Self Employment : छत्तीसगढ़ में ड्रोन बना ग्रामीण महिलाओं के लिए स्वरोजगार का माध्यम

Self Employment : छत्तीसगढ़ में ड्रोन बना ग्रामीण महिलाओं के लिए स्वरोजगार का माध्यम

Drone Technology न केवल खेती किसानी में वरदान साबित हो रही है, वरन गांव की महिलाओं के लिए self employment का साधन भी बन रही है. इसके मद्देनजर छत्तीसगढ़ सरकार ने ड्रोन को Women Empowerment का सार्थक टूल बनाया है. राज्य सरकार की ओर से ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा.

छत्तीसगढ़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही ड्रोन तकनीक  छत्तीसगढ़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही ड्रोन तकनीक
न‍िर्मल यादव
  • Raipur,
  • Sep 20, 2024,
  • Updated Sep 20, 2024, 10:11 PM IST

छत्तीसगढ़ में खेती को Modern Technology से जोड़ने में ड्रोन अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस काम में राज्य की विष्णुदेव साय सरकार गांव की महिलाओं को लगा कर महिला सशक्तिकरण के संकल्प को पूरा करेगी. स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी गांव की महिलाओं को साय सरकार, खेती में ड्रोन के इस्तेमाल का प्रशिक्षण देगी. राज्य के कृष‍ि विभाग ने इस दिशा जरूरी निर्देश जारी कर दिए हैं. सरकार ने इस काम को पूरा करने के लिए नमो ड्रोन दीदी योजना का सहारा लिया है. इस योजना के अंतर्गत बलौदाबाजार जिले में शुरू किए गए Pilot Project में महिलाओं को ड्रोन का प्रशिक्षण दिया गया. अब गांव में प‍हले से कार्यरत स्वयं सहायता समूह की अधिक से अधिक महिलाओं को ड्रोन उडाने क़ा प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा.

महिलाएं बनेंगी ड्रोन दीदी और ड्रोन पायलट

बलौदाबाजार के कलेक्टर दीपक सोनी ने पायलट प्रोजेक्ट के अगले चरण में अब गांवों में संचालित हो रहे SHG की महिलाओं को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण देने के निर्देश जारी कर दिए हैं. उन्होंने बताया कि Agriculture Dept. के अधिकारियों को इस संबंध में जरूरी निर्देश दिए गए हैं.

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कलेक्टर के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने Fertilizer and Pesticides के छिड़काव में ड्रोन के उपयोग को किसानों के लिए बेहद फायदेमंद बताया. उन्होंने कहा कि भविष्य में वे अपने गांव में किसानों को दवा के छिड़काव में ड्रोन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करेंगी.

साहू ने बताया कि ड्रोन से दवाई छिड़काव का काम उन्होंने इस साल अप्रैल से शुरू किया है. इसके पूर्व उन्होंने ग्वालियर स्थित प्रशिक्षण संस्थान से ड्रोन उड़ाने का 15 दिन का प्रशिक्षण लिया था. इसके बाद बिहान अंतर्गत वैभव लक्ष्मी SHG से जुड़ कर उन्होंने NAMO Drone Didi Scheme के बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली.

होने लगी बढ़िया कमाई

साहू ने बताया कि अब ड्रोन दीदी बनने के बाद ड्रोन से यूरिया या कीटनाशक का छिड़काव करने के एवज में उन्हें किसानों से पैसा मिलता है. इसके लिए वह 300 रुपये  प्रति एकड़ की दर से ड्रोन उड़ाने की फीस लेती हैं. इससे उन्हें अब तक करीब 25 हजार रुपये की आय हो चुकी है.

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बलौदाबाजार जिले में लटुआ गांव के निवासी Drone Pilot निखिल कन्नौजे ने बताया कि वह सहकारी संस्था इफको से जुड़े है. उन्हें ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण भी इफको द्वारा दिया गया है. उन्होंने बताया कि वह ड्रोन को 2 से 3 किमी की दूरी तक उड़ा सकते हैं. वह इस साल अप्रैल से अब तक करीब 88 एकड़ खेतों में खाद और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव ड्रोन से कर चुके हैं.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा नमो ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य आने वाले 4 सालों में 15 हजार स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराना है. यह ड्रोन, महिला स्वयं सहायता समूहों की आय में इजाफे का मार्ग प्रशस्त करेगा. इन ड्रोन का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में उर्वरकों का छिड़काव करने के लिए किया जाएगा.

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