खरीफ के सीजन में अधिकतर राज्यों में अप्रत्याशित बारिश के कारण बहुत से इलाकों में किसानों की फसलें बड़े पैमाने पर नष्ट हो रही हैं. ऐसे में किसानों को खराब हो चुकी अपनी फसलों के लिए बीमा क्लेम लेना बड़ी चुनौती बनने लगता है. मगर अब किसानों को अपनी फसल के नुकसान पर बीमा क्लेम लेने में टेंशन नहीं लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. दरअसल, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत लाया गया Digi-Claim प्लेटफ़ॉर्म इस पूरी प्रक्रिया को बेहद तेज, आसान और पारदर्शी बना देता है. बता दें कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने साल 2023 में इस डिजिटल सर्विस की शुरुआत की थी. इससे बीमा क्लेम की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और रियल-टाइम में पूरी होती है.
आखिर Digi-Claim क्या है?
दरअसल, Digi-Claim असल में PFMS (Public Financial Management System) और NCIP (National Crop Insurance Portal) का एकीकृत रूप है. इसका अहम मकसद ही यही है कि बीमा क्लेम की प्रक्रिया को तेज किया जाए और किसानों तक सीधे उनके बैंक खाते में फसल नुकसान का भुगतान भेजा जा सके.
कैसे काम करता है Digi-Claim?
बीमा कंपनियां दावों की गणना और निपटान में PFMS का उपयोग करती हैं. बीमा कंपनियां फसल नुकसान के आकलन के बाद क्लेम की राशि का भुगतान करती हैं. PFMS प्लेटफ़ॉर्म के जरिए राशि की गणना, निपटान और सभी जानकारी रियल-टाइम में अपडेट होती है. इससे किसान अपने बीमा दावे का स्टेटस तुरंत देख सकते हैं.
Digi-Claim से किसानों को ये फायदे
- इससे फसल बीमा क्लेम की प्रक्रिया पारदर्शी हो जाती है. क्लेम की स्थिति और भुगतान की जानकारी किसान को रियल-टाइम में मिलती है.
- साथ ही बीमा क्लेम का तेजी से निपटान में भी Digi-Claim मददगार है. PFMS के जरिए सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में बीमा राशि भेजी जाती है. इस प्रक्रिया में बिचौलियों का कोई काम नहीं है.
- इसके साथ ही इस प्रक्रिया की ट्रैकिंग भी बेहद आसान हो जाती है. सभी राज्य सरकारें और किसान दोनों इसपर आसानी से क्लेम अपडेट देख सकेंगे.
- फसल बीमा दावा को सटीक बनाने के लिए उपज का सारा डाटा राज्य सरकारें इसपर अपडेड भी करती हैं.
Digi-Claim से कैसे मिलेगा क्लेम?
- सबसे पहले तो आवेदक किसान का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में पंजीकरण जरूरी है. इसके लिए आपके पास आधार कार्ड, बैंक खाता और अपनी फसल और खेत से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी तैयार रखनी होगी.
- अगर आपकी फसल को ओलावृष्टि, बाढ़, सूखा या अन्य आपदा से नुकसान हुआ है तो एक स्थानीय कृषि विभाग या बीमा कंपनी का अधिकारी सर्वे करने आएगा.
- सर्वे के बाद प्राप्त डाटा अधिकारी NCIP (National Crop Insurance Portal) पर अपलोड करता है.
- इसके बाद Digi-Claim पर इस डेटा की प्रोसेसिंग होगी. NCIP और PFMS आपस में जुड़े होते हैं तो PFMS के जरिए बीमा क्लेम की गणना और सत्यापन किया जाएगा.
- फिर किसान PMFBY पोर्टल (pmfby.gov.in) पर लॉगिन करके ये देख सकते हैं कि उनके क्लेम का क्या स्टेटस है. यहां बीमा कंपनियों द्वारा किए गए भुगतान की जानकारी लाइव अपडेट होती है.
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