खरीफ सीजन में एमएसपी से परे जाकर किसानों की फसलों की खरीद (Kharif procurement) करने के लिए कुछ सरकारी विभागों ने सरकार को सुझाव दिए हैं. ये सुझाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से हटकर सुधारों को अपनाने और किसानों को राहत दिलाने पर जोर देते हैं. इसमें तिलहन फसलों की सप्लाई को दुरुस्त बनाने के लिए 5 साल के एमएसपी का एक प्लान बनाने पर भी जोर दिया गया है. इन सुझावों को देने में सरकारी विभागों के अलावा एक सरकारी थिंक टैंक भी शामिल है. 'इंडियन एक्सप्रेस' को इस बात की जानकारी RTI के जरिये मिली है.
अपने सुझाव में सरकारी विभागों ने एमएसपी या उसके फॉर्मूले का विरोध नहीं किया है, लेकिन एमएसपी से हटकर किसानों को अच्छी कीमत देने पर जरूर जोर दिया है. 'इंडियन एक्सप्रेस' को मिले कागजात से यह जानकारी सामने आई है. मंत्रालय ने तिलहन खरीद से जुड़े 5 साल के एमएसपी प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया है, लेकिन तिलहन के लिए अधिक से अधिक दाम देने का विचार जरूर रखा है.
पिछले साल की तुलना में इस साल सबसे अधिक वृद्धि तिलहन में नाइजरसीड के लिए 12.70 प्रतिशत, अनाज में रागी के लिए 11.50 प्रतिशत और दालों में अरहर के लिए 7.90 प्रतिशत रही है.
आर्थिक मामलों के विभाग, व्यय विभाग और नीति आयोग ने अपने सुझाव में कहा है कि सरकार को एमएसपी के अलावा भी सोचना चाहिए. सुझाव में कहा गया है कि सरकार को सप्लाई साइड की खामियों पर भी गौर करना चाहिए.
ये भी पढ़ें: सोयाबीन बिक्री के लिए अभी भी रजिस्ट्रेशन जारी, 4892 रुपये MSP पाने के लिए किसान के पास सिर्फ 30 दिन बचे
सुझाव में कहा गया है कि तिलहन और दलहन की पैदावार बढ़ाने के लिए खास योजना, फसल विविधीकरण, सूक्ष्म सिंचाई, सोलर पावर जैसी योजनाएं हैं लेकिन केवल नियमों के लिए चलाई जाती हैं. इसे किसानों के लिए एप्रेजल स्कीम के तहत चलाया जा सकता है और किसानों को मदद दी जा सकती है. इससे उन्हें फायदा होगा.
दूसरी ओर सप्लाई साइड की खामियां जैसे स्टोरेज, गोदाम इंफ्रास्ट्रक्चर और परिवहन से जुड़ी समस्याओं पर भी फोकस करना बहुत जरूरी है. इन सुझावों के जवाब में कृषि मंत्रालय ने कहा है कि इससे जुड़े विभाग अपने-अपने स्तर पर गौर करेंगे. नीति आयोग ने कहा है कि श्री अन्न, दलहन और तिलहन की खेती को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और विभागों के जरिये इसकी बराबर निगरानी की जानी चाहिए.
तिलहन के लिए एमएसपी में अधिकतम वृद्धि प्रस्तावित की गई थी, लेकिन धान, गेहूं और मोटे अनाज की खरीद करने वाले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीओएफपीडी) ने कहा कि इस बढ़ोतरी से घरेलू उत्पादन में जितनी चाहिए, उतनी वृद्धि नहीं हुई है. ऐसे में देश को तिलहन के लिए लॉन्ग टर्म एमएसपी नीति की जरूरत है. इसने आगे कहा कि भले ही 2023-24 के लिए तिलहन के उत्पादन में वृद्धि का अनुमान है, लेकिन देश को खाद्य तेलों की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ेगा. हालांकि कृषि विभाग ने तिलहन के लिए एमएसपी सुझाव को खारिज कर दिया है.
ये भी पढ़ें: कपास किसानों को मिलने वाला है MSP से अधिक भाव! बारिश और कम उत्पादन अनुमान बने वजह
इसके अलावा, किसानों की आय बढ़ाने के लिए स्टोरेज क्षमता बढ़ाने, गोदामों के इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी लाने और कृषि उत्पादों की परिवहन सुविधा को बढ़ाने पर जोर दिया गया है.