केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में कृषि और इससे जुड़े क्षेत्र के लिए कई बड़ी घोषणाएं की हैं. लगातार तीसरी बार कृषि क्षेत्र के लिए अनुमानित बजट में बढ़ोत्तरी भी की गई है. बजट में गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं पर चार आयामों पर सरकार के फोकस को एग्री इंडस्ट्री की कंपनियों के उच्चाधिकारियों ने स्वागत योग्य कदम बताया है. स्टेकहोल्डर्स ने केसीसी लिमिट बढ़ाने, मखाना बोर्ड, धन धान्य स्कीम, नए यूरिया प्लांट लगाने समेत अन्य घोषणाओं और पहलों को कृषि उत्पादकता और विकास में तेजी लाने वाला बताया है.
बेस्ट एग्रोलाइफ लिमिटेड (Best Agrolife) के प्रबंध निदेशक विमल कुमार अलावाधी ने कहा कि बजट में कई उपायों की रूपरेखा तैयार की गई है, जो समावेशी विकास और तेज ग्रोथ को जमीनी हकीकत बनाएंगे. इससे सरकार का सबका विकास मिशन साकार होगा. गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं पर चार आयामी ध्यान भी सबसे स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना और अरहर, उड़द और मसूर दाल पर ध्यान केंद्रित करना अन्य अच्छे उपाय हैं. इसके अलावा उच्च उपज वाले बीजों पर एक राष्ट्रीय मिशन और पांच वर्षीय कपास उत्पादकता मिशन शुरू करने से भारत के रिसर्च इकोसिस्टम को बढ़ाने में मदद मिलेगी. कीटों की रोकथाम, अधिक उपज और जलवायु लचीलेपन वाले बीजों का टारगेट उत्पादकता को बढ़ाएगा. उर्वरकों और सहकारी समितियों के लिए समर्थन सराहनीय है. पूर्वी क्षेत्र में तीन निष्क्रिय खाद यूनिट इकाइयों को पुनर्जीवित करना और असम में एक नया यूरिया प्लांट लगाना घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देगा.
इंसेक्टिसाइड इंडिया लिमिटेड (IIL) के प्रबंध निदेशक राजेश अग्रवाल ने कहा कि 2025 का केंद्रीय बजट कृषि क्षेत्र को मजबूत करने और किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम को दर्शाता है. मत्स्य पालन और डेयरी सहित 7.7 करोड़ किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी रखने से बेहतर वित्तीय पहुंच सुनिश्चित होगी. संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत ऋण सीमा बढ़ाने से अधिक किसानों को बेहतर संसाधनों में निवेश करने और खर्चों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने में मदद मिलेगी. कम उत्पादकता वाले 100 जिलों को टारगेट करते हुए यह फसल विविधीकरण, बेहतर सिंचाई, बेहतर कटाई के बाद स्टोरेज और बढ़े लोन उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित करेगा. उन्होंने कहा कि लोन सहायता, टिकाऊ खेती और बेहतर बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने से ग्रामीण आजीविका मजबूत होगी. ये उपाय अधिक स्थिर और आत्मनिर्भर कृषि अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेंगे. किसानों को बढ़ती सुविधाओं और जागरूकता के साथ संबद्ध उद्योगों को भी बढ़ने में मदद मिलेगी.
धानुका एग्रीटेक लिमिटेड (Dhanuka Agritech ) के चेयरमैन डॉ. आरजी अग्रवाल ने कहा कि हम भारत को दुनिया का खाद्यान्न भंडार बनाने की सरकार की पहल की बहुत सराहना करते हैं. 100 कम उत्पादकता वाले जिलों में 1.7 करोड़ किसानों के लिए धन धान्य कृषि योजना ग्रामीण समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. खाद्य तेल मिशन, किसानों को NAFED और NCCF जैसी एजेंसियों के साथ खरीद समझौते करने में सक्षम बनाता है, मूल्य सुरक्षा प्रदान करेगा, घरेलू तेल के बीजों का उत्पादन को बढ़ाएगा और भारत की निर्यात शक्ति को बढ़ाएगा. बढ़ती खपत से मेल खाने के लिए सब्जी उत्पादन बढ़ाने का सरकार का कदम भी सराहनीय है. उन्होंने कहा कि हमने सरकार से आवश्यक कृषि इनपुट पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने के लिए कहा है.
