महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त सतारा जिले में पडाली नामक एक गांव है, यहां के उद्यमी किसान ऋषिकेश जयसिंह धाने ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सफलता की नई इबारत लिख दी है. ऋषिकेश ने एलोवेरा उत्पाद बनाने वाली एक कंपनी शुरू की जिसने उन्हें करोड़पति बना दिया है.
'द वोकल न्यूज' की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग दो दशक पहले पडाली के किसानों को एक व्यवसायी ने एलोवेरा की खेती से परिचित कराया और फसल की एवज में भारी मुनाफे का वादा किया था.
व्यापारी की एलोवेरा उगाकर लाखों रुपये कमाने की बात से आकर्षित हुए ऋषिकेश भी कई किसानों की तरह शुरू में उत्सुक थे, लेकिन संदेह में भी थे. अपना संदेह दूर करने के लिए जब उन्होंने अधिक जानकारी मांगी, तो व्यवसायी ने गुस्से में उन्हें लौटा दिया.
इसके बाद जैसे ही किसानों से फसल खरीदने का समय आया, व्यवसायी गायब हो गया और किसानों के पास कोई खरीदार नहीं बचा. वहीं, हार मानने के बजाय ऋषिकेश ने त्याग दिए गए एलोवेरा के पौधों को अपने खेतों में उगाया और खेती शुरू कर दी, जो उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.
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ऋषिकेश के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. उनका पूरा परिवार मिट्टी के छोटे से घर में रहता था, जो पारंपरिक रूप से चावल, बाजरा, ज्वार और गेहूं जैसी फसलों की खेती करता था, लेकिन अक्सर सूखे के कारण फसल बर्बाद हो जाती थी. 20 वर्ष की उम्र में ऋषिकेश ने अपने परिवार की आय बढ़ाने के लिए एक मार्केटिंग कंपनी में नौकरी की, जो ज्यादा दिन नहीं चली. फिर ऋषिकेश ने अपने गांव में एक नर्सरी शुरू की, जो सिर्फ बारिश के मौसम में ही फलती-फूलती थी.
वर्ष 2007 में जब किसानों ने एलोवेरा के पौधों को फेंकना शुरू कर दिया, तो ऋषिकेश ने इसे एक अवसर की तरह देखा और 4 हजार एलोवेरा के पौधे लगाकर साबुन, शैम्पू और जूस जैसे कई उत्पाद बनाना शुरू कर दिया. 2013 में ऋषिकेश ने अपने एलोवेरा उत्पादों का कमर्शियलाइजेशन करने का निर्णय लिया. आज वे औसतन 8,000 लीटर एलोवेरा प्रोडक्ट बनाते हैं और उनका सालाना टर्नओवर 3.5 करोड़ रुपये है, जिसमें 30 परसेंट का प्रोफिट मार्जिन है.
शुरुआत में ऋषिकेश को अपने ससुरालवालों से विरोध का सामना करना पड़ा. उनकी पत्नी मधुरा ने 'द वोकल न्यूज' को बताया कि उनके माता-पिता एलोवेरा के कांटेदार स्वभाव को अशुभ मानते थे. हालांकि, उन्होंने इसके फायदों को स्वीकार किया है और अब वे खुद भी इसके उत्पादों का उपयोग करते हैं.
ऋषिकेश कहते हैं कि किसानों को केवल संभावित आय से प्रभावित नहीं होना चाहिए. प्रोडक्ट डेवलपमेंट और ऑपेरशन एक्सपेंशन पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है.
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