नहीं है. सरकार को ऐसे किसानों के लिए ऑनलाइन आवेदन से छूट देते हुए योजना का लाभ देना चाहिए. क्योंकि किसान जहां से भी फ्रूट कवर बैग को खरीदे वो जीएसटी का बिल दिखा देगा. 

2.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की बागवानी

आम उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण फलों में से एक है. प्रदेश में 2.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की खेती से 45 लाख टन आम पैदा होता है. प्रदेश में चालीस वर्ष से अधिक उम्र के बगीचे लगभग 40 फीसद (लगभग 1 लाख हेक्टयर) हैं. उत्तर प्रदेश आम के रकबे और उत्पादन में देश में शीर्ष पर है. यहां के दसहरी, लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली, गौरजीत आदि की अपनी बेजोड़ खुशबू और स्वाद है. 

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