भारतीय चीनी और जैव ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) 2025 के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि केसीसी को और विस्तारित करके वित्तीय बुनियादी ढांचे के साथ लोन सीमा बढ़ाकर किसानों को सरकार की सहायता से स्वागत योग्य राहत मिलनी चाहिए और देश में कृषि गतिविधियों में वृद्धि होनी चाहिए. इस्मा सिंचाई के लिए प्रयासों की सराहना करता है, क्योंकि वे कृषि क्षेत्र के भीतर अधिक कमाई में योगदान करते हैं. ये उपाय कृषि क्षेत्र के भीतर आर्थिक विकास के साथ स्थिरता पर हमारे प्रयासों को मजबूत करते हैं जहां गन्ना हमारे उद्योग का मुख्य आधार बना हुआ है. उन्होंने कहा कि धन धान्य कृषि योजना का उद्देश्य कम उत्पादकता वाले जिलों में उत्पादकता बढ़ाना है. इससे किसानों का अधिक लाभ सुनिश्चित होने की उम्मीद है.
कृषि सलाहकार कंपनी ग्राम उन्नति (Gram Unnati) के संस्थापक अनीश जैन ने कहा कि सरकार के ताजा बजट में उठाए गए कदम भारतीय कृषि को बहुत जरूरी बढ़ावा देंगे. फसल विविधीकरण और टिकाऊ खेती के तरीके हमारे लिए आगे का रास्ता हैं और सरकार द्वारा पीएम धन धान्य कृषि योजना शुरू करने का निर्णय इस दिशा में एक बेहतरीन कदम है. इससे न केवल कृषि उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि ग्रामीण समृद्धि भी बढ़ेगी. पीएम धन धान्य कृषि योजना के तहत 100 और जिलों में टिकाऊ फसल विविधीकरण कार्यक्रम के जरिए उत्पादकता बढ़ेगा. इससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ होगा. इस नए कार्यक्रम के तहत फसल विविधीकरण, टिकाऊ खेती के तरीकों और पंचायत और ब्लॉक स्तर पर कटाई के बाद स्टोरेज को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
एग्रीटेक सॉल्यूशन देने वाली कंपनी वावर (Wavar) के को-फाउंडर संजय शिरोडकर ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 टिकाऊ खेती और किसानों की मजबूती के लिए सरकार के कमिटमेंट की पुष्टि करता है. पीएम धन धान्य कृषि योजना की शुरूआत और किसानों के लिए बढ़ा हुआ लोन सपोर्ट स्वागत योग्य कदम हैं जो इस क्षेत्र में इनोवेशन और टेक्नोलॉजी को अपनाने में मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि हम इन पहलों को अधिक लचीले और पर्यावरण के अनुकूल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम के लिए प्रेरक के रूप में देखते हैं. स्थिरता को प्राथमिकता देकर, बजट लंबे समेय के लिए कृषि विकास की नींव रखता है, जिससे किसानों के लिए बेहतर उपज और लाभ होगा.
ग्रामीण युवाओं को रोजगार और उद्यम के लिए ट्रेनिंग और वित्तीय मददे देने वाली संस्था भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट की संस्थापक लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेसन ने केंद्रीय बजट की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि बजट में भारत के विकास में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना गया है. उन्होंने निवेश सीमा में वृद्धि, क्रेडिट गारंटी के विस्तार और नए स्टार्टअप फंड जैसे प्रावधानों की सराहना की. उनका मानना है कि महिलाओं और एससी/एसटी उद्यमियों के लिए माइक्रो-क्रेडिट कार्ड और टर्म लोन, साथ ही पीएम स्वनिधि योजना में बदलाव से सूक्ष्म उद्यमों को फायदा होगा. हालांकि उन्होंने पूंजी की कमी, जीएसटी छूट की सीमा में वृद्धि न होना और व्यवसायों के लिए एकल-खिड़की मंजूरी की व्यवस्था नहीं किए जाने पर निराशा भी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि ये वृद्धि व कारोबार सुगमता की राह में बाधा बने हुए हैं.
प्रैक्सिस ग्लोबल एलायंस में खाद्य एवं कृषि प्रैक्टिस लीडर अक्षत गुप्ता ने कहा कि वित्त मंत्री की बजट घोषणाएं भारत के कृषि क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव को दर्शाती हैं, जो वित्तीय पहुंच, उत्पादकता और आत्मनिर्भरता को मजबूत करती हैं. किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लोन लिमिट में बढ़ोत्तरी 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी उत्पादकों को बहुत जरूरी वित्तीय सहायता मिलेगी. धन धान्य कृषि योजना से 1.7 करोड़ किसानों को सपोर्ट मिलेगा. केंद्रीय एजेंसियों द्वारा अरहर, उड़द और मसूर की खरीद के साथ दालों में आत्मनिर्भरता के लिए छह साल का मिशन घरेलू उत्पादन और मूल्य स्थिरता को बढ़ाएगा. इसके अलावा फसल विविधीकरण, सिंचाई विस्तार और कटाई के बाद स्टोरेज को बढ़ावा देने वाली पहलों से किसानों को लाभ होगा.