बिहार के GI सितारों को मिला `ई-नाम` कतरनी, जर्दालू, लीची, मगही पान को मिलेगा नाम और दाम

बिहार के GI सितारों को मिला `ई-नाम` कतरनी, जर्दालू, लीची, मगही पान को मिलेगा नाम और दाम

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर की पहल से किसानों को बेहतर मूल्य और डिजिटल पहुंच मिलेगा. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सात नए उत्पादों को ई-नाम प्लेटफॉर्म पर शामिल करने की स्वीकृति दी है, जिसमें बिहार के ये चार विशिष्ट GI उत्पाद शामिल हैं.

बिहार के GI सितारों को मिला `ई-नाम`बिहार के GI सितारों को मिला `ई-नाम`
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Patna,
  • Jul 11, 2025,
  • Updated Jul 11, 2025, 11:46 AM IST

कृषि के क्षेत्र में बिहार के चार भौगोलिक संकेत (GI tag) उत्पाद कतरनी चावल, जर्दालू आम, शाही लीची और मगही पान अब राष्ट्रीय डिजिटल मंच ई-नाम (e-NAM) पर अपनी चमक बिखेरेंगे. केंद्र सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सात नए उत्पादों को ई-नाम प्लेटफॉर्म पर शामिल करने की स्वीकृति दी है, जिसमें बिहार के ये चार विशिष्ट GI कृषि उत्पाद शामिल हैं. इससे बिहार के किसानों को पारदर्शी मूल्य निर्धारण, ऑनलाइन बोली और राष्ट्रीय बाजार तक पहुंच का लाभ मिलेगा. 

बिहार कृषि विश्वविद्यालय की रही खास भूमिका

बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU), सबौर ने इन GI उत्पादों के प्रमाणीकरण, वैज्ञानिक मानकीकरण और मूल्य संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. बीएयू के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने कहा कि यह बिहार के किसानों के लिए महत्वपूर्ण पहल है. वहीं, "ई-नाम पर इन उत्पादों की मौजूदगी न केवल उनके ब्रांड मूल्य को बढ़ाएगी, बल्कि किसानों को प्रतिस्पर्धी कीमत और राष्ट्रीय बाजार की पहुंच भी प्रदान करेगी. यह बिहार को कृषि नवाचार और ब्रांडिंग के राष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.

वैज्ञानिकों की शोध और संरक्षण का मिल रहा फल

बीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय ने कतरनी चावल, जर्दालू आम और मगही पान के लिए प्रमाणीकरण, संरक्षण और उत्पादन तकनीकों पर व्यापक शोध किया है. "ई-नाम पर इन उत्पादों का प्रवेश विश्वविद्यालय के शोध से विपणन तक की यात्रा को दर्शाता है. वहीं, इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी."ई-नाम पर बिहार के GI उत्पादों की उपस्थिति न केवल डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देगी, बल्कि यह कृषि नवाचार, ग्रामीण समृद्धि और वैश्विक ब्रांडिंग की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की अगुवाई में बिहार अब न केवल कृषि उत्पादन में, बल्कि विपणन और निर्यात में भी अपनी पहचान स्थापित करने को तैयार है.

बिहार के चार GI उत्पाद को मिल रहा दुनिया में स्थान 

बिहार की कृषि जितना समृद्ध है, उतना ही यहां के कृषि उत्पाद. अभी तक राज्य के करीब 6 कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है,जिसमें...
1. कतरनी चावल (भागलपुर, बांका, मुंगेर): सुगंधित, पोषक और सुपाच्य चावल, जो अपनी विशिष्ट गुणवत्ता के लिए जाना जाता है.
2. जर्दालू आम (भागलपुर):  अपनी अनूठी सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध, जो राष्ट्रपति भवन तक पहुंच चुका है.  
3. शाही लीची (मुजफ्फरपुर): भारत की पहली GI टैग प्राप्त लीची, जिसकी वैश्विक निर्यात में मांग है.
4. मगही पान (नालंदा, नवादा, गया): मुलायम, कम रेशेदार और पारंपरिक महत्व वाला पान है. जिसे राष्ट्रीय डिजिटल मंच ई-नाम पर स्थान मिला है. 

ई-नाम में स्थान मिलने से क्या होगा फायदा 

बिहार के चार जीआई टैग कृषि उत्पाद को राष्ट्रीय डिजिटल मंच ई-नाम पर स्थान मिलने से काफी लाभ होगा, जिसमें से अब उत्पादों की पहुंच बाजार तक आसानी से हो पाएगी. ई-नाम पर अब कुल 238 उत्पाद पंजीकृत हैं, जो किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा का अवसर देगा. इसके साथ ही ट्रेडेबल पैरामीटर्स के अनुसार गुणवत्ता आधारित मूल्य निर्धारण, ऑनलाइन बोली प्रक्रिया के जरिए पारदर्शी व्यापार और वास्तविक मूल्य सुनिश्चित, BAU द्वारा GI प्रोसेसिंग सेल और GI फैसिलिटेशन सेंटर के माध्यम से उत्पादों की प्रमाणीकरण प्रक्रिया को गति मिलेगी. साथ ही नवाचार और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ‘सिंघाड़ा, बेबी कॉर्न, ड्रैगन फ्रूट’ जैसे अन्य उत्पादों के मानकों को भी व्यावसायिक रूप में परिवर्तित किया गया है.

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