ओपन मार्केट सेल स्कीम के बावजूद क्यों नहीं घटी गेहूं-आटा की महंगाई?

ओपन मार्केट सेल स्कीम के बावजूद क्यों नहीं घटी गेहूं-आटा की महंगाई?

Wheat Price: ओपन मार्केट सेल स्कीम से क‍िसानों को हुआ नुकसान लेक‍िन उपभोक्ताओं को नहीं म‍िला फायदा...फ‍िर महंगाई कम करने के नाम पर क‍िसने खाई मुनाफे की मलाई. फ्लोर म‍िलर्स को मार्केट से सस्ता गेहूं बेचने के बावजूद क्यों नहीं घटी आटा की महंगाई?

क्या ओएमएसएस से कम हुआ गेहूं-आटा का भाव? क्या ओएमएसएस से कम हुआ गेहूं-आटा का भाव?
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Aug 17, 2023,
  • Updated Aug 17, 2023, 5:03 PM IST

महंगाई कम करने के नाम पर इस साल तीसरी बार ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत र‍ियायती दर पर गेहूं बेचने का एलान क‍िया गया है. लेक‍िन, क्या महंगाई पर इसका कोई असर पड़ा है? क्या गेहूं और आटा का दाम कम हो गया है? क्या आपको पहले से सस्ता आटा म‍िलने लगा है? आपका जवाब शायद नहीं में होगा. गेहूं और आटा के दाम को लेकर खुद केंद्र सरकार के आंकड़े भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं क‍ि महंगाई के मोर्चे पर ओएमएसएस का कोई खास असर नहीं हुआ है. दरअसल, ओएमएसएस के तहत सरकार आम उपभोक्ताओं को तो सस्ता गेहूं देती नहीं है. सस्ता गेहूं म‍िलता है बड़े म‍िलर्स और कुछ सरकारी एजेंस‍ियों को. ऐसे में सवाल यह है क‍ि क्या कुछ लोग महंगाई कम करने के नाम पर मुनाफे की मलाई खा रहे हैं या फ‍िर र‍ियायती दर पर खरीदे गए गेहूं की जमाखोरी हो रही है? जब सरकार से मार्केट के मुकाबले काफी सस्ता गेहूं ल‍िया जा रहा है तो उसका फायदा उपभोक्ताओं तक आख‍िर क्यों नहीं पहुंच रहा. 

बहरहाल, सरकार ने म‍िलर्स को क‍ितना सस्ता गेहूं द‍िया इसका र‍िकॉर्ड तो है लेक‍िन इस योजना से क‍ितने लोगों को सस्ता आटा म‍िला सरकार ने अब तक इसका कोई आंकड़ा नहीं जारी क‍िया है. असल में तो इस योजना का उपभोक्ताओं को कोई खास फायदा म‍िला नहीं, उल्टे इससे क‍िसानों को नुकसान जरूर पहुंचा है. महंगाई कम करने के नाम पर उस वक्त ओपन मार्केट सेल स्कीम लाई गई जब गेहूं का दाम 4000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक पहुंच गया था और क‍िसानों के खेत में नई फसल तैयार हो चुकी थी. आमतौर पर अप्रैल और मई में गेहूं का दाम कम रहता है. लेक‍िन ओएमएसएस की वजह से दाम बहुत ज्यादा कम होकर 2100 से 2200 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक आ गया था. हालांक‍ि, दाम में कमी ज्यादा द‍िन कायम नहीं रह सकी और क‍िसानों का नुकसान करने के बाद हालात फ‍िर जस के तस हो गए. 

इसे भी पढ़ें: दालों के बढ़ते दाम के बीच पढ़‍िए भारत में दलहन फसलों की उपेक्षा की पूरी कहानी

ओएमएसएस ने क‍िसानों का कैसे क‍िया नुकसान?

आप पूछेंगे क‍ि क‍िसानों का कैसे नुकसान हुआ और उपभोक्ताओं को फायदा कैसे नहीं पहुंचा. आंकड़ों के साथ हम इन दोनों सवालों का जवाब देने की कोश‍िश करेंगे. एक अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होती है. रबी मार्केट‍िंग सीजन 2023-24 के ल‍िए गेहूं की एमएसपी 2,125 रुपये क्व‍िंटल तय थी. जबक‍ि जनवरी, फरवरी और मार्च के दौरान ओपन मार्केट में गेहूं का दाम 4000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक पहुंच रहा था. अब सरकार के सामने यह च‍िंता थी क‍ि बफर स्टॉक के ल‍िए एमएसपी पर कौन गेहूं बेचने आएगा जब मार्केट में उससे कहीं बहुत ज्यादा भाव है. 

