चुनाव आयोग ने मंगलवार को तेलंगाना सरकार की किसानों से जुड़ी योजना पर रोक लगा दी है. राज्य में 13 मई को लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में वोट डाले जाएंगे. आयोग ने यहां पर चुनाव होने तक रायथु भरोसा स्कीम के तहत किसानों को होने वाले फंड वितरण को रोक दिया है. वहीं आयोग का मानना है कि मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने आचार संहित का उल्लंघन किया है. आयोग के मुताबिक अपने चुनाव अभियानों में सार्वजनिक रूप से उन्होंने भुगतान का जिक्र करके कोड ऑफ कंडक्ट के खिलाफ बर्ताव किया है.
चुनाव आयोग ने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस से मंगलवार शाम पांच बजे तक इस मामले पर एक रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया था. इस योजना को पहले रायथु बंधु स्कीम के तौर पर जाना जाता था. इस स्कीम को मई 2018 में तत्कालीन बीआरएस सरकार की तरफ से शुरू किया गया था. बाद में रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसका नाम बदलकर रायथु भरोसा स्कीम कर दिया. स्कीम के तहत राज्य सरकार हर किसान को प्रति वर्ष 10000 रुपये प्रति एकड़ वितरित करती है. खरीफ और रबी की फसल के लिए क्रमश: 5000-5000 रुपये की रकम तय की गई है.
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जून 2023 में सरकार ने हर किसान को प्रति एकड़ 5,000 रुपये का भुगतान किया. चुनाव आयोग के नोटिस के बाद साल 2023 के रबी सीजन के लिए बाकी किस्त अब 13 मई के बाद ही वितरित की जाएगी. तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजे गए नोटिस में चुनाव आयोग ने कहा कि रेड्डी ने चार मई को एक रोड शो के दौरान योजना के तहत आने वाले वितरण के बारे में सार्वजनिक रूप से बोलकर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है.
चुनाव आयोग के नोटिस में लिखा है, ' रायथु बंधु एक चालू योजना है और पिछले उदाहरणों के अनुसार रबी सीजन 2023 का वितरण जनवरी 2024 तक पूरा हो जाना चाहिए. यह फैसला वितरण प्रक्रिया में बेवजह और असामान्य देरी के जवाब में आया है जो आम तौर पर नवंबर और दिसंबर के महीनों में होती है. साथ ही आम चुनावों के दौरान चल रही योजना का राजनीतिकरण करने के प्रयासों पर चिंताएं भी हैं.' नोटिस के मुताबिक इस तरह की कार्रवाइयों को मतदाताओं को प्रभावित करने और समान अवसर को बिगाड़ने का प्रयास माना जाता है.