अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (IYC) 2025 के उपलक्ष्य में मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शुक्रवार को केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. इस दौरान अमित शाह ने NAFED के बनाए नए उत्पादों का शुभारंभ किया. इन उत्पादों में मुख्य रूप से पांच प्रकार के ‘रेडी टू ईट’ खाद्य उत्पाद शामिल हैं. PACS और FPOs को सशक्त आधार देने और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुंबई में आयोजित इस संगोष्ठी में अमित शाह ने लाभार्थियों को सांकेतिक रूप से प्रमाण पत्र भी दिए. इस दौरान शाह ने कहा कि बहुत जल्द नेफेड किसानों से उनकी उपज की खरीद करेगा.
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि नेफेड जल्द ही किसानों से सीधी खरीद शुरू करेगा, जिससे कृषि उत्पादन प्रक्रिया से बिचौलियों को हटाया जा सकेगा. वे अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अवसर पर मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे. अमित शाह ने विश्वास जताया कि इस कदम से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा.
सहकारिता मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही सहकारिता मॉडल पर आधारित बीमा कंपनी शुरू करेगी. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देशभर में दो लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियां बनाई जाएंगी. शाह ने विश्वास जताया कि अगले दस वर्षों में तीन प्रमुख क्षेत्रों, निर्यात, जैविक खाद्य और बीज में बड़ी सहकारी संस्थाएं उभरेंगी, जो किसानों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देंगी. इस अवसर पर नेफेड के पांच उत्पाद लॉन्च किए गए और पांच किसान उत्पादक कंपनियों को अनुदान या शेयर वितरित किए गए.
इसी कार्यक्रम में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा, "मैं गुजरात से आता हूं. आज 36 लाख गरीब बहनें अमूल से जुड़ी हैं. इनमें से किसी भी बहन का अमूल में 100 रुपये से ज्यादा का निवेश नहीं है, लेकिन उनकी मेहनत से 80 हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर हुआ है और लाभ सीधे उनके बैंक खातों में जाता है." उन्होंने यह भी कहा कि को-ऑपरेटिव मॉडल पर आधारित राष्ट्रीय टैक्सी की भी शुरुआत हो गई, जिसमें हर टैक्सी का ड्राइवर इससे जुड़ा नहीं होगा बल्कि भारत टैक्सी को-ऑपरेटिव का मालिक होगा, इसमें होने वाला मुनाफा सीधे ड्राइवर के बैंक खाते में चला जाएगा.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत में सहकारी क्षेत्र में असमान वृद्धि हुई है क्योंकि यह केवल पश्चिमी भागों में स्थिर रहा, लेकिन उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में कमजोर रहा. उन्होंने कहा कि सरकार इसके विकास को समान बनाने का इरादा रखती है.
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (NAFED) द्वारा आयोजित एक सहकारिता क्षेत्र सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि सहकारी क्षेत्र सीमित पूंजी के साथ अधिक लाभ देकर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है.
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने कहा, "भारत के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में सहकारिता आंदोलन कमजोर हो गया और देश के केवल पश्चिमी हिस्सों में स्थिर रहा। लेकिन हम पहले से ही इस क्षेत्र को इसके मौजूदा असमान विकास से समान रूप से विकसित करके बदलने के लिए कदम उठा रहे हैं." उन्होंने कहा, "हम देश में सभी स्तरों पर इसे मजबूत करके सहकारी क्षेत्र की प्रगति करेंगे."
विकास के लिए जीडीपी एकमात्र पैरामीटर नहीं है. शाह ने कहा कि सहकारी क्षेत्र कम पूंजी के साथ अधिक लाभ और रोजगार के अवसर देकर विकास और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है.
सहकारिता आंदोलन ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांति ला दी. उन्होंने कहा कि गुजरात में अमूल (डेयरी सहकारी) से जुड़ी 36 लाख महिलाओं के पास 100 रुपये की पूंजी भी नहीं थी, लेकिन आज इसका कारोबार 80,000 करोड़ रुपये का है. शाह के अनुसार, सहकारिता मंत्रालय ने देश में सहकारी इकाइयों के आंकड़े जुटाए हैं, ताकि सरकार को पता चले कि कहां कमी है और इस क्षेत्र के विस्तार की दिशा में कदम उठाए जाएं. उन्होंने कहा कि दो लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस) बनाई जाएंगी और उन्हें बहुआयामी बनाया जाएगा.
मंत्री ने कहा कि जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि बीजों की सुरक्षा और संरक्षण किया जा रहा है और बीजों के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. उन्होंने कहा, "हम अगले 10 वर्षों में निर्यात, जैविक खाद्य और बीजों में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने की योजना बना रहे हैं." शाह ने कहा कि किसान अगर नेफेड के ऐप पर पंजीकरण कराते हैं तो वे दाल, मक्का और तिलहन नेफेड को बेच सकते हैं. लेकिन अगर बाजार दर अधिक है तो वे सीधे उपज बेच सकते हैं.
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