मेरठ में 6 लाख से अधिक पशुओं को FREE में लगेगा खुरपका-मुंहपका का टीका, पशुपालकों को मिलेगी बड़ी राहत

मेरठ में 6 लाख से अधिक पशुओं को FREE में लगेगा खुरपका-मुंहपका का टीका, पशुपालकों को मिलेगी बड़ी राहत

समय से इलाज नहीं होने पर पशु की मौत तक हो जाती है. यह रोग यह बीमारी संक्रामक वायरस आप्थो से होती है. संक्रमित जानवरों के लार, मूत्र और मल के माध्यम से अन्य पशुओं में बीमारी फैलती है. 

बीमारी से बचाव के लिए पशु चिकित्सा विभाग ने टीकाकरण अभियान शुरू किया है. (Photo-Kisan Tak)बीमारी से बचाव के लिए पशु चिकित्सा विभाग ने टीकाकरण अभियान शुरू किया है. (Photo-Kisan Tak)
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Jul 18, 2024,
  • Updated Jul 18, 2024, 5:57 PM IST

Meerut News: बारिश के मौसम में खुरपका और मुंहपका (Foot And Mouth Disease) रोग ऐसा रोग है, जिससे सबसे अधिक पशु प्रभावित होते हैं. वहीं बारिश में यह बीमारी के होने के आशंका बढ़ जाती है. बीमारी से बचाव के लिए पशु चिकित्सा विभाग ने टीकाकरण अभियान शुरू किया है. जो 15 जुलाई से लेकर 30 अगस्त तक चलेगा. मेरठ जनपद में 6 लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा. मेरठ के मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ राजेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि मेरठ हेतु 6,84,300 वैक्सीन प्राप्त हुई है, जनपद के 12 विकास खण्डों में प्रत्येक गोंवश/महिषवंश पशुओं को (8 माह से ऊपर गर्भित एवं 4 माह से कम आयु के बच्चे को छोड़कर) टीका लगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि टीम द्वारा टीकाकरण पशुपालक के द्वार पर निःशुल्क किया जाएगा, एवं पशुओं को चिन्हित करने के लिए उन्हे टैगिंग किया भी कराया जा रहा है.

खुरपका-मुंहपका जैसी बीमारियों से मिलेगी राहत

डॉ राजेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत नूपुर गोयल मुख्य विकास अधिकारी मेरठ के द्वारा संचल वाहनों को हरी झंडी दिखाकर कार्यक्रम का प्रारम्भ किया गया है. उन्होंने आगे बताया कि खुरपका और मुंहपका (एफएमडी) बीमारी पशु के ग्रसित होने से पशुओं से दुग्ध का उत्पादन काफी कम हो जाता है. 

मेरठ की सीडीओ नूपुर गोयल और मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ राजेंद्र कुमार शर्मा

समय से इलाज नहीं होने पर पशु की मौत तक हो जाती है. यह रोग यह बीमारी संक्रामक वायरस आप्थो से होती है. संक्रमित जानवरों के लार, मूत्र और मल के माध्यम से अन्य पशुओं में बीमारी फैलती है. इसका सबसे अच्छा उपचार टीकाकरण है. वैक्सीन को कोल्ड चेंबरों में रखा गया है. टीकाकरण को टीमें गांव में पशुपालकों के घरों पर जाकर पशुओं को टीका लगाएंगी.

रोग के लक्षण क्या हैं?

पशुओं को बुखार हो जाता है और वो खाना-पीना कम या बंद कर देते हैं. 
मुंह में, जीभ पर, मसूड़ों की श्लेष्मा झिल्ली पर और खुरों में घाव हो जाते हैं. 
ये घाव फट जाते हैं और अल्सरयुक्त हो जाते हैं.
मुंह से लार और नाक से लार का रिसाव होता है.
जानवर लंगड़ाते हैं और कभी-कभी पूरा खुर बाहर निकल आता है.
कभी-कभी गाय-भैंसों के थन पर छाले और घावों के साथ मैस्टाइटिस हो जाता है.
संक्रमण से झुंड के अन्य मवेशियों में बीमारी फैल जाती है.

 

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