रबी सीजन में आंधी-तूफान और बेमौसमी भारी बारिश ने किसानों को काफी परेशान किया था. किसानों की लाखों की फसलें बर्बाद हो गई थीं. अब खरीफ सीजन चल रहा है. इस मौसम में भी मॉनसून ने किसानों को काफी परेशान कर रखा है. कहीं भारी बारिश होने की वजह से फसलें जलमग्न हो गई हैं, तो कहीं सूखे जैसे हालात हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर मौसम में ज्यादा बदलाव होता है, तो उसका सीधा प्रभाव किसानों की फसल और जेब पर पड़ता है. वहीं मौजूदा वक्त में देश में ऐसे बहुत सारे किसान हैं जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों से फसली कर्ज लेकर खेती करते हैं और उपज को बेचकर कर्ज चुकता करते हैं. हालांकि, किसी कारणवश फसल अच्छी नहीं होती है, तो उनके लिए कर्ज को चुकाना मुश्किल हो जाता है.
वहीं, बैंक अपनी रकम को वापस करने के लिए किसानों पर दबाव बनाने लगते हैं. कई बार बैंक किसानों की जमीन को नीलाम भी कर देते हैं. यही वजह है कि बैंकों से कर्ज लेकर खेती करने वाले किसान फसल के बिकने तक परेशान रहते हैं. मालूम हो कि किसानों की इन्हीं समस्याओं के मद्देनजर राजस्थान सरकार ने दो अगस्त को किसान कर्ज माफी पर आयोग का बनाने का एक बिल पास किया है. आयोग बनने के बाद बैंक और कोई भी फाइनेंशियल संस्था किसी भी कारण से फसल खराब होने की हालत में किसानों से जबरन कर्ज वसूली या कर्ज देने का दबाव नहीं बना सकेंगे. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है किसान कर्ज राहत आयोग? किसान कर्ज राहत आयोग किसानों के लिए कैसे कारगर साबित होगा?
किसान कर्ज राहत आयोग में अध्यक्ष सहित पांच सदस्य होंगे. हाईकोर्ट के रिटायर्ड यानी सेवानिवृत्त जज किसान कर्ज राहत आयोग के अध्यक्ष होंगे. इस आयोग का कार्यकाल तीन साल का होगा. आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल भी तीन साल का होगा. सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी और किसी भी मेंबर को हटा सकेगी. आयोग में एसीएस या प्रमुख सचिव रैंक पर रहे रिटायर्ड आईएएस, जिला और सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके अफसर और एक एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट को मेंबर बनाया जाएगा. सहकारी समितियों के एडिशनल रजिस्ट्रार स्तर के अफसर को इसका सदस्य सचिव बनाया जाएगा.
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किसान कर्ज राहत आयोग के गठन के बाद बैंक या कोई भी वित्तीय संस्थान किसी भी कारण से फसल बर्बाद होने की स्थिति में कर्ज वसूली के लिए दबाव नहीं बना सकेंगे. किसान फसल खराब होने की स्थिति में कर्ज माफी की मांग को लेकर इस आयोग में आवेदन कर सकेंगे. वहीं आयोग किसानों का कर्ज माफ करने या फिर उनकी मदद करने करने का फैसला ले सकती है. इसके अलावा जब तक मामला आयोग के पास लंबित रहेगा तब तक किसान के विरुद्ध किसी भी प्रकार का मुकदमा, आवेदन, अपील एवं याचिका पर रोक रहेगी.