कपास MSP पर CAI ने जताई चिंता, सरकार से की पॉलिसी में बदलाव की मांग

कपास MSP पर CAI ने जताई चिंता, सरकार से की पॉलिसी में बदलाव की मांग

Cotton MSP: टेक्सटाइल एडवाइजरी ग्रुप के चेयरमैन और को-तक ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन सुरेश कोटक ने एमएसपी ढांचे और सीसीआई की बिक्री नीति में उचित बदलाव करने की जरूरत को स्वीकार किया. 

बीटी कॉटन की बुवाईबीटी कॉटन की बुवाई
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 21, 2025,
  • Updated Jun 21, 2025, 1:51 PM IST

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI), जो कि रेशे की फसल के लिए शीर्ष व्यापार संस्था है. उसका मानना ​​है कि कपास क्षेत्र के लिए भावांतर (मूल्य कमी भुगतान योजना) जैसी योजनाओं पर विचार किया जाना चाहिए. भावांतर योजना में एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार मूल्य के बीच का अंतर सीधे किसान को भुगतान किया जाता है, जब बाजार मूल्य एमएसपी से कम होता है. चूंकि हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि कपास की कीमत के लिए चुनौती बन रही है, इसलिए व्यापार जगत ने एक न्यायसंगत समाधान निकालने की आवश्यकता पर बल दिया है, जिससे उद्योग की प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाए बिना किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त करने में मदद मिल सके.

मंदी की स्थिति में कपास की कीमतें

सीएआई के विचार महत्वपूर्ण हैं क्योंकि कपास की कीमतें बड़े पैमाने पर मंदी की स्थिति में रही हैं और चालू वर्ष 2024-25 सीजन के दौरान एमएसपी से नीचे रहीं, जिससे राज्य संचालित भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को एमएसपी पर 100 लाख गांठ से अधिक खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा.

सरकार से पॉलिसी में बदलाव की मांग

टेक्सटाइल एडवाइजरी ग्रुप के चेयरमैन और को-तक ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन सुरेश कोटक ने एमएसपी ढांचे और सीसीआई की बिक्री नीति में उचित बदलाव करने की जरूरत को स्वीकार किया. बयान में कहा गया है कि कोटक ने सुझावों पर गौर किया और कहा कि वे सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे.  

MSP बढ़ाने से हो रही है समस्याए 

हाल ही में CAI की बैठक में संगठन ने इस बात पर जोर दिया कि हर साल कपास के लिए MSP बढ़ाने से समस्याए पैदा हो रही हैं. बता दें कि खरीफ सीजन 2025 के मध्यम स्टेपल कपास के लिए MSP को पिछले साल के 7,121 से बढ़ाकर 7,710 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. वहीं, लंबे स्टेपल के लिए, MSP को 7,521 से बढ़ाकर 8,110 रुपये कर दिया गया है. ऐसे में कमजोर मांग और वैश्विक कीमतों में कमजोर रुझान के कारण बाजार की कीमतें मंदी में हैं.

MSP से बिगड़ती है बाजार की गतिशीलता 

सीएआई के अध्यक्ष अतुल एस गनात्रा ने एक बयान में कहा कि बढ़ी हुई एमएसपी न केवल बाजार की गतिशीलता को बिगाड़ते हैं और प्राकृतिक मूल्य निर्धारण प्रक्रिया में बाधा डालते हैं, बल्कि कपड़ा मिलों के लिए उत्पादन लागत भी बढ़ाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं के लिए संभावित रूप से अधिक कीमतें हो सकती हैं और वैश्विक बाजार में भारतीय कपास उत्पादन की प्रतिस्पर्धात्मकता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

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