हर‍ियाणा में क्यों बदल द‍िया गया केंद्र का भूम‍ि अध‍िग्रहण कानून, महापंचायत में क‍िसानों ने उठाई आवाज

हर‍ियाणा में क्यों बदल द‍िया गया केंद्र का भूम‍ि अध‍िग्रहण कानून, महापंचायत में क‍िसानों ने उठाई आवाज

Kisan Mahapanchayat: गोहाना की नई अनाज मंडी में हुई महापंचायत में क‍िसानों ने उठाया भूमि अधिग्रहण, फसल बीमा मुआवजा और बासमती धान उत्पादकों का मुद्दा. क‍िसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने हर‍ियाणा सरकार पर भूमि अधिग्रहण कानून से किसान-हितैषी प्रावधान खत्म करने के लगाए आरोप. 

किसान अधिकार यात्रा के समापन पर आयोज‍ित हुई महापंचायत (Photo-Kisan Tak). किसान अधिकार यात्रा के समापन पर आयोज‍ित हुई महापंचायत (Photo-Kisan Tak).
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 12, 2023,
  • Updated Sep 12, 2023, 1:32 AM IST

किसान अधिकार यात्रा के समापन पर गोहाना की नई अनाज मंडी में सोमवार को किसानों की महापंचायत हुई. जिसमें कई राज्यों से किसान नेताओं ने श‍िरकत की. इस मौके पर किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार "1 देश, 1 कानून" की बात करती है लेकिन दूसरी तरफ किसानों की जमीन लूटने के लिए 2021 में हरियाणा विधानसभा में 2013 के केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून को बदल दिया गया. जबक‍ि 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में किसानों की जमीन लेने से पहले 70 फीसदी किसानों की लिखित सहमति लेने और कलेक्टर रेट से 4 गुणा मुआवज़ा देने जैसे क‍िसान ह‍ितैषी प्रावधान थे.

कोहाड़ ने आरोप लगाया क‍ि अब वो सभी किसान-हितैषी प्रावधान हरियाणा सरकार ने 24 अगस्त 2021 को हरियाणा विधानसभा में संशोधन करके खत्म कर दिए हैं. पिछले 8 महीने से सोनीपत और झज्जर के किसान KMP के साथ बनाए जा रहे रेलवे ऑर्बिटल कॉरिडोर का मुआवज़ा बढ़वाने के लिए धरने पर बैठे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है.

इसे भी पढ़ें: Mustard Procurement: सरसों क‍िसानों की दर‍ियाद‍िली पर सरकारी 'कंजूसी' ने फेरा पानी  

कहांं हैं फसल बीमा कंपन‍ियों के कार्यालय? 

किसान नेता लखविंदर सिंह औलख ने कहा कि जो पीएम फसल बीमा योजना किसानों के लिए बनाई गई थी उस बीमा योजना से बीमा कंपन‍ियां 57000 करोड़ रुपये कमा चुकी हैं और किसानों को खराब फसलों के मुआवजे के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार फसल बीमा कंपनी का हर जिला मुख्यालय पर दफ्तर होना चाहिए, लेकिन ज्यादातर जिलों में बीमा कंपन‍ियों के दफ्तर नहीं हैं. ये फसल बीमा योजना तीन वर्ष पहले गुजरात में बंद कर दी गई थी लेकिन अन्य राज्यों में इस योजना के तहत किसानों से लूट जारी है.

एक खेत को एक यून‍िट माना जाए 

औलख ने मांग की क‍ि खराब फसलों का मुआवज़ा देते समय 1 गांव को 1 यूनिट मानने की बजाय 1 खेत को 1 यूनिट माना जाए क्योंकि बीमा कंपन‍ियां प्रीमियम भी प्रति एकड़ के अनुसार ही लेती हैं. किसान नेता जरनैल सिंह चहल ने कहा कि हरियाणा-पंजाब में बाढ़ से फसलों को बहुत नुक्सान हुआ है. खासकर घग्गर और यमुना नदी के साथ लगते हुए जिलों में फसलें तबाह हो गई हैं लेकिन सरकार कुंभकर्णी नींद सो रही है. क‍िसानों को अब तक आर्थिक मदद नहीं म‍िली है. 

बासमती उत्पादक क‍िसानों को नुकसान 

किसान नेता सुखजिंदर सिंह खोसा ने कहा सरकार ने अचानक से बासमती धान के निर्यात पर भी चोट मारी है. म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस 1200 रुपये प्रत‍ि टन कर द‍िया गया है. इसकी वजह से सीजन के समय धान की कीमतों में गिरावट आ सकती है. जिसका सीधा नुक्सान किसानों को उठाना पड़ेगा. उन्होंने मांग की कि कृषि उत्पादों के निर्यात संबंधी योजनाओं में सरकार को स्थिरता लानी चाहिए. महापंचायत में मौजूद किसानों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया कि यदि सरकार ने मांगों को पूरा नहीं किया तो आगामी चुनावों में किसान 'वोट की चोट' करेंगे.  

इसे भी पढ़ें: क‍िसान या कस्टमर...'कांदा' पर क‍िसके आंसू भारी, प्याज का दाम बढ़ते ही क्यों डरते हैं सत्ताधारी? 

MORE NEWS

Read more!