झारखंड में 12 जून से गोधन न्याय योजना की शुरुआत की जाएगी. कृषि एवं पशुपालन भवन में आयोजित कार्यक्रम में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख इसकी शुरुआत करेंगे. इस योजना के तहत राज्य में किसानों से गोबर की खरीद की जाएगी. इससे किसानों को गोबर बेचकर भी फायदा होगा, साथ ही किसान उन मवेशियों की भी सेवा करेंगे जिनसे उन्हें दूध नहीं मिलता है. इतना ही नहीं गोबर की खरीद करने के बाद उससे वर्मी कंपोस्ट बनाया जाएगा, इससे राज्य के किसानों और गांवों नें आसानी से वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध होगा और झारखंड के जैविक राज्य बनाने की दिशा में यह एक मजबूत पहल होगी.
झारखंड में गोबर खरीद के बारे बताते हुए ऑर्नेनिक फेडरेशन ऑफ झारखंड (ओफाज) के सीइओ एमएसए महालिंगा शिवा ने बताया अगर यह योजना सफल होती है यह जैविक झारखंड बनाने की दिशा में गेमचेंजर साबित होगा. उन्होंने बताया की पहले चरण में ट्रायल के तौर पर राज्य के पांच जिलों में इसे लागू किया जाएगा. रांची, देवघर, गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम और पलामू में इस योजना की शुरुआत की जाएगी. योजना को लागू करने के लिए राज्य के सभी पांच प्रमंडलों से एक एक जिला लिया गया है.
ओफाज के सीइओ ने कहा कि पहले चरण में गोबर की खरीद के लिए संबंधित जिले के गौशालाओं से संपर्क किया जाएगा, इसके अलावा वहां चल रहे बड़े एफपीओ के किसानों से बातचीत की जाएगी और उनसे गोबर खरीदा जाएगा. किसानों से दो रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदा जाएगा और फिर उसे वर्मी कंपोस्ट बनाकर सात रुपये किलो की दर से किसानों को बेचा जाएगा. इस तरह से प्रति किलो गोबर से पांच रुपय की कमाई होगी. इन जिलों में योजना की सफलता और इससे संबंधित समस्याओं को समझने का प्रयास किया जाएगा फिर इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा. क्योंकि यह योजना छत्तीसगढ़ से ली गई है इसलिए पहले इसे पायलट प्रोजेक्ट की तरह से लागू करके समझा जाएगा.
किसानों से गोबर की खरीद करने के लिए संबंधित जिले के जिला कृषि अधिकारी की अगुवाई में एक कमिटि का गठन किया जाएगा, जिसमें जिला गव्य विकास अधिकारी, जिला मत्स्य अधिकारी व अन्य लोग शामिल रहेंगे. इस कमिटि में पांच सदस्य होंगे. गौरतलब है कि 2019 के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य में 12.57 मिलियन गोवंश है जिससे प्रतिवर्ष 504 लाख टन गोबर होता है, पर उचित जानकारी के अभाव में आधे से अधिक गोबर का उपला बनाकर उसे जला दिया जाता है. पर गोधन न्याय योजना के शुरू होने के बाद किसान जब गोबर बेचेंगे तो उससे वर्मी कंपोस्ट बनेगा, गोबर मिट्टी में जाएगी तो उससे मिट्टी को फायदा होगा. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होगा, इसमें सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ेगी. मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ेगी,जो कृषि कार्य के लिए सबसे बेहतर होगा.