हाल ही में पंजाब के पटियाला जिले में आई भीषण बाढ़ ने कई गांवों को प्रभावित किया है. इस बाढ़ के चलते आम आदमी पार्टी (AAP) के सनौर से विधायक हरमीत सिंह पठानमाजरा ने अपनी ही सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने सीधे तौर पर एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पर लापरवाही का आरोप लगाया है. आपको बता दें लगातार हो रही बारिश की वजह से पंजाब सहित आस-पास के कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई है. जिससे आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है.
विधायक पठानमाजरा ने कहा कि उन्होंने कई बार तंगड़ी नदी की सफाई और मिट्टी के इस्तेमाल से नदी के किनारों को मजबूत करने की मांग की, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया. उन्होंने विधानसभा में मुद्दा उठाया, विभाग को ज्ञापन दिए, और यहां तक कि जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव कृष्ण कुमार से भी कई बार मुलाकात की, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
विधायक ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व पंजाब के विधायकों की आवाज़ दबाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा, “अगर हम जनता की बात नहीं सुनेंगे, तो जनता हमें पीटेगी.”
उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से अपील की कि वे कृष्ण कुमार को उनके पद से तुरंत हटाएं और जनता की आवाज़ पर ध्यान दें.
पठानमाजरा ने बताया कि पिछले साल गेहूं की फसल के दौरान उन्होंने विभाग से नहरों में पानी न छोड़ने की अपील की थी क्योंकि फसल कटाई के लिए तैयार थी. फिर भी पानी छोड़ दिया गया, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ. “मैं अपनी जनता के लिए हर सजा झेलने को तैयार हूं” विधायक ने कहा कि वह जनता की सेवा के लिए राजनीति में हैं और अगर पार्टी उन्हें सस्पेंड भी कर दे, तब भी वह पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा, “मैं अपनी जनता के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहूंगा, चाहे एफआईआर हो या सुरक्षा हटाई जाए.”
सोमवार को पठानमाजरा ने दावा किया कि उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई है. उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी उम्मीद थी और उन्होंने पहले ही अपने सुरक्षाकर्मियों को बता दिया था कि उन्हें भेज दिया जाएगा. पठानमाजरा ने मुख्यमंत्री को सलाह दी कि वे दिल्ली के दबाव से ऊपर उठें और पंजाब के हित में फैसला लें. उन्होंने कहा, “पूरे पंजाब की जनता आपके साथ खड़ी है, बस आपको मजबूत होकर खड़े होना होगा.”
विधायक हरमीत सिंह पठानमाजरा का यह बयान बताता है कि जब नेता अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ बोलने लगें, तो स्थिति गंभीर है. यह साफ है कि पंजाब में प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक दबाव के चलते आम लोग मुश्किलों में हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि मुख्यमंत्री और पार्टी नेतृत्व इस पर क्या कदम उठाते हैं.