केंद्र सरकार ने उन सूबों के लिए बड़ा एलान किया है जो अनाज संकट का सामना कर रहे हैं. ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत उन्हें कम दाम पर चावल उपलब्ध करवाया जाएगा. केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि अनाज की कमी वाले राज्यों की सरकारें ई-नीलामी में भाग लिए बिना भी भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर चावल खरीद सकती हैं. हालांकि, सहकारी एजेंसियों को प्राइवेट सेक्टर को इस स्कीम के तहत सस्ते भाव पर अनाज खरीदने के लिए ई-नीलामी में भाग लेना पड़ता है. राज्यों के लिए नई व्यवस्था आज 1 अगस्त से लागू कर दी गई है.
दरअसल, धान की फसल आने में अब ज्यादा वक्त नहीं है. यानी धान के नए खरीद सीजन को शुरू होने से पहले ज्यादा स्टॉक को कम करने के लिए यह निर्णय लिया गया है. राज्यों के लिए चावल खरीदने के लिए 2800 रुपये प्रति क्विंटल का यह रेट ट्रांसपोर्ट की लागत को छोड़कर लगेगा. मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार 1 जुलाई को एफसीआई और राज्य एजेंसियों के पास 326.14 लाख टन चावल का स्टॉक है, जो बफर स्टॉक के नॉर्म्स से बहुत अधिक है. बफर मानकों के हिसाब से 1 जुलाई को सरकार के पास 135.40 लाख टन चावल की ही जरूरत होती है.
यदि राज्य प्रति व्यक्ति निर्धारित 5 किलोग्राम मुफ्त अनाज से अधिक खरीदना चाहते हैं, तो वे इसे पहले के 2,900 रुपये प्रति क्विंटल के बजाय 2,800 रुपये प्रति क्विंटल की समान कीमत पर खरीद सकते हैं. यानी पहले के मुकाबले प्रति क्विंटल 100 रुपये कम कीमत पर वो चावल ले सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ‘भारत’ ब्रांड के तहत आटा और चावल की बिक्री जो 30 जून, 2024 तक चलने वाली थी, वो आगे भी जारी रहेगी.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत केंद्र सरकार ने 1 जनवरी, 2024 से पांच साल की समय सीमा के लिए 81.35 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न देने का फैसला किया है. इस पर लगभग 11.80 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे. इस रकम को पूरी तरह से केंद्र सरकार वहन करेगी. जोशी ने दावा किया कि यह अब तक का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम है.
महंगाई को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टमाटर और अन्य सब्जियां मौसमी हैं. टमाटर की कीमत स्थिर हो रही है और प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड यानी पीएसएफ के उपयोग के बिना ही सब्सिडी वाले टमाटर 60 रुपये किलो उपलब्ध कराए गए हैं. दालों के बारे में कहा कि बुवाई का क्षेत्र बढ़ा है और अब सरकार किसानों से दालों की 100 फीसदी सरकारी खरीद करेगी.
जोशी ने यह भी बताया कि अब तक इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़कर 1589 करोड़ लीटर प्रति वर्ष हो गई है, जो देश की घरेलू इथेनॉल आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. लगभग 1.05 लाख करोड़ रुपये के भुगतान के साथ, चालू चीनी सीजन के लिए 94.8 फीसदी से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान किया जा चुका है, जिससे गन्ना बकाया न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है.
वर्ष 2021-22 के चीनी सीजन का लगभग 99.9 फीसदी गन्ना बकाया का भुगतान कर दिया गया है. पिछले चीनी सीजन 2022-23 के लिए दिए जाने वाले गन्ना बकाया 1,14,494 करोड़ रुपये के मुकाबले लगभग 1,14,235 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. अब केवल 259 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान किया जाना शेष है.