चार जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मायूस करने वाले हैं. वहीं मायूसी के बीच पार्टी को एक अच्छी खबर केरल से मिली जहां पर सुरेश गोपी को विशाल जीत हासिल हुई. इसके साथ ही बीजेपी ने उस राज्य में अपना खाता खोला जो अब तक कांग्रेस या फिर वामपंथियों का गढ़ माना जाता रहा है. सुरेश गोपी की जीत से बीजेपी का मनोबल बढ़ा है. इसके साथ ही उन्होंने उस मिथ को तोड़ दिया है जिसमें कहा जाता था कि केरल में बीजेपी की जीत मुश्किल है. इस जीत ने पार्टी के लिए एक नया इतिहास भी रच दिया है. जानिए कौन हैं सुरेश गोपी और कैसे उन्होंने मुश्किल दिखने वाले त्रिशूर में जीत हासिल की.
एक एक्टर से नेता बने सुरेश गोपी को त्रिशूर की संसदीय सीट पर ऐतिहासिक जीत मिली है. उन्होंने कहा कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों की मतगणना में केरल में जीत हासिल करने पर खुश हैं. गोपी ने साल 2019 में भी यहीं से चुनाव लड़ा था लेकिन वह उस समय हार गए थे. पार्टी ने इस बार भी उन पर भरोसा जताया. दूसरी बार इस सीट से चुनाव लड़ने वाले एक्टर ने कहा, 'यह बहुत असंभव था लेकिन शानदार ढंग से संभव हो सका है. ' जीत के बाद गोपी ने कहा कि वह त्रिशूर के 'सच्चे धर्मनिरपेक्ष मतदाताओं' के सामने 'नतमस्तक' हैं. उनका कहना था कि मतदाताओं को बीजेपी से दूर करने की कई कोशिशें की गई लेकिन भगवान ने इन मतदाताओं को सही रास्ते पर लेकर आए.
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सुरेश गोपी का कहना था कि यह एक चमत्कार है जो लोगों के आशीर्वाद की वजह से ही हो सकता है. 65 साल के एक्टर गोपी ने त्रिशूर में 62 दिनों तक प्रचार किया. उनकी मानें तो यह 62 नहीं बल्कि पिछले सात सालों की एक इमोशनल जर्नी थी जो आज जीत में बदली है. चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार दोपहर दो बजे तक त्रिशूर निर्वाचन क्षेत्र में सुरेश गोपी 400706 वोट के साथ कम्युनिस्ट पार्टी के एस सुनील कुमार से 73091 मतों के अंतर से आगे चल रहे थे. गोपी अक्टूबर 2016 में बीजेपी में शामिल हो गए थे. साल 2019 में वह कांग्रेस उम्मीदवार टीएन प्रतापन से हार गए.
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जून 1958 में केरल के अलाप्पुझा में जन्मे सुरेश गोपी ने जीव विज्ञान में ग्रेजुएशन किया है. साथ ही उनके पास इंग्लिश लिट्रेचर में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री है. वह न सिर्फ एक एक्टर हैं बल्कि एक प्लेबैक सिंगर भी रहे हैा. मलयालम सिनेमा के अलावा उन्होंने कुछ तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में भी काम किया है. सन् 1998 में, उन्होंने कलियाट्टम में अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. साल 2015 में उन्होंने एक्टिंग छोड़ दी और माई गॉड उनकी आखिरी फिल्म थी. लेकिन पांच साल बाद 2020 में उन्होंने वराने अवश्यामुंड में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर मलयालम सिनेमा में वापसी की. साल 2012 में उन्होंने 'कौन बनेगा करोड़पति' का मलयालम वर्जन होस्ट किया था.