महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में उद्धव बालासाहेब ठाकरे शिवसेना की ओर से शुक्रवार को ‘हंबरडा मोर्चा’ निकाला गया. यह मोर्चा मराठवाड़ा में हुई मूसलाधार बारिश से किसानों की बर्बाद हुई फसलों के मुआवजे की मांग को लेकर आयोजित किया गया. उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राउत समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए. मोर्चा शहर के क्रांती चौक से शुरू होकर गुलमंडी पर सभा के साथ समाप्त हुआ.
सभा में उद्धव ठाकरे ने कहा कि हर संकट में शिवसेना किसानों के साथ खड़ी रही है. उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के दावे के अनुसार 31,000 करोड़ का राहत पैकेज सिर्फ कागजों पर है, अब तक किसानों को पैसे नहीं मिले हैं. उद्धव ने कहा, “अगर सरकार सच में किसानों के साथ है, तो दिवाली से पहले कम से कम एक लाख रुपये किसानों के खातों में डाले.
उद्धव ठाकरे ने किसानों को याद दिलाते हुए कहा कि कि जब वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे तब कर्जमाफी लागू कर किसानों के खातों में सीधे पैसे डाले गए थे. उन्होंने मांग की कि किसानों को प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए. ठाकरे ने कहा, “यह जय अंबाडा मोर्चा नहीं, बल्कि इशारा मोर्चा है. अगर किसानों की कर्जमाफी नहीं हुई, तो सिर्फ मराठवाड़ा ही नहीं, पूरा महाराष्ट्र सड़क पर उतरेगा.”
उद्धव ठाकरे ने राज्य सरकार को घेरने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है. 2014 में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया गया था, लेकिन आज किसान कर्ज में डूबे हुए हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री बिहार की महिलाओं को 10,000 रुपये दे सकते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के किसानों को राहत क्यों नहीं?
राज्य सरकार पर तंज कसते हुए ठाकरे बोले कि एक सरकार में दो मुख्यमंत्री हैं और फिर भी किसान परेशान हैं. मुख्यमंत्री फडणवीस कहते हैं कि 3.5 लाख रुपये देंगे, तो कम से कम दिवाली से पहले एक लाख रुपये दे दो. उन्होंने कहा कि यह मोर्चा सिर्फ विरोध नहीं बल्कि एक चेतावनी है. अगर सरकार ने दिवाली से पहले किसानों को राहत नहीं दी, तो दिवाली के बाद मैं खुद गांव-गांव जाकर किसानों से मिलूंगा और पूछूंगा कि सरकार ने वादे पूरे किए या नहीं?
उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने का कोई लालच नहीं है, लेकिन किसानों की मदद करना उनका फर्ज है. यह संकट सिर्फ आसमानी नहीं, मानवी संकट भी है. शिवसेना किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी.
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