पंजाब और हरियाणा पानी के बंटवारे को लेकर आमने-सामने हैं. इन दोनों राज्यों का पानी विवाद काफी बढ़ गया है . दरअसल, पंजाब सरकार की ओर से हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने पर रोक लगाने के नियमित प्रशासनिक आह्वान के बाद भयंकर राजनीतिक विवाद का रूप लेता जा रहा है, जो 2027 के पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले पड़ोसी राज्यों के बीच बढ़ते तनाव को दिखाता है. इस बार, विवादास्पद सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर सुर्खियों में नहीं है, बल्कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा प्रबंधित भाखड़ा जल बंटवारे का मुद्दा सुर्खियों में है. हाल ही में विवाद तब शुरू हुआ जब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर पंजाब के अतिरिक्त पानी को हरियाणा की ओर मोड़ने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया.
दी ट्रिब्यून के मुताबिक, मान ने जलाशयों के जलस्तर में आई ‘काफी गिरावट’ का हवाला देते हुए कहा, ‘हम हरियाणा को उसकी पेयजल जरूरतों के लिए मानवीय आधार पर रोजाना 4,000 क्यूसेक पानी दे रहे हैं.’ उन्होंने भाजपा पर ‘राजनीति का गंदा खेल खेलने’ और बीबीएमबी के जरिए पंजाब को परेशान करने का आरोप लगाया है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पलटवार करते हुए मान पर 23 अप्रैल को हुए बीबीएमबी समझौते से मुकरने का आरोप लगाया है. सैनी ने कहा, "समझौते के अनुसार, हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी छोड़ा जाना था. वास्तव में, हमें मई और जून में आमतौर पर 9,500 क्यूसेक से अधिक पानी मिलता है." उन्होंने आरोप लगाया कि भगवंत मान केवल "पंजाब में अपनी छवि चमकाने" के लिए समझौते को तोड़ रहे हैं.
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मान ने कहा कि वे "भगवा पार्टी को पंजाब के खिलाफ अपने नापाक इरादों में सफल नहीं होने देंगे." उन्होंने आगे आरोप लगाया कि बीबीएमबी का भाजपा द्वारा राजनीतिक उद्देश्यों के लिए "अवैध रूप से उपयोग" किया जा रहा है. ऐसे में ये सबको पता है कि बीबीएमबी केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को रिपोर्ट करता है, जिसका प्रभार वर्तमान में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पास है.
हरियाणा ने 23 अप्रैल को बीबीएमबी की बैठक में अतिरिक्त पानी की मांग की थी, जबकि पंजाब ने तर्क दिया था कि उसके जलाशयों में पानी इतना कम हो गया है कि वह मांग को पूरा नहीं कर सकते. वहीं, अंदरूनी सूत्रों का कहना था कि इनकार सिर्फ पेयजल के कारण नहीं था, बल्कि राजनीतिक कारण भी था. हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में चुनावी जीत के बाद पंजाब में भाजपा के पैर पसारने से सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) परेशान दिख रही है. दिल्ली में भाजपा के हाथों हार के बाद आप अब केवल पंजाब में ही रह गई है. वहीं, पार्टी हरियाणा के मुख्यमंत्री की पंजाब में बढ़ती मौजूदगी को खतरे के तौर पर देख रही है. भाजपा ने 2027 में पंजाब के 38 फीसदी हिंदू मतदाताओं को साधने के लिए ओबीसी नेता सैनी को मैदान में उतारा है.
वहीं, दूसरी ओर ये भी कहा जा रहा है कि किसान यूनियनों के कुछ वर्गों के साथ बढ़ती कलह को देखते हुए, मान खुद को पंजाब के जल के रक्षक के रूप में स्थापित करके अपने ग्रामीण आधार को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं. बहुत कुछ पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह, जिनके कार्यकाल में पंजाब विधानसभा ने समझौता समाप्ति अधिनियम, 2004 पारित किया था. यह जल विवाद राजनीतिक लहर में बदलेगा या बयानबाजी में बह जाएगा, यह देखना अभी बाकी है, क्योंकि पंजाब 2027 के चुनावी लड़ाई में प्रवेश करने वाला है.