उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के गन्ना किसान इस समय गन्ने के भुगतान को लेकर खासे संतुष्ट नजर आ रहे हैं. यहां के किसानों का कहना है कि योगी सरकार में सही समय पर गन्ने का पेमेंट आ रहा है. पिछली सरकार के मुकाबले सही समय पर गन्ने का भुगतान मिल रहा है. गन्ना मिल में बेचने के बाद 14 दिन के अंदर गन्ने का भुगतान मिल रहा है, जिसको लेकर यहां के किसान सरकार से संतुष्ट नजर आ रहे हैं. मुजफ्फरनगर के गन्ना किसान रूचिन बालियान की मानें तो अभी गन्ने के पेमेंट में कोई परेशानी नहीं है. बालियान बड़े स्तर पर खेती-बाड़ी का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि गन्ने का पेमेंट पिछली सरकारों के मुकाबले इस सरकार में अच्छी हुई है.
14 दिनों में गन्ने का पेमेंट आ जाता है और काम अच्छा चल रहा है. गन्ने की पैदावार में लगभग 50 से 60 क्विंटल प्रति बीघा का एवरेज मिल रहा है. बालियान की मानें तो 14 दिनों में अकाउंट में गन्ने के पेमेंट का मैसेज आ जाता है और सरकार अच्छा काम कर रही है.
तो वही गन्ना किसान कन्हैया सिंह ने बताया कि वे अपने पुरखों की खेती-बाड़ी का काम करते हैं. भारतीय जनता पार्टी यानी कि बीजेपी सरकार में गन्ने का पेमेंट अच्छा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो नियम बनाया है, उससे किसानों को काफी राहत है. फोन पर गन्ने का और पेमेंट का मैसेज मिल जाता है. इससे किसानों को बहुत तसल्ली मिलती है.
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कन्हैया सिंह कहते है कि गन्ने की पैदावार ठीक हो रही है. पहली सरकारों के मुकाबले पेमेंट बहुत अच्छा है. पहले सरकार में पेमेंट की बहुत बुरी स्थिति थी. अब अच्छी स्थिति है. सरकार किसानों के हक में काफी कुछ सोचती है, लेकिन अभी किसानों के लिए बहुत कुछ होना बाकी है, क्योंकि किसानों की कई जरूरतें पूरी की जानी हैं. उनका कहना है कि इस दिशा में सरकार भी बहुत ज्यादा प्रयास कर रही है.
दरअसल उत्तर प्रदेश गन्ना के पैदावार में सबसे आगे है. वहीं इस राज्य में बड़े पैमाने पर किसान गन्ने की खेती करते हैं. किसान मौजूदा योगी सरकार से इसलिए खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि पिछली सरकारों में गन्ना किसानों को अपने गन्ना भुगतान के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता था. किसानों को अपने गन्ने की कीमत से लेकर समय पर भुगतान न होने की वजह से आंदोलन और धरने भी देने पड़ते थे. वहीं यूपी में गन्ना किसानों को मौजूदा सरकार में प्रति क्विंटल 350 रुपये मिल रहा है. हालांकि इस दाम से किसान पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं और इसमें बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं. लेकिन पहले की तुलना में वे गन्ने के दाम से खुश हैं.