इस समस्या से उबरने और महंगाई कम करने के नाम पर सरकार ने एक फरवरी से 15 मार्च तक ओएमएसएस के तहत 2200-2600 रुपये के औसत दाम पर फ्लोर म‍िलर्स और कुछ सरकारी एजेंस‍ियों को 33 लाख टन गेहूं बेच द‍िया. माहौल ऐसा बन गया क‍ि एक अप्रैल तक गेहूं के दाम ग‍िरकर 2200 रुपये क्व‍िंटल के आसपास रह गए. सरकार ने बफर स्टॉक के ल‍िए 341.5 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, जबक‍ि खरीद 262 लाख टन पर स‍िमट गई. वो भी तब जब एक्सपोर्ट बैन था. खरीद खत्म होने से पहले ही गेहूं के दाम फ‍िर बढ़ने लगे थे. इस साल कुल 21,28,985 क‍िसानों ने सरकार को गेहूं बेचा. बाकी ने गेहूं अपने पास रोक ल‍िया. आमतौर पर 40 से 45 लाख क‍िसान एमएसपी पर गेहूं बेचते थे. 

तीन बार ओएमएसएस र‍िजल्ट  

फ‍िलहाल, अब बात करते हैं ओपन मार्केट सेल स्कीम की. इस साल गेहूं का दाम जब बढ़ने लगा तो सरकार ने 25 जनवरी को ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत र‍ियायती रेट पर गेहूं बेचने का एलान क‍िया. एक फरवरी से 15 मार्च तक 33 लाख टन गेहूं बेचा गया. उसके बाद केंद्रीय पूल भंडार से 12 जून को 15 लाख टन गेहूं की बिक्री करने का एलान क‍िया गया. उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने फ‍िर 9 अगस्त को 50 लाख टन गेहूं बेचने का एलान क‍िया. 

लेक‍िन, इससे गेहूं और आटा की महंगाई पर खास प्रहार नहीं हो पाया. उपभोक्ता मामले व‍िभाग के प्राइस मॉन‍िटर‍िंग ड‍िवीजन के आंकड़ों को देख‍िए और खुद समझ‍िए क‍ि क्या ओएमएसएस के तहत र‍ियायती गेहूं बेचने से महंगाई कम हुई? अगर महंगाई कम नहीं हुई तो र‍ियायती गेहूं का फायदा क‍िसे म‍िला?  

क्या कम हो गया गेहूं-आटा का दाम?

  • इस साल का पहला ओएमएसएस लाने से पहले एक जनवरी को गेहूं का औसत दाम 32.05 और अध‍िकतम भाव 47 रुपये प्रत‍ि क‍िलो था. जबक‍ि आटा का औसत भाव 36.81 रुपये और अध‍िकतम दाम 63 रुपये क‍िलो था.  
  • सरकार ओएमएसएस के तहत 15 मार्च तक 33 लाख टन गेहूं बड़े म‍िलर्स और सरकारी एजेंस‍ियों को बेच चुकी थी. इस द‍िन गेहूं का औसत दाम 29.94 रुपये और अध‍िकतम 49 रुपये क‍िलो था. जबक‍ि आटा का औसत भाव 35.01 अध‍िकतम 67 रुपये क‍िलो था. 
  • यानी गेहूं के औसत दाम में 2.11 रुपये क‍िलो की कमी जरूर आई लेक‍िन अध‍िकतम दाम 2 रुपये क‍िलो बढ़ गया. आटा का औसत दाम 1.8 रुपये क‍िलो घटकर 35.01 रुपये हो गया जबक‍ि अध‍िकतम दाम 4 रुपये क‍िलो बढ़कर 67 रुपये तक पहुंच गया. फ्लोर म‍िलर्स को मार्केट से सस्ते दाम पर गेहूं बेचने का यही र‍िजल्ट न‍िकला. हालांक‍ि, यह ऐसा वक्त होता है जब हर‍ियाणा-पंजाब में नई फसल तैयार हो चुकी होती है और अन्य महीनों के मुकाबले दाम कम रहता है.
  • केंद्र ने 12 जून को दोबारा 15 लाख टन गेहूं र‍ियायती दर पर बेचने का फैसला क‍िया. तब भी देश में गेहूं का औसत दाम 29.16 और अधिकतम 50 रुपये क‍िलो था. आटा का औसत दाम 34.4 जबक‍ि अध‍िकतम 67 रुपये क‍िलो रहा. 
  • इसी महीने नौ अगस्त को इस साल की सबसे बड़ी मात्रा वाले ओएमएसएस का एलान क‍िया गया. ज‍िसमें कहा गया है क‍ि 50 लाख टन गेहूं की र‍ियायती रेट पर ब‍िक्री की जाएगी. इस द‍िन गेहूं का औसत दाम 29.82 जबक‍ि अध‍िकतम 53 रुपये प्रत‍ि क‍िलो रहा. जबक‍ि आटा का औसत दाम 35.18 और अध‍िकतम दाम 67 रुपये रहा. 
  • इस स्कीम के एलान के बाद 16 अगस्त का दाम जान लीज‍िए. इस द‍िन गेहूं का औसत दाम 29.89 जबक‍ि अध‍िकतम बढ़कर 59 रुपये क‍िलो हो गया. आटा का औसत भाव 35.01 जबक‍ि अध‍िकतम 67 रुपये क‍िलो रहा. 

अब आप एक जनवरी के दाम से म‍िलान करेंगे तो पाएंगे क‍ि तीन बार ओएमएसएस आने के बावजूद गेहूं का अध‍िकतम दाम घटने की बजाय 12 रुपये प्रत‍ि क‍िलो बढ़ गया है. जबक‍ि औसत दाम में स‍िर्फ 2.16 रुपये क‍िलो की कमी आई है. आटा का औसत दाम 1.8 रुपये क‍िलो कम हुआ है, लेक‍िन अध‍िकतम भाव 4 रुपये क‍िलो बढ़ गया है. सवाल ये है क‍ि क्या व्यापारी ओएमएसएस के तहत र‍ियायती दर पर गेहूं खरीदकर उसकी जमाखोरी कर रहे हैं? आख‍िर जनता को ओएमएसएस कर फायदा क्यों नहीं म‍िल रहा है. 

क‍िसानों के ही कंधे पर महंगाई रोकने का ज‍िम्मा क्यों?

जाने माने कृष‍ि अर्थशास्त्री और खाद्य नीत‍ि व‍िशेषज्ञ देव‍िंदर शर्मा का कहना है क‍ि सरकार पहले ही 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में सस्ता अनाज दे रही है. लेक‍िन, अब क‍िसको राहत देने के ल‍िए क‍िसानों की जेब पर चोट पहुंचा रही है. ओपन मार्केट सेल स्कीम से क‍िसान अप्रैल में नुकसान उठा चुके हैं. उपभोक्ताओं को फायदा देने के नाम पर दाम जबरन कम करवाने की कोश‍िश की जा रही है. जब क‍िसान की उपज के दाम कम होते हैं तब भी क्या सरकार इसी तरह का प्रयास करती है? आज महाराष्ट्र में क‍िसान एक रुपये क‍िलो धन‍िया बेच रहा है, क्या सरकार ने ऐसे क‍िसानों की सुध ली है? 

शर्मा कहते हैं क‍ि स‍िर्फ कंज्यूमर को फायदा द‍िलाने वाली सोच एग्रीकल्चर को खत्म कर रही है. वो क‍िसान कंज्यूकर का बोझ उठा रहा है ज‍िसकी शुद्ध आय रोजाना स‍िर्फ 28 रुपये है. हमें तो यह सोचना चाह‍िए क‍ि क‍िसान भी कंज्यूमर है, वो नहीं कमाएगा तो कैसे खर्च करेगा. कंज्यूमर को क‍िसानों के साथ खड़े होना चाह‍िए, तभी खेती बचेगी. आजकल तो लोग कहते हैं क‍ि वो 200 रुपये लीटर भी पेट्रोल लेने को तैयार हैं. फ‍िर कृष‍ि उपज क्यों सस्ती चाह‍िए?   

क्या फ्लोर म‍िलर उठा रहे हैं फायदा

क‍िसान नेता पुष्पेंद्र स‍िंह का कहना है क‍ि एक्सपोर्ट बैन और ओएमएसएस के बावजूद अगर दाम नहीं घटा है तो उसकी दो वजह हो सकती है. पहला न‍िश्च‍ित रूप से इस स्कीम का असली फायदा फ्लोर म‍िलर उठा रहे हैं या फ‍िर र‍ियायती दर पर खरीदे गए उस गेहूं की जमाखोरी हो रही है. हालांक‍ि, सरकार ने जमाखोरी पर रोक लगाने के मकसद से गेहूं की स्टॉक लिमिट तय कर दी है. ट्रेडर्स, होल सेलर्स, रिटेलर्स, बड़े चेन रिटेलर्स और प्रोसेसर्स पर स्टॉक लिमिट 31 मार्च 2024 तक लागू रहेगी. पिछले डेढ़ दशक में पहली बार गेहूं के स्टॉक लिमिट तय की गई है. फ‍िलहाल, देखना यह है क‍ि क्या सरकार अब म‍िलर्स को 50 लाख टन सस्ता गेहूं बेचकर जनता को सस्ता आटा उपलब्ध करवा पाएगी?  

इसे भी पढ़ें: GI Tag Rice: बासमती के त‍िल‍िस्म से मुक्त‍ि के ल‍िए तड़प रहे खुशबूदार व‍िशेष चावल

MORE NEWS

Read more!