किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल बीते 45 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं. उनकी हालत दिन-ब-दिन नाजुक होती जा रही है. उनका वजन घटने के साथ ही ब्लड प्रेशर भी कम होता जा रहा है. इसी बीच गुरुवार को उन्होंने सभी राजनीतिक दलों के नाम एक खुली चिट्ठी लिखते हुए एमएसपी की कानूनी गारंटी देने के लिए साथ आने का आह्वान किया है. उन्होंने दलों को चेतावनी भी दी कि उनकी मौत से राजनीतिक वर्ग पर कभी न धुलने वाला दाग लगेगा.
किसान नेता ने कहा कि मैं MSP गारंटी कानून के लिए मैं जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 45 दिनों से आमरण अनशन पर हूं और मेरी नाजुक तबीयत के बारे में आपको सूचना मिल ही रही होगी. हम 13 फरवरी 2024 से सड़कों पर बैठे हैं, हमारी कोई नई मांगें नहीं है, बल्कि अलग-अलग समयों पर सरकारों द्वारा किये गए वायदों को पूरा कराने के लिए हम आंदोलन कर रहे हैं.
किसान नेता डल्लेवाल ने कहा कि पहले सिर्फ किसान और खेतिहर मजदूर ही MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे थे, लेकिन अब तो खेती के विषय पर बनी संसद की स्थायी समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि MSP गारंटी कानून बनाया जाना चहिए और इससे किसानों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और देश को बहुत फायदा होगा.
किसान नेता ने कहा कि हमारे देश में किसानों के लिए पिछले 77 सालों में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह रही है कि जब कोई राजनीतिक पार्टी विपक्ष में होती है तो किसानों के हित में बात करती है, लेकिन जब सत्ता में आती है तो किसानों से किए वादों को भूल जाती है.
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किसान नेता डल्लेवाल ने कहा, ''मैं MSP गारंटी कानून बनवाने के लिए आमरण अनशन करते हुए अपनी ज़िंदगी कुर्बान करने के लिए तैयार हूं, लेकिन एक बात हमें ध्यान रखनी चाहिए कि अगर किसानों से किए वादों को पूरा कराने के लिए मेरे जैसे एक साधारण किसान की शहादत होती है तो हमारे देश के राजनीतिक वर्ग के ऊपर ऐसा धब्बा लगेगा, जिसे वे कभी साफ नहीं कर पाएंगे.''
मेरी शहादत के बाद जब इतिहासकार इतिहास लिखेंगे तो वे ये सवाल भी पूछेंगे कि क्या उस समय राजनीतिक पार्टियों (सत्ता और विपक्ष) ने अपनी ज़िम्मेदारी सही ढंग से निभाई, जब देश के किसान MSP गारंटी कानून बनवाने के लिए ठिठुरती ठंड में सड़कों पर बैठे थे?
किसान नेता ने कहा कि 21वीं सदी में एक तरफ हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित भारत बनाने की बात करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ हमारे देश के किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं. आज समय की नजाकत को समझते हुए MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर सभी राजनीतिक पार्टियों को आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होना चाहिए, ताकि किसानों की आत्महत्या रोकी जा सके.