छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में देश की पहली लिथियम खदान में खनन की शुरूआत होगी. केन्द्र सरकार ने लिथियम उत्खनन की अनुमति प्रदान कर दी है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट की 6वीं गवर्निंग बॉडी मीटिंग में शामिल हुए. केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस खदान को लेकर चर्चा हुई.
स्वास्थ मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने बताया कि खान मंत्रालय की इसी बैठक में कोरबा जिले में कटघोरा तहसील के घुंचापुर गांव में 256.12 हेक्टेयर क्षेत्र में लिथियम खनन को मंजूरी मिल गई है. इस परियोजना को कम्पोजिट लाइसेंस दिया गया है, जिसके तहत खनन कंपनी लिथियम उत्खनन के साथ परीक्षण का कार्य भी कर सकेगी. उन्होंने बताया कि बस्तर में भी लिथियम भंडार पाया गया है. आपको बता दें कि फरवरी 2023 में जिले की कटघोरा तहसील में सर्वे के दौरान बेशकीमती लिथियम भंडार होने की जानकारी मिली थी.
जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वे के अनुसार, कटघोरा के घुंचापुर क्षेत्र के 256.12 हेक्टेयर में लिथियम ब्लॉक फैला हुआ है. इसमें 84.86 हेक्टेयर वन भूमि है. लिथियम एंड आर ई ई ब्लॉक का जी-4 सर्वे का कार्य पूरा भी हो चुका है. जीएसआई के सर्वे में लगभग 10 पीपीएम से 2 हजार पीपीएम लिथियम कंटेट पाया गया है. क्रिटिकल एंड स्ट्रेटेजिक मिनरल्स की आवश्यकता रिन्यूवेबल एनर्जी, रक्षा, कृषि, फार्मास्यूटिकल, उच्च-तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, परिवहन आदि में होती है.
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कोरबा के जिला खनिज अधिकारी यू.पी. खूंटे ने बताया कि पिछले दिनों देश के 20 खनिज ब्लॉक की नीलामी की गई थी, जिसमें कटघोरा का लिथियम ब्लॉक भी शामिल था. कटघोरा लिथियम ब्लॉक के लिए ओला, वेदांता, जिंदल, श्री सीमेंट, अडाणी समूह, अल्ट्राटेक सीमेंट सहित कई बड़ी कंपनियों ने बोली लगाई थी.
इस नीलामी में सबको पीछे छोड़ते हुए मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने कटघोरा के लिथियम ब्लॉक को हासिल कर लिया. इस कंपनी का मुख्यालय पश्चिम बंगाल में है. कटघोरा के साथ ही कश्मीर के रियासी स्थित लिथियम ब्लॉक की भी नीलामी शुरू की गई थी. इसके लिए उपयुक्त बोलीदार आगे नहीं आए थे, जिससे रियासी ब्लॉक की आनलाइन नीलामी प्रक्रिया को रोकना पड़ा. कटघोरा का लिथियम ब्लॉक देश का ऐसा पहला खनन प्रोजेक्ट होगा, जिसके लिए कंपोजिट लाइसेंस दिया गया है.
अब तक भारत लिथियम के लिए अन्य देशों पर निर्भर है. कटघोरा में लिथियम खनन शुरू होने के बाद भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी. इसके साथ ही देश के अंदर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा. लिथियम के इस स्रोत से देश में ही बड़े स्तर पर हरित ऊर्जा में सहयोगी बैटरी निर्माण किया जा सकेगा. इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल की लागत में भी कमी आएगी.
बताया जा रहा है कि नीति आयोग बैटरी मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रहा है. बैटरी की गीगा फैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी. इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत में भी कमी आएगी, क्योंकि बैटरी की कीमत पूरी गाड़ी की कीमत की करीब 30 प्रतिशत होती है.
लिथियम की दुनिया भर में काफी मांग है. इसी वजह से इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है. ग्लोबल मार्केट में एक टन लिथियम की कीमत 57.36 लाख रुपये है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इसलिए भारत में लिथियम का भंडार मिलना देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहतर संकेत माना जा रहा है.
गेंदलाल शुक्ल की रिपोर्ट