केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज से तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर पूर्वोत्तर भारत के लिए रवाना हो रहे हैं. यह यात्रा 15 मई से 17 मई 2025 तक चलेगी, जिसमें वे मिज़ोरम, नागालैंड और असम का दौरा करेंगे और कई अहम कार्यक्रमों में भाग लेंगे. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य कृषि, बागवानी, पशुपालन और ग्रामीण विकास से जुड़े कार्यों की समीक्षा करना, नए प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करना और किसानों से सीधा संवाद करना है. इसके अलावा चौहान 29 मई से शुरू होने वाले ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत राज्यों की भागीदारी को लेकर भी चर्चा करेंगे.
यात्रा के पहले दिन सुबह चौहान मिज़ोरम के थेनज़ॉल स्थित कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर (CoH) के प्रशासनिक और शैक्षणिक भवन का उद्घाटन करेंगे. इस अवसर पर वे वृक्षारोपण भी करेंगे और स्थानीय किसानों से बातचीत करेंगे, ताकि उनकी समस्याओं और जरूरतों को समझा जा सके.
दोपहर में केंद्रीय मंत्री नागालैंड के जलुकी पहुंचेंगे, जहां वे पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय (CVSC & AH) के प्रशासनिक व अकादमिक भवन का उद्घाटन करेंगे. वहां भी वे किसानों और स्थानीय हितधारकों से सीधा संवाद करेंगे.
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यात्रा के दूसरे दिन चौहान असम के काजीरंगा पहुंचेंगे. वहां वे असम के जनप्रतिनिधियों और सांसदों के साथ स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल होंगे और राज्य में चल रही ग्रामीण योजनाओं की प्रगति की जानकारी लेंगे.
तीसरे और अंतिम दिन चौहान गुवाहाटी में होंगे. वे वहां के मंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में आयोजित प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) से जुड़े राज्य स्तरीय कार्यक्रम में भाग लेंगे और हितग्राहियों से संवाद करेंगे. इसके बाद वे प्रसिद्ध मां कामाख्या देवी मंदिर में दर्शन व पूजा-अर्चना करेंगे.
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शिवराज सिंह चौहान की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर भारत के समग्र विकास के प्रति केंद्र सरकार की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है. विशेष रूप से यह दौरा उन क्षेत्रों पर केंद्रित है जो कृषि, बागवानी, पशुपालन और ग्रामीण आजीविका से जुड़े हुए हैं. सरकार का लक्ष्य है कि पूर्वोत्तर के किसान भी आधुनिक तकनीकों और योजनाओं का लाभ उठाएं और उनकी आय में स्थायी वृद्धि हो.
यह दौरा सिर्फ योजनाओं की समीक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर लोगों से संवाद, स्थानीय समस्याओं को समझना, और विकास के नए रास्ते तैयार करना भी है. चौहान की यह यात्रा पूर्वोत्तर भारत के लिए नई ऊर्जा और संभावनाओं का संदेश लेकर आई है.