
कर्नाटक के विजयपुरा से सात बार लोकसभा सांसद रहे रमेश जिगाजिनागी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से खासे नाराज हैं. उन्होंने कहा है कि पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल न करने का फैसला किया और इस फैसले से उन्हें काफी चोट पहुंची है. वह मंगलवार 8 जुलाई को अपने संसदीय क्षेत्र में मीडिया से मुखातिब थे जहां पर उन्होंने यह बात कही. उन्होंने पार्टी नेतृत्व से सवाल किया कि क्या दलितों ने बीजेपी का समर्थन नहीं किया है? जिगाजिनागी पिछले सात बार से सांसद हैं और वह इकलौते दलित सांसद हैं जो इतनी बार संसद पहुंचे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जिगाजिनागी ने पार्टी से कड़े सवाल पूछे और कहा, 'पूरे दक्षिण भारत में मैं अकेला दलित सांसद हूं जो सात बार संसद के लिए चुना गया हूं. मेरी किस्मत देखिए, सभी उच्च जाति के लोग कैबिनेट मंत्री बन गए. क्या दलितों ने बीजेपी का समर्थन नहीं किया? मैं बहुत आहत हूं.' उनका कहना था कि उनकी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है जिस वजह से उन्हें कोई मंत्री पद चाहिए.
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उन्होंने कहा, 'मैं अपने लिए कैबिनेट पद नहीं चाह रहा हूं. जब मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में लौटा तो कई लोगों ने मेरी आलोचना की. कई लोगों ने मुझे पहले ही चेतावनी दी थी कि बीजेपी दलित विरोधी है. लोगों का मुझ पर केंद्र में मंत्री बनने का दबाव है. क्या यह सही है या गलत?' बीजेपी के दिग्गज नेता अब तक लगातार सात चुनाव जीत चुके हैं. वह तीन बार चिक्कोडी निर्वाचन क्षेत्र से जीते हैं तो चार बार उन्हें बीजापुर सीट पर जीत मिली है. ये दोनों ही सीटें एससी रिजर्व सीटे हैं.
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अपने चार दशक के राजनीतिक करियर में उन्हें कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में उन्हें साल 2016 से 2019 तक पेयजल और स्वच्छता राज्य मंत्री का पद दिया गया था. 72 साल के रमेश जिगाजिनागी पहली बार सन् 1998 में लोकसभा के लिए चुने गए थे. तब से लेकर अब तक वह सभी चुनाव जीतते आ रहे हैं.