
एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे का नाम एक बार फिर से खबरों में है. खबरों में बने रहने वाले कोकाटे को तो शायद आप सब अच्छे से जानते होंगे और अगर नहीं जानते हैं तो हम बताते हैं. कोकाटे महाराष्ट्र के वही पूर्व कृषि मंत्री हैं जिन्होंने किसानों की कर्ज माफी पर विवादित बयान दिया था. सिर्फ इतना ही नहीं जिस समय महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या का आंकड़ा बढ़ रहा था, कोकाटे विधासनसभा में चर्चा के दौरान रमी खेलने में मस्त थे. इसी वजह से पहले उनसे कृषि मंत्रालय छीना गया और अब उनसे वो खेल मंत्रालय भी वापस ले लिया गया है जो इसकी जगह पर दिया गया था. नासिक के सेशंस कोर्ट की तरफ से आए फैसले के बाद अब कोकाटे की विधायकी भी मुश्किल में आ गई है.
नासिक सेशंस कोर्ट ने कोकाटे को सरकारी फ्लैट पाने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर करने के आरोप में दो साल की जेल की सजा सुनाई है. मंगलवार को फैसला आया और बुधवार को कोकाटे ने इस तीन दशक पुराने मामले में कोर्ट के आदेश के बाद इस्तीफा दे दिया. अब महाराष्ट्र का खेल मंत्रालय अजित पवार के पास है. कोकाटे और उनके भाई, विजय कोकाटे को 1995 के एक मामले में दोषी ठहराया गया था, जो एक हाउसिंग स्कीम में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए तय 10 प्रतिशत कोटे के गलत इस्तेमाल से जुड़ा था. दोनों भाइयों को धोखाधड़ी और जालसाजी सहित कई अपराधों का दोषी पाया गया था. सेशन कोर्ट ने मजिस्ट्रेट की तरफ से पहले दी गई सजा को बरकरार रखा. इससे कोकाटे के महाराष्ट्र विधानसभा से अयोग्य घोषित होने का रास्ता साफ हो गया. चुनाव कानून के तहत, दो साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर तुरंत अयोग्य घोषित कर दिया जाता है, जब तक कि किसी ऊपरी अदालत से इस पर रोक न लगाई जाए.
कोकाटे पहली बार विवादों में आए हों ऐसा नहीं और पहले भी किसानों और सरकारी योजनाओं को लेकर विवादों में घिर चुके हैं. अगर आप ध्यान से उनके किसानों वाले बयान पर नजर डालेंगे तो एक बार को लगेगा कि जब-जब उन्होंने अन्नदाता पर बयान दिया, तब-तब उन पर मुसीबत आई है. कोकाटे ने कब-कब कौन से बयान देकर मुसीबत मोल ली, यह जानना भी अब जरूरी हो गया है.
21 जनवरी: इस साल की शुरुआत में कोकाटे ने सरकारी योजनाओं को लागू करने में भ्रष्टाचार की बात मानी, लेकिन कहा कि इसे बंद करने का कोई कारण नहीं है. उन्होंने कहा, 'इस योजना में कुछ गड़बड़ियां हुई हैं लेकिन किसी भी योजना में दो से चार प्रतिशत भ्रष्टाचार का मतलब यह नहीं है कि उसे बंद कर दिया जाए.'
14 फरवरी: कोकाटे फरवरी में तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने 1 रुपये की फसल बीमा योजना का बचाव करते हुए किसानों की तुलना भिखारियों से की. उन्होंने कहा, 'भिखारी भी एक रुपया नहीं लेते लेकिन सरकार उसी रकम का फसल बीमा दे रही है और इसका भी गलत इस्तेमाल हो रहा है.'
24 फरवरी: कृषि मंत्री ने शिकायत की कि मंत्रियों के पास कोई पावर नहीं है, उन्होंने कहा, 'अब, मुख्यमंत्री PA (पर्सनल असिस्टेंट) और OSD (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) भी नियुक्त कर रहे हैं. हमारे हाथ में कुछ नहीं है.'
4 अप्रैल: एक और विवादित बयान में कोकाटे ने आरोप लगाया कि किसानों को सरकारी योजनाओं के जरिए दिया गया पैसा शादी जैसे कार्यक्रमों में इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने कहा, 'किसान माफी का इंतजार करते हुए पांच से 10 साल तक लोन नहीं चुकाते हैं. खेती की योजनाओं से मिला पैसा तय कामों पर खर्च नहीं होता बल्कि सगाई और शादियों पर खर्च होता है. किसान खेती में एक रुपया भी इन्वेस्ट नहीं करते हैं.'
20 जुलाई: महाराष्ट्र विधानसभा में कोकाटे का अपने फोन पर रमी खेलते हुए एक वीडियो वायरल हो गया. एनसीपी (शरद पवार) के विधायक रोहित पवार ने यह क्लिप शेयर की और कोकाटे की मुश्किलों को बढ़ा दिया.
22 जुलाई: कोकाटे ने तब एक नया विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने कहा, 'असल में, सरकार खुद भिखारी है. सरकार किसानों को एक रुपया भी नहीं देती लेकिन उनसे (फसल बीमा के लिए) एक रुपया लेती है. सरकार खुद भिखारी है क्योंकि वह किसानों से 1 रुपया ले रही है.' डैमेज कंट्रोल की कोशिश में, उन्होंने बाद में कहा कि उनके बयान को गलत समझा गया.
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