ज्यादा उर्वरता वाली सिंचित परिस्थितियों में अगेती बोई गई गेहूं की फसल में लोजिंग (फसल का गिरना) की समस्या आ सकती है. इससे किसानों का नुकसान हो सकता है. ऐसे में समय पर इस पर नियंत्रण पाना जरूरी है. भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने अपनी एडवाइजरी में इस समस्या का समाधान बताया है. संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि लोजिंग के नियंत्रण के लिए ग्रोथ रेगुलेटरों का उपयोग किया जा सकता है. ग्रोथ रेगुलेटर क्लोरमेक्वाट क्लोराइड (सीसीसी) @0.2%+ टेबुकोनाजोल 250 ईसी @ 0.1% वाणिज्यिक उत्पाद खुराक के टैंक मिश्रण के रूप में दो स्प्रे पहले नोड (बुवाई के 50-50 दिन बाद) और ध्वज पत्ती (बुआई के 75-85 दिन बाद) पर करें. जिन किसानों ने अगेती बुवाई वाले गेहूं पर पहला छिड़काव नहीं किया है वे बुवाई के 70-80 दिन बाद केवल एक ही छिड़काव कर सकते हैं.
आगामी दिनों में बारिश और तापमान पूर्वानुमान को लेकर भारतीय मौसम विभाग से मिले इनपुट के आधार पर संस्थान ने गेहूं की खेती को लेकर किसानों को कुछ टिप्स दिए हैं. यह एडवाइजरी 15 फरवरी तक वैलिड रहेगी. जिसमें बताया गया है कि आईएमडी से प्राप्त पूर्वानुमान के मुताबिक, आने वाले हफ्ते में तापमान सामान्य रहने की उम्मीद है. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि नाइट्रोजन की तीसरी खुराक का प्रयोग बुआई के 40-45 दिन बाद तक पूरा कर लेना चाहिए. बेहतर परिणाम के लिए सिंचाई से ठीक पहले यूरिया डालें.
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यदि गेहूं के खेत में संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों तरह के खरपतवार हों तो पहली सिंचाई से पहले या सिंचाई के 10-15 दिन बाद 120-150 लीटर पानी में सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 डब्ल्यूजी 13.5 ग्राम प्रति एकड़ या सल्फोसल्फ्यूरॉन मेटसल्फ्यूरॉन 16 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 120-150 लीटर पानी में प्रयोग करें.
रतुआ के लिए अनुकूल मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी गई है कि वे धारीदार रतुआ (पीला रतुआ) की घटनाओं को देखने के लिए नियमित रूप से अपनी फसल की निगरानी करें. यदि किसान अपने गेहूं के खेतों में पीला रतुआ देखते हैं, और इसकी पुष्टि करते हैं तो उसके नियंत्रण के लिए निम्न उपाय सुझाए जाते हैं.
इसके आगे प्रसार को रोकने के लिए संक्रमण क्षेत्र पर प्रोपीकोनाज़ोल 25 ईसी @ 0.1 प्रतिशत या टेबुकोनाजोल 50%+ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% डब्ल्यूजी @ 0.06% का एक स्प्रे दिया जाना चाहिए. एक लीटर पानी में एक मिलीलीटर केमिकल मिलाना चाहिए. इस प्रकार एक एकड़ गेहूं की फसल में 200 मिलीलीटर कवकनाशी को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
जिन किसानों ने पिछले वर्ष एक प्रकार के फंगीसाइड का उपयोग किया है, उन्हें इस वर्ष वैकल्पिक रिक्मेंडेड फंगीसाइड का उपयोग करने का सुझाव दिया गया है. मौसम साफ होने पर ही फसल पर छिड़काव करना चाहिए.
गुलाबी छेदक का हमला उन क्षेत्रों में देखा गया है जहां विशेष रूप से धान, मक्का, कपास, गन्ना उगाया जाता है. गेहूं में गुलाबी छेदक प्रभावित पौधे पीले पड़ जाते हैं और आसानी से उखाड़े जा सकते हैं. जब पौधों को उखाड़ा जाता है तो उनकी निचली शिराओं पर गुलाबी रंग की इल्लियों देखी जा सकती हैं.
इसके संक्रमण से बचने के लिए, नाइट्रोजन उर्वरकों को विभाजित खुराकों में उपयोग करने की सलाह दी जाती है.
यदि प्रकोप अधिक हो तो 1000 मिलीलीटर क्विनालफॉस 25% ई.सी. को 500 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर मिलाकर छिड़काव करें.
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