Rakesh Tikait ने नए बीज कानून के '5 खतरे' गिनाए, कहा- संसद की चर्चा पर नजर, बताई अपनी रणनीति

Rakesh Tikait ने नए बीज कानून के '5 खतरे' गिनाए, कहा- संसद की चर्चा पर नजर, बताई अपनी रणनीति

New Seeds Bill Opposition: राकेश टिकैत ने नए कृषि कानून को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि इससे कंपनियों को फायदा और किसानों पर सख्ती बढ़ेगी. बीजों के आदान-प्रदान पर रोक, महंगे GM सीड और जुर्माने जैसे प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने देशभर में विरोध अभियान चलाने की घोषणा की.

rakesh tikait on new seeds billrakesh tikait on new seeds bill
संदीप सैनी
  • Muzaffarnagar,
  • Dec 10, 2025,
  • Updated Dec 10, 2025, 1:01 PM IST

किसान नेता राकेश टिकैत ने केंद्र के प्रस्तावित नए बीज विधेयक के खिलाफ मंगलवार को मुजफ्फरनगर स्थित अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बीजेपी सरकार के खिलाफ हल्ला बोला. उन्‍होंने कहा कि सरकार किसानों को कानून के दायरे में लाने के लिए बीज विधेयक ला रही है, जो कि एक तरह से किसान विरोधी कानून है. राकेश टिकैत ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान विधेयक के पांच खतरों को भी गिनाया. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के आने के बाद…

1. खराब बीज पर कोई मुआवजा नहीं मिलेगा.
2. महंगे बीजों की कोई सीमा नहीं होगी.
3. कंपनियों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस होगी, लेकिन यह किसानों के लिए सजा साबित होगी.
4. राज्य सरकारों के हाथ बंध जाएंगे. 
5. विदेशी कंपनियों को खुली छूट होगी.

'बिल पर 11 दिसंबर को संसद में चर्चा संभव'

राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि किसान प्रतिनिधि 11 दिसंबर को संसद में प्रस्तावित होने वाले सरकार के इस बीज विधेयक पर अपनी नज़रें गड़ाए बैठा है और यह देखना चाहता है कि सरकार इस पर क्या फैसला लेती है. अगर सरकार इसे लागू करने की कोशिश करती है तो दिल्ली में जल्द किसान संगठनों की एक बैठक बुलाकर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी और इस विधेयक का पूरे देश में विरोध किया जाएगा.

नया बिल किसान हितों के उलट: राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित नए कृषि कानून को किसानों के हितों के विपरीत बताया है. उन्होंने कहा कि कानून लागू हुआ तो कंपनियों को बड़े पैमाने पर राहत मिलेगी, जबकि किसानों पर सख्तियां और बढ़ जाएंगी. टिकैत के अनुसार, कानून में कंपनियों के लिए मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन किसान के खेत में किसी कंपनी का बीज मिला तो उस पर जुर्माना और सजा दोनों का खतरा रहेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि बीजों के आदान-प्रदान पर रोक से किसानों की आजादी खत्म होगी.

'किसानों पर महंगे बीज थोपे जाने का खतरा'

टिकैत ने उदाहरण देते हुए कहा कि आज जैसे पराली जलाने पर जुर्माना लगता है, ट्रैक्टर की उम्र पर कानून लागू हैं, वैसे ही नए प्रावधान किसानों को अनावश्यक दंड की स्थिति में ला सकते हैं. उन्होंने कहा कि जेनेटिक मॉडिफाइड (GM) फसलों पर दुनिया में कड़े प्रतिबंध हैं, लेकिन नए कानून के आने से कंपनियों के महंगे बीज किसानों पर थोपे जा सकते हैं.

कंपनियों के नियंत्रण में जा सकते हैं बीज

टिकैत ने दावा किया कि सरसों का बीज 1200 रुपये तक पहुंच चुका है और पपीते का सीडलेस बीज 40,000 रुपये में बिक रहा है, ऐसे में आने वाले समय में बीज पूरी तरह कंपनियों के नियंत्रण में जा सकते हैं. टिकैत ने कहा कि वह देशभर में जाकर इस कानून के नुकसान बताएंगे और सुझाव भी देंगे.

साथ ही मांग की कि अगर सरकार टैरिफ बढ़ाने या नए मानक लागू करने की बात करती है तो किसानों को समान रूप से सब्सिडी देनी होगी. उन्होंने कहा कि किसान विरोधी कानूनों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और संसद सहित हर मंच पर कड़े शब्दों में विरोध दर्ज कराया जाएगा.

MORE NEWS

Read more!