
देशभर में किसानों की आत्महत्या एक गंभीर विषय बना हुआ है और ये घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक सहित कई राज्यों में किसान आत्महत्या कर रहे हैं. इस बीच, कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या का मुद्दा एक बार गरमा गया है. राज्य के कृषि मंत्री एन चेलुवरायस्वामी ने विधानसभा में दी जानकारी में बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 यानी अप्रैल 2023 से अब तक कुल 2,809 किसानों ने आत्महत्या की है. कर्नाटक किसान आत्महत्याओं के मामले में देश में दूसरे स्थान पर बना हुआ है.
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बेलगावी में बीजेपी विधायक अरविंद बेल्लाद के सवाल के लिखित जवाब में मंत्री ने वर्षवार आंकड़े पेश किए. कृषि मंत्री के मुताबिक, 2023-24 में 1,254 किसानों ने आत्महत्या की. इसके बाद 2024-25 में यह संख्या 1,178 रही. मौजूदा वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक 377 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. हालांकि, मंत्री ने यह भी कहा कि पिछले तीन वर्षों की तुलना में आत्महत्याओं की संख्या में कुछ हद तक कमी दर्ज की गई है, लेकिन समस्या अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए मंत्री ने बताया कि किसान आत्महत्याओं के मामले में कर्नाटक देश में दूसरे नंबर पर है. जिला स्तर पर देखें तो हावेरी सबसे ज्यादा प्रभावित जिला रहा, जहां 297 किसानों ने आत्महत्या की. इसके बाद बेलगावी में 259, कलबुर्गी में 234, धारवाड़ में 195 और मैसूरु में 190 मामले सामने आए. ये आंकड़े बताते हैं कि राज्य के कई कृषि प्रधान जिले लगातार संकट में हैं.
सरकार की ओर से मुआवजे की स्थिति पर भी सदन को जानकारी दी गई. वर्ष 2023-24 में 1,081 पात्र किसान परिवारों को कुल 54 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया. 2024-25 में 896 परिवारों को 44.8 करोड़ रुपये दिए गए. चालू वित्त वर्ष में नवंबर तक 193 परिवारों को 9.65 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.
इसके अलावा 112 मामले अभी जांच और समीक्षा की प्रक्रिया में हैं. मंत्री ने स्वीकार किया कि मुआवजा वितरण में देरी हुई है. इसके पीछे तकनीकी कारण बताए गए हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि जैसे ही ये तकनीकी समस्याएं दूर होंगी, लंबित मामलों में भी भुगतान कर दिया जाएगा.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में दर्ज 1,254 मामलों में से 164 को नियमों के अनुसार खारिज किया गया, जबकि 1,090 परिवार मुआवजे के लिए पात्र पाए गए. इसी तरह 2024-25 में 156 मामले खारिज हुए और 1,022 परिवारों को पात्र माना गया. चालू वर्ष में अब तक 377 मामलों में से 46 को अस्वीकृत किया गया है और 310 परिवारों को मुआवजे के योग्य ठहराया गया है.
इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के प्रति घोर लापरवाही बरत रही है. विजयेंद्र ने कहा कि पिछले ढाई वर्षों में कर्नाटक का किसान आत्महत्या के मामलों में दूसरे स्थान पर पहुंच जाना बेहद चिंताजनक और शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि 2,809 किसानों की मौत किसी भी सरकार के लिए चेतावनी से कम नहीं है. (पीटीआई)