
कर्नाटक में बाढ़ से हुए व्यापक फसल नुकसान के महीनों बाद भी हजारों किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया है. राज्य राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा ने विधान परिषद में बताया कि अब भी 44,208 किसान मुआवजे से वंचित हैं, जिनके भुगतान केवल तकनीकी गलतियों की वजह से रुके हुए हैं. मंत्री ने बताया कि समस्या का सबसे बड़ा कारण किसानों के आधार कार्ड और कृषि विभाग के रिकॉर्ड में नामों का मेल न होना है. यह जवाब उन्होंने एमएलसी तिप्पन्नप्पा कमाकनूर के उस सवाल पर दिया, जिसमें कहा गया था कि कलबुर्गी जिले के कई बाढ़ प्रभावित किसानों को आज तक एक रुपये का मुआवजा नहीं मिला है.
मंत्री ने सवाल का जवाब देते हुए माना कि ऐसे हजारों मामले अभी भी अटके हुए हैं और तीन प्रतिशत किसानों का भुगतान केवल दस्तावेजी असंगति के कारण अटका है. गौड़ा ने स्पष्ट किया कि जैसे ही किसान अपने दस्तावेज सही करा लेंगे, मुआवजा सीधे बैंक खातों में जमा कर दिया जाएगा. उन्होंने किसानों से आधार लिंकिंग और नाम सुधार जल्द पूरा करने की अपील भी की.
कलबुर्गी जिले में फसल नुकसान का दायरा काफी बड़ा रहा है. जिले में 3.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें खराब हुईं और एसडीआरएफ के तहत 250.97 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसके अलावा राज्य सरकार ने 247.75 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राहत दी है. इस तरह जिले के किसानों को कुल 498.76 करोड़ रुपये का मुआवजा स्वीकृत किया जा चुका है.
राज्य स्तर पर भी नुकसान का पैमाना गंभीर है. मंत्री गौड़ा के अनुसार, पूरे कर्नाटक में 14.21 लाख किसान बाढ़ और बारिश से प्रभावित हुए हैं. एसडीआरएफ के तहत 1,216 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है, जबकि सरकार की ओर से 1,033 करोड़ रुपये अतिरिक्त राहत के रूप में दिए गए हैं. दोनों मिलाकर 2,249 करोड़ रुपये किसानों को बांटे गए हैं.
सरकार ने फसलों के अलावा अन्य नुकसान की भरपाई भी की है. पशुधन हानि के लिए 1.99 करोड़ रुपये, घरों के बड़े नुकसान पर 40.86 करोड़ रुपये और छोटे नुकसान की मरम्मत के लिए 5.79 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है. राज्य सरकार का दावा है कि राहत वितरण तेज गति से जारी है, लेकिन लाखों किसानों में से जिन 44 हजार से अधिक किसानों का मुआवजा अब भी रुका है, उनके लिए नाम-संबंधी सुधार करना ही भुगतान की सबसे महत्वपूर्ण शर्त बन गया है. (पीटीआई)