अधिग्रहण एक्ट से नहीं अब ई-भूमि पोर्टल के जर‍िए क‍िसानों से खरीदी जाएगी जमीन, जारी होंगे नए कलेक्टर रेट

अधिग्रहण एक्ट से नहीं अब ई-भूमि पोर्टल के जर‍िए क‍िसानों से खरीदी जाएगी जमीन, जारी होंगे नए कलेक्टर रेट

हर‍ियाणा के सीएम मनोहरलाल का कहना है क‍ि विकास परियोजनाओं के लिए जमीन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. किसी सरकारी विभाग के पास अपनी जमीन उपलब्ध है तो परियोजना पर कार्य शीघ्र शुरू हो जाता है. किसानों से जो जमीन खऱीदी जाएगी उसके ल‍िए शर्त यह है क‍ि जमीन के ऊपर से हाईटेंशन तार, कोर्ट केस, मलकियत को लेकर विवाद या बीच में पंचायती जमीन का रास्ता, नाला या डेरा न आता हो. 

ई-भूमि पोर्टल के जर‍िए क‍िसानों से जमीन खरीदेगी सरकार. ई-भूमि पोर्टल के जर‍िए क‍िसानों से जमीन खरीदेगी सरकार.
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Feb 02, 2024,
  • Updated Feb 02, 2024, 12:55 PM IST

हर‍ियाणा में अब सरकारी कार्यों के ल‍िए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया से अब जमीन का अधिग्रहण नहीं हो रहा. बल्कि अब सरकार ने क‍िसानों से जमीन की खरीद का तरीका बदल द‍िया है. इस काम के ल‍िए सरकार ने ई-भूमि पोर्टल की शुरुआत की है. इसके तहत अब एक ई-भूमि पोर्टल बनाया गया है. ज‍िस पर किसान कलेक्टर रेट व मार्केट रेट के अनुसार अपनी जमीन बेचने के लिए ब्यौरा डालते हैं. जमीन की खऱीद-फरोख्त में एग्रीगेटर भू मालिकों को सहमत करते हैं. तब जमीन खरीदी जाती है. अब सरकार ने कहा है क‍ि कम से कम 100 एकड़ या उससे अधिक जमीन का एक चक तैयार करें और ई-भूमि पोर्टल पर डालें. जैसे ही जमीन की अदायगी किसान को दी जाएगी, वैसे ही एग्रीगेटर को कमीशन भी दिया जाएगा. 

हर‍ियाणा के सीएम मनोहर लाल ने बताया कि एग्रीगेटर को प्रति एकड़ पर 2000 रुपये का कमीशन दिया जा रहा है. यह अलग-अलग जिलों के कलेक्टर रेट के अनुसार निर्धारित है. कलेक्टर रेट ज्यादा है और मार्केट रेट कम है तो उसकी जानकारी भी संबंधित उपायुक्त को लिखकर दी जानी चाहिए. हरियाणा निवास में ई-भूमि पोर्टल पर जमीन की खऱीद प्रक्रिया के लिए बुलाए गए 100 से अधिक रज‍िस्टर्ड एग्रीगेटर्स को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा क‍ि पदमा योजना के तहत कम से कम 100 एकड़ जमीन की जरूरत होती है, जबकि कॉलेज, अस्पताल, स्कूल, इत्यादि के लिए 10 से 15 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है.

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क‍िसानों का समूह बनाकर डाला जाएगा ब्यौरा 

एग्रीगेटर पहले दिन ही किसानों को रजामंद करते समय बहुआयामी विकल्प पेश करेगा और कई किसानों का समूह बनाकर परियोजना की अवश्यकता अनुसार जमीन की जानकारी का ब्यौरा ई-भूमि पोर्टल पर डालेगा. उन्होंने कहा कि कलेक्टर रेट और मार्केट रेट में 10 से 15 प्रतिशत का अंतर नहीं होना चाहिए. सरकारी विभागों के पास जहां जमीन उपलब्ध है, वहां सरकार एक विभाग से दूसरे विभाग में हस्तांतरित करेगी और आवश्यक हुआ तो खरीदेगी भी.

इन बातों का रखना होगा ध्यान

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने बताया की शीघ्र ही नए कलेक्टर रेट जारी कर दिए जाएंगे, ताकि किसानों को अपनी जमीन के नए कलेक्टर रेट व मार्केट रेट की जानकारी मिल सके. उन्होंने कहा कि एग्रीगेटर इस बात का ध्यान रखें कि किसान से खऱीदी जाने वाली जमीन के ऊपर से हाईटेंशन तार, कोर्ट केस, मलकियत को लेकर विवाद या बीच में पंचायती जमीन का रास्ता, नाला या डेरा न आता हो. राजस्व विभाग जिलावार जांच कराएगा कि किस जिले में विकास परियोजना को लेकर कितनी जमीन की जरूरत है और उसी के अनुसार एग्रीगेटर जमीन के मालिक व काश्तकार या कब्जाधारी को सरकार को जमीन देने के लिए रजामंद कराएगा.  

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