मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में किसानों से जुड़ी एक खास योजना को मंजूरी दी है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद ने राज्य के गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना’ को मंजूरी दी है. योजना के तहत हर विधानसभा क्षेत्र से एक गांव को चुनकर उसका विकास कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. गांव के चयन के लिए गांव की कम से कम आबादी 2000 और गोवंश की कम से कम आबादी 500 होनी चाहिए. राज्य सरकार ने ऐसे गांवों को
आत्मनिर्भर बनाकर प्रदेश के अन्य गांवों के सामने विकास का आदर्श पेश करने का लक्ष्य रखा है.
‘मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना’ के तहत चुने गए गांवों में गौ-पालन और डेयरी विकास, पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा, चारागाह विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, स्वरोजगार सहित ग्रामीण विकास की दिशा में काम किया जाएगा. इनमें से भी राज्य सरकार मुख्य तौर पर चयनित गांवों में मुख्य रूप से गौवंशीय और अन्य दुधारू पशुओं के पालन, दूध उत्पादन और डेयरी विकास पर फोकस करेगी. वृन्दावन ग्राम योजना के तहत विभिन्न विभागों के जरिए चयनित गावों में कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, ये सुविधाएं 6 श्रेणियों में होंगी.
गौशाला, ग्राम पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी भवन, स्वास्थ्य केन्द्र, स्कूल भवन, यात्री प्रतीक्षालय, सोलर स्ट्रीट लाइट, पुस्तकालय, सर्वसुविधायुक्त आजिविका भवन/ग्रामीण आजीविका के लिए वर्कशेड, पशु चिकित्सालय, गांव तक कनेक्टिविटी, ग्राम की आंतरिक सड़कें/नाली, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान और गोडाउन बनाएं जाएंगे या उनका विकास किया जाएगा.
गांव में हर घर जल (सोलर उर्जा आधारित पम्प के माध्यम से), ग्रामीण उद्योग आधारित आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर, बायोगैस प्लांट, शांतिधाम निर्माण (श्मशान घाट), गौ-समाधि स्थल, सेग्रीगेशन शेड, जल निकासी के लिए नाली, कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र, गांव में बिजली प्रवाह के लिए सौर उर्जा और गैर परम्परागत उर्जा क्षेत्र में विकास, पात्र परिवारों के लिये जलवायु अनुकूल आवास और व्यक्तिगत शौचालय, पार्क, सार्वजनिक शौचालय, सिंचाई स्रोत विकास और ड्रिप एरीगेशन की सुविधा मुहैया कराई जाएगी.
वहीं, योजना के तहत आजीविका से जुड़ी गतिविधियों में नंदन फलोद्यान (फलों का बाग), पोषण वाटिका, दूध कलेक्शन सेंटर, लघु वनोपज आधारित लघु उद्योग, कृषि/फल उपज आधारित उद्योग, गांव में उपलब्ध कौशल आधारित सेवाओं के विकास की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. चयनित गांवों में जल संरक्षण से जुड़ी जल संचयन संरचनाएं, रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग, नलकूप रिचार्ज, डगवेल रिचार्ज, स्टॉप डेम/चेकडेम, तालाबों का संरक्षण, पंचायत सशक्तिकरण में खुद की आय स्रोत का विकास और ई-पंचायत या CSC की सुविधा दी जाएगी.
वहीं, अन्य लक्ष्य के तहत इन गांवों में प्राकृतिक खेती, धार्मिक स्थलों और जमीन को संरक्षित किया जाएगा. साथ ही घर से कचरा उठाने के लिए गाड़ी, ग्रे वाटर मैनेजमेंट, मल-कीचड प्रबंधन, राजस्व अभिलेखों को अपडेट करना, समग्र ईकेवाइसी, ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम-स्टे, गांव के आर्ट-क्राफ्ट को बढ़ावा देने के लिए हस्तशिल्प कला केन्द्र, गांव के स्कूलों या आंगनबाडियों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन, अतिक्रमण मुक्त गांव और गांव की स्थानिक योजना की सुविधाएं दी जाएंगी.