पंजाब ने केंद्र की नई एग्री मार्केटिंग पॉलिसी को किया खारिज, कहा- ये 3 कृषि कानूनों को लाने का प्रयास

पंजाब ने केंद्र की नई एग्री मार्केटिंग पॉलिसी को किया खारिज, कहा- ये 3 कृषि कानूनों को लाने का प्रयास

पंजाब सरकार ने शुक्रवार को केंद्र की नई कृषि नीति के मसौदे को खारिज करते हुए कहा कि यह निरस्त कृषि कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों को फिर से लागू करने का प्रयास है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि कृषि मार्केटिंग राज्य के विषय के रूप में उसके अधिकार क्षेत्र में आता है और केंद्र को संघवाद के सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए.

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पंजाब ने एग्री मार्केटिंग पॉलिसी को किया खारिज, कहा- ये 3 कृषि कानूनों को लाने का प्रयास पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान

शंभू बॉर्डर पर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच पंजाब सरकार ने केंद्र की नई कृषि नीति के मसौदे को खारिज कर दिया है. इस नीति को लेकर कई दिनों से किसानों का विरोध जारी है. पंजाब के शंभू बॉर्डर पर बीते डेढ़ महीने से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं. उनकी कई मांगें हैं जिनमें फसलों की एमएसपी गारंटी भी शामिल है. इसी में एक मांग केंद्र की नई कृषि मार्केटिंग पॉलिसी को वापस लेने की भी है. इसी बीच पंजाब सरकार ने इस नीति के मसौदे को खारिज कर दिया है. किसानों ने पंजाब सरकार से अपील की थी कि वे इस नीति को खारिज कर दें. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार पिछले दरवाजे से उन निरस्त तीन कृषि कानूनों को लागू करना चाहती है जिसे भारी विरोध के बाद केंद्र ने निरस्त किया था. 

पंजाब सरकार ने शुक्रवार को केंद्र की नई कृषि नीति के मसौदे को खारिज करते हुए कहा कि यह निरस्त कृषि कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों को फिर से लागू करने का प्रयास है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि कृषि मार्केटिंग राज्य के विषय के रूप में उसके अधिकार क्षेत्र में आता है और केंद्र को संघवाद के सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए.

क्या कहा पंजाब सरकार ने?

पंजाब सरकार ने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि केंद्रीय खाका 2021 में रद्द किए गए तीन कृषि कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों को फिर से लागू करने की कोशिश है. राज्य के अधिकारों का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत सातवीं अनुसूची-2 की प्रविष्टि 28 के अनुसार, कृषि राज्यों का विषय है. केंद्र से ऐसी नीति न लाने की बात कहते हुए, इस मुद्दे को राज्यों की जरूरतों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार पर छोड़ने के लिए कहा गया है.

पंजाब सरकार की आपत्तियां

  1. निजी मंडियों की स्थापना
  2. कृषि में ठेका प्रणाली को प्रोत्साहित करना
  3. साइलो को ओपन मार्केट यार्ड घोषित करना
  4. मंडी फीस में कटौती
  5. आढ़तियों को दिए जाने वाले कमीशन में कटौती
  6. निर्यातकों और थोक खरीदारों को खेतों से सीधे खरीद को बढ़ावा देना

पंजाब सरकार ने पत्र में सवाल उठाए हैं कि यह खाका फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बारे में पूरी तरह चु्प्पी साधे हुए है जो पंजाब के किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. नए कृषि मंडी नीति खाके में पंजाब की मार्केट कमेटियों को अप्रासंगिक बनाने के लिए निजी मंडियों को प्रोत्साहित किया गया है, जो राज्य को स्वीकार नहीं है. पंजाब के पास अपनी एक मजबूत मंडी प्रणाली है. पत्र में कहा गया है कि नया खाका मंडी फीस पर सीमा लगाता है, जिससे पंजाब में मंडियों के नेटवर्क और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचेगा.

पत्र में यह भी लिखा गया है कि पंजाब सरकार को नई कृषि मंडी नीति के खाके में ठेका खेती को प्रोत्साहित करने और निजी साइलो को ओपन मार्केट यार्ड घोषित किए जाने पर कड़ी आपत्ति है. आढ़तियों के कमीशन पर प्रभाव पड़ने के संदर्भ में भी केंद्रीय खाके को रद्द करने की मांग की गई है. (अमन भारद्वाज का इनपुट) 

 

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