हरियाणा सरकार पराली प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए एक योजना चला रही है. इस योजना को सफल बनाने में सरकार का प्रयास अच्छा रहा है. दरअसल, हरियाणा के झज्जर जिले में फसल अवशेष प्रबंधन योजना के लिए आवेदन करने वाले किसानों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना से अधिक की वृद्धि देखी गई है. इस योजना के अंतर्गत, किसान सरकारी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाते हैं और उन्हें धान के अवशेषों यानी पराली के इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए प्रति एकड़ 1,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
बता दें कि अब तक 3,930 किसानों ने (30,487 एकड़) इस योजना का लाभ लेने के लिए अपनी जमीन रजिस्टर्ड करवाई है. वहीं, पिछले साल मात्र 1,090 किसानों ने 9,300 एकड़ जमीन रजिस्टर्ड करवाई थी. इस मामले पर डीसी प्रदीप दहिया ने बताया कि योजना को अपनाने और प्रोत्साहित करने के लिए जिले भर में विशेष अभियान चलाया जा रहा है, इसलिए आने वाले दिनों में और भी अधिक किसानों के रजिस्ट्रेशन करवाने की संभावना है.
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डीसी प्रदीप दहिया ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के लिए चौबीसों घंटे निगरानी रखी जा रही है. वहीं, झज्जर जिले में अब तक पराली जलाने की तीन एफआईआर दर्ज की गई है. साथ ही स्थिति पर नजर रखने के लिए 62 टीमें बनाई गई हैं, जबकि जिले में 75 फीसदी फसल की कटाई हो चुकी है.
जागरूकता अभियान के तहत गांव स्तर की टीमें किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लाभ और पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक कर रही हैं. उन्होंने बताया कि ब्लॉक और गांव स्तर की टीमों के नोडल अधिकारी पुलिस के सहयोग से नियमित निगरानी कर रहे हैं.
इस बीच, कृषि उपनिदेशक जितेंद्र अहलावत ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से फसल अवशेष जलाने पर जुर्माना बढ़ा दिया गया है. उन्होंने बताया कि नए नियमों के अनुसार, 2 एकड़ से कम जमीन वाले किसानों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि 2 से 5 एकड़ के बीच की जमीन के लिए 10,000 रुपये और 5 एकड़ से अधिक जमीन के लिए 30,000 रुपये का जुर्माना तय किया गया है.