Kisan Andolan: केंद्र के इन कानूनों पर भड़के किसान, 2020 की तरह आंदोलन की दी चेतावनी

Kisan Andolan: केंद्र के इन कानूनों पर भड़के किसान, 2020 की तरह आंदोलन की दी चेतावनी

केंद्र के बिजली संशोधन बिल 2025, सीड्स बिल, श्रम कानून व NEP-2020 के विरोध में किसान संगठनों ने 2020 जैसा बड़ा आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है. SKM ने 28 नवंबर को रणनीतिक बैठक बुलाई है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 27, 2025,
  • Updated Nov 27, 2025, 12:45 PM IST

केंद्र सरकार के प्रस्तावित बिजली (संशोधन) बिल, 2025 और नए बीज कानून (Seeds Bill) को लेकर सरकार और किसानों के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति‍ बन सकती है. किसान संगठनों ने इसे लेकर स्‍पष्‍ट संकेत दिए हैं. चंडीगढ़ में बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) से जुड़े 5,000 से अधिक किसान जुटे और साफ चेतावनी दी कि अगर सरकार बिल को वापस नहीं लेती है तो वे साल 2020-21 की तरह बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे. बिजली संसोधन कानून को आगामी संसद सत्र में पेश किए जाने की संभावना है. हालांकि, बीज कानून पर सरकार ने सुझाव मांगे हैं.

28 नवंबर को SKM की बड़ी बैठक

दि ट्र‍िब्‍यून की रिपोर्ट के मुताबिक, SKM ने 28 नवंबर को अपने सभी घटक संगठनों की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति तय होगी. इसी मंच पर किसानों ने सीड्स बिल, चार नए श्रम कानून और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को भी वापस लेने की मांग उठाई और इन्‍हें “केंद्रीकरण की तरफ खतरनाक कदम” बताया.

इस बार लड़ाई और गंभीर- BKU राजेवाल

BKU (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने किसानों को फिर से लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहने को कहा है. उन्होंने कहा कि किसान, बैग, राशन और कपड़े जुटा लें… इस बार लड़ाई और गंभीर है.

'संसोध‍ित बिजली कानून से निजी हाथों में जाएगी ताकत'

वहीं, BKU (एकता-उग्राहां) के नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां ने आरोप लगाया कि बिजली संसोधन बिल से बिजली वितरण निजी कंपनियों के हाथों में जाने का रास्ता साफ होगा. उन्होंने कहा कि स्मार्ट चिप मीटर इसी निजीकरण की शुरुआत है. उग्राहां और अन्य नेताओं ने कहा कि प्रस्तावित सीड्स बिल से बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) को बीज बाजार पर एकाधिकार मिल जाएगा.

एमएसपी का उठाया मुद्दा

इधर, BKU (एकता-डकौंदा) के राज्य अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि किसानों लिए अब वापस मुड़ने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा जा रहा है. वहीं, किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि सरकार ने पिछले आंदोलन के दौरान MSP को लागत से 50% लाभ पर लागू करने का वादा किया था, जो आज तक पूरा नहीं किया गया. किसानों नेताओं ने हालिया बाढ़ से हुए नुकसान के लिए राज्य सरकार पर भी वादाखिलाफी का आरोप लगाया.

लखीमपुर खीरी और पराली के मामलों का जिक्र

BKU (डकौंदा) के नेता गुरबीर सिंह रामपुर ने मांग की कि लखीमपुर खीरी हिंसा से जुड़े किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को खत्म किया जाए. साथ ही पराली जलाने के मामलों में किसानों को “रेड एंट्री” से राहत दी जाए. चंडीगढ़ में जुटे किसान संगठनों ने सर्वसम्मति से मसौदा प्रस्ताव भी पारित किए. जिनमें ये प्रमुख मांगें रहीं...

  • कृषि को किसी भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के दायरे से बाहर रखा जाए.
  • केंद्र सरकार श्रम विरोधी बिलों को रद्द करे.
  • पंजाब सरकार PAU और PSEB की जमीन बेचने की योजना बंद करे.
  • पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट चुनाव तारीख तुरंत घोषित की जाए और चंडीगढ़ को पंजाब की “वैध राजधानी” के रूप में बहाल किया जाए.